16 सोमवार व्रत कथा । 16 Somvar Vrat Katha । Hindi Vrat Katha।

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16 सोमवार व्रत कथा । 16 Somvar Vrat Katha

सोमवार का दिन ” भगवान शंकर जी ” को समर्पित होता हैं । आज के दिन सभी भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा अर्चना करते हैं । और ” कुछ लोग सोमवार का व्रत ” भी रखते हैं । ताकि शंकर भगवान जी की हर भक्त पर विशेष कृपया बनी रहें । बाबा भोलेनाथ के आशीर्वाद के लिए हर व्रत रखने वाले के लिए भक्त को यह सोमवार व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए । कथा पढ़ें । 👇👇

सोमवार व्रत की विधि :

नारद पुराण के अनुसार ! सोमवार के व्रत में हर भक्त को प्रातः स्नान करके शिव जी को ” जल , दूध  फूलों की माला और बेल पत्र ” चढ़ाना चाहिए ।  तथा शिव और गौरी की पूजा सच्चे मन से करनी चाहिए । शिव पूजन के बाद सोमवार व्रत कथा सुननी चाहिए । व व्रत पूरा करके  शाम को ही भोजन करना चाहिए । भगवान शंकर जी के आशीर्वाद के लिए आप भी सोमवार का व्रत जरूर रखें । सोमवार के व्रत तीन प्रकार के होते हैं । सोमवार व्रत , सौम्य प्रदोष व्रत , और सोलह सोमवार का व्रत । इन सभी व्रतों के लिए एक ही विधि होती हैं । 
 
सोमवार की व्रत की कथा :
 
एक समय की बात हैं , किसी नगर में एक साहूकार रहता था । उसके घर में धन दौलत की कोई भी कमी नहीं थीं । लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थीं । इस कारण वह बहुत दुखी था । पुत्र की प्राप्ति के लिए वह प्रत्येक सोमवार व्रत रखता था । और पूरी श्रद्धा के साथ  शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और पार्वती जी की पूजा करता था ।
 
उसकी भक्ति देखकर एक दिन ” माँ पार्वती ” प्रसन्न हो गयी । और भगवान शिव से उस साहूकार की मनोकामना पूर्ण करने का आग्रह किया । पार्वती जी की इच्छा सुनकर भगवान शिव नें कहा कि , हे पार्वती ” इस संसार मे हर प्राणी को ” उसके कर्मों का फल जरूर मिलता हैं । और जिसके भाग्य मे जो हो उसे वो भोगना ही पड़ता हैं । लेकिन पार्वती जी ने साहूकार की भक्ति का मान रखने के लिए उसकी मनोकामना पूर्ण करने की इच्छा जताई । 
 
माता पार्वती के आग्रह पर शिवजी नें साहूकार को पुत्र प्राप्ति का वरदान तो दिया , ” लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उसके बालक की आयु केवल 12 वर्ष ही होगी ” । माता पार्वती और शिव की सारी बातचीत साहूकार सुन रहा था । और सब कुछ सुनकर भी , ” वो बिना दुखी हुए ही ” पहले की ही तरह शिव और गौरी माँ की पूजा करता रहा । 
 
कुछ समय के बाद साहूकार के घर ” एक पुत्र का जन्म हुआ “। जब वह बालक 11 वर्ष का हुआ , तो उसे पढ़नें के लिए काशी भेज दिया गया । साहूकार नें पुत्र के मामा को बुलाकर उसे बहुत सारा धन दिया , और कहा कि तुम इस बालक को काशी विधा प्राप्ति के लिए ले जाओ और मार्ग मे यज्ञ करवा लेना , ” व तुम जहां भी यज्ञ कराओ ” वहाँ ब्राह्मणों को भोजन कराते हुए उन्हे दक्षिणा देते हुए जाना । 
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अब दोनों मामा भांजे इसी तरह यज्ञ कराते और ब्राह्मणों को दान – दक्षिणा देते हुए काशी की ओर चल पड़े । ” रात मे एक नगर पड़ा ” जहां नगर के राजा की कन्या का विवाह था । लेकिन जिस राजकुमार से उसका विवाह होने वाला था । वह एक आँख से काना था । राजकुमार के पिता ने अपने पुत्र के एक आँख से काना होने की बात को छुपाने के लिए एक चाल चली । 
 
उसने साहूकार के पुत्र को देखा , उसके पुत्र को देखकर उसके मन में एक विचार आया । उसने सोचा क्यों ना ” इस लड़के को दूल्हा बनाकर ” राजकुमारी से विवाह करवा दूँ । और विवाह के बाद इसको धन देकर विदा कर दूँगा । और राजकुमारी को अपने नगर ले जाऊंगा । तभी उसने साहूकार के लड़के को दूल्हे के वस्त्र पहनाकर उस राजकुमारी से विवाह करवा दिया । लेकिन साहूकार का पुत्र ईमानदार था । उसे यह बात न्यायसंगत नहीं लगी । 
 
तभी उसने अवसर पाकर राजकुमारी की चुन्नी के पल्ले पर लिखा कि तुम्हारा विवाह तो मेरे साथ हुआ हैं लेकिन जिस राजकुमार के संग तुम्हें भेजा जाएगा । ” वह एक आँख से काना हैं ” में तो काशी पढ़नें जा रहा हूँ । 
 
जब राजकुमारी नें चुन्नी पर लिखी बातें पढ़ीं , ” तो उसने अपने माता – पिता को यह बात बताई ” राजा नें अपनी पुत्री को विदा नहीं किया । जिससे बारात वापस  चली गयी । दूसरी ओर साहूकार का लड़का और उसका मामा काशी पहुँचें । और वहाँ जाकर उन्होनें यज्ञ किया । ” और जिस दिन लड़के की आयु 12 साल की हुई । उसी दिन वह यज्ञ रखा गया ” । लड़के नें अपने मामा से कहा , कि मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं हैं । मामा नें कहा कि तुम अंदर जाकर सो जाओ । 
 
शिवजी के वरदान के अनुसार ! ” कुछ ही देर में उस बालक के प्राण निकल गए “मृत भाँजें को देख उसके मामा नें विलाप शुरू किया । संयोगवश उसी समय ” शिवजी और माता पार्वती ” उधर से जा रहें थें । तभी पार्वती जी नें भगवान शिव से कहा , स्वामी मुझे इसके रोने का स्वर सहन नहीं हो रहा । आप इस व्यक्ति के कष्ट को अवश्य दूर करें । 
 
जब शिवजी मृत बालक के समीप गए। तो वह बोले , ” कि यह उसी साहूकार का पुत्र हैं । जिसे मैंने 12 वर्ष की आयु का वरदान दिया था । अब इसकी आयु पूरी हो चुकी हैं । लेकिन दुखीं भाव से माता पार्वती नें कहा , कि हे महादेव आप इस बालक को और आयु देने की कृपा करें । अन्यथा इसके वियोग में इसके माता पिता भी तड़प – तड़प कर मर जाएंगे । 
 
” माता पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव नें ” ! उस लड़के को जीवित होने का वरदान दिया । और शिवजी की कृपा से वह लड़का जीवित हो गया । शिक्षा समाप्त करके वह लड़का अपनें मामा के साथ अपनें नगर की ओर चल दिया दोनों चलतें हुए , ” उसी नगर में पहुँचें ” जहां उसका विवाह हुआ था । उस नगर में भी उन्हने यज्ञ का आयोजन किया । 
 
उस लड़के के ससुर ने उसे पहचान लिया । और ” उसे महल में ले जाकर ” उसकी खूब खातिरदारी की , और उसके साथ अपनी पुत्री को विदा कर दिया । 
 
इधर साहूकार और उसकी पत्नी भूखे – प्यासे रहकर बेटे की प्रतीक्षा कर रहे थें । उन्होंने प्रण कर रखा था , कि यदि उन्हें अपने बेटे की मृत्यु का समाचार मिला तो वह दोनों भी प्राण त्याग देंगे । परंतु अपने बेटे के जीवित होने का समाचार पाकर वह बेहद प्रसन्न ज’हुए । 
 
उसी रात ” भगवान शिव ” नें  साहूकार के स्वप्नं में आकर कहा , ” हे श्रेष्ठी , मैंने तेरे सोमवार के व्रत करने , और व्रत कथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र को लंबी आयु प्रदान की हैं ” । इसी प्रकार जो कोई सोमवार व्रत करता हैं , या कथा सुनता और पढ़ता हैं । ” उसके सभी दुख दूर होतें हैं ” और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं । 
 
जय हों शिव पार्वती जी की ….जय !
 
 
भगवान शिव के बारें में कुछ ” GK Question ” हैं , जिनके Answer आपकों पता होने चाहियें
 
1.भगवान शिव के सबसे बड़े पुत्र कौन थें ?




ANSWER= (C) कार्तिकेय

Explain:- भगवान शिव के सबसे बड़े पुत्र कार्तिकेय थें ।

 

2.भगवान शिव की पत्नी पार्वती जी किसकी पुत्री थीं ?




ANSWER= (A) पर्वत राजा हिमालय

Explain:- भगवान शिव की पत्नी पार्वती जी पर्वत राजा हिमालय पुत्री थीं।

 

3.भगवान शिव की कौन सी पत्नी थीं ? जिन्होंने अग्नि में अपनें प्राण दिए थें ?




ANSWER= (B) सती

Explain:- माँ सती नें ही अग्नि में अपनें प्राण दिए थें ।

Author: Hindi Rama

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