बाबर का इतिहास – जीवन परिचय – भारत पर युद्ध – शासनकाल । History Of Babur In Hindi । Story Of Babur In Hindi ।

बाबर का इतिहास - जीवन परिचय - भारत पर युद्ध - शासनकाल । History Of Babur In Hindi । Story Of Babur In Hindi । Hindirama.com

बाबर का इतिहास • जीवन परिचय • भारत पर युद्ध • शासनकाल – History Of Babur In Hindi

» मुगल शासकों ने लगभग 300 सालों तक भारत मे अपनी हुकूमत चलाई इस दौरान मुगल साम्राज्य कई महान और परमवीर युद्धा भी आए जिनका वर्णन भारतीय इतिहास मे देखने को मिलता है लेकिन मुगल वंश का संस्थापक बाबर को ही माना जाता है, जो की बाबर , न सिर्फ एक महान योद्धा था, बल्कि सबसे महान शासक भी था , जिसने मुगल राजवंश की नीव रखी .।

बाबर का इतिहास  

» मुगल साम्राज्य के संस्थापक उसकी नीव रखने वाले बाबर ने  भारत मे कई सालों तक शासन किया। मुगलों ने भारत मे लगभग 300 सालों तक राज्य किया। अपने पिता की अचानक मृत्यु के बाद बाबर ने मात्र 12 साल की उम्र मे पिता के काम को संभाला , उसने तुर्किस्तान के फरगना प्रदेश को जीत कर उसका शासक बन गया , बचपन से ही बाबर बहुत महत्वाकांक्षी था, वे अपने लक्ष्य को हमेशा ध्यान मे रखते थे , ।

» बाबर अपने आप को चंगेज खान के परिवार  का बताते थे ,  चंगेज खान उनकी माता के तरफ के वंशज थे , तैमूर के राजा चुगताई तुर्क उनके पिता के वंशज थे, बाबर के खून मे दो महान शासकों का खून था । यही वजह है कि, बाबर एक महान योद्धा था। कम उम्र मे ही बाबर जंग की मैदान मे उतर आया था, फिर उसने शुरुआती दिनों मे बहुत युद्ध , लड़ाईया , हार जीत , संधि – विचेद देखा था।

बाबर का जीवन परिचय   

» बाबर भारत के पहले मुगल सम्राट था, जिसकाा पूरा  नाम जीहरुद्दीन मुहम्मद बाबर था । मुगल साम्राज्य के सम्राट बाबर फ़रगाना घाटी के शासक उमर शेख मिर्जा के सबसे बड़े बेटे थे । पिता की मौत के बाद महज 11 साल की उम्र मे ही राज्य की जिम्मेदारी सौंप दी गई उन्हे काम उम्र मे ही सिंहासन पर बिठा दिया  गया इसकी वजह से उन्हे रिश्तेदारों के विरोध का भी सामना करना पड़ा था ।

• पूरा नाम – जहीर – उद – दीन मुहम्मद बाबर

• जन्म तारीख – 14 फरवरी 1483 (अन्दिझान , उज्बेकिस्तान )

• माता – कुतलुग निगार खानुम

• पिता – उमर शेख मिर्जा 2, फ़रगाना के शेख

• पत्नियाँ – आयेशा सुलतान बेगम, जैनाम सुलतान बेगम , मौसमा सुल्तान बेगम , महम बेगम , गुलरूख बेगम , दिलदार बेगम , मुबारका युरुफझाई , गुलनार अघाचा

• पुत्र/पुत्रियाँ – हुमायु , कामरान मिर्जा , आस्करी मिर्जा , हिंदल मिर्जा , फख्र -उन -निस्सा , गुलरंग बेगम , गुलबदन बेगम , गुलबदन बेगम , गुलचेहरा बेगम , अलतुन बिषिक , कथित बेटा

• भाई – चंगेज खान

• मृत्यु – 26 दिसंबर 1530 ( आगरा , मुगल साम्राज्य)

बाबर का शुरुआती जीवन  

» मुगल सम्राट बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 को आन्दीझान शहर के फरगना घाटी मे जहीरुद्दीन मोहम्मद बाबर के रूप मे हुआ था । बाबर के पिता का नाम उमरशेख मिर्जा था जो फरगना की जागीर का मालिक था और उसकी माँ का नाम कुतुलनिगार खाँ था ।

» बाबर अपने पिता की तरफ से तैमूर के वंशज और अपनी माँ की तरफ से चंगेज खान के वंशज थे। इस तरह जीत हासिल करना और कुशल प्रशासन बाबर के खून मे ही था ।

» मुगल बादशाह बाबर मंगोल मूल के बरला जनजाति से आए थे । लेकिन जनजाति के अलग-अलग सदस्य भाषा, रीति – रिवाज और लंब समय से तुर्की क्षेत्रों मे रहने की वजह खुद को तुर्की मानते थे। इसलिए मुगल सम्राट ने तुर्कों से बहुत समर्थन हासिल किया और जिस साम्राज्य की उन्होंने स्थापना की थी वह तुर्की थी।

» बाबर का परिवार चगताई कबीले के  सदस्य बन गया था उन्हे इस नाम से ही पुकारा जाता था । वो पि पितृ पक्ष की ओर से तैमूर के पाँचवे वंशज और मातृ पक्ष की तरफ से चंगेज के 13 वे वंशज थे।

» बाबर नें जिस नए साम्राज्य की स्थापना की। वह तुर्की नस्ल का चगताई वंश का था। जिसका नाम चंगेज खाँ के दूसरे बेटे के नाम पर पड़ा था। बाबर की मातृ भाषा चगताई थी जिसमे वे  निपुण थे बाबर ने बाबरनामा के नाम से चगताई भाषा मे अपनी जीवनी भी लिखी थी लेकिन फारसी उस समय की आम बोलचाल की भाषा थी।

» बाबर के पिता, उमर शेख मिर्जा ने फरगना की घाटी पर शासन किया था ,। क्योंकि उस समय तुर्कों के बीच उत्तराधिकारी का कोई निश्चित कानून नही था।

» बाबर पर अपने परिवार की जिम्मेदारी बहुत कम उम्र मे ही आ गई थी । अपने पैतृक स्थान फरगना को वे जीत तो गए थे , लेकिन ज्यादा दिन तक वहाँ राज नही कर पाए , वे इसे कुछ ही दिनों मे हार गए । जिसके बाद उसे बहुत कठिन समय देखना पड़ा, और उन्होंने बहुत मुश्किल से जीवन यापन किया। लेकिन इस मुश्किल समय मे भी वे उनके कुछ वफ़ादारों ने उनका साथ नही छोड़ा। कुछ सालों बाद जब उसके दुश्मन एक दूसरे से दुश्मनी निभा रहे थे, तब इस बात का फायदा बाबर ने उठाया और वे 1502 मे अफगानिस्तान के काबुल को जीत लिए । जिसके बाद उन्हे पादशाह की उपाधि धारण मिल गई। पादशाह से पहले बाबर मिर्जा की पैतृक उपाधि धारण करता था  ।

» इसके साथ उन्होंने अपना पैतृक स्थान फरगना व समरकन्द को भी जीत लिया । बाबर की 11 बेगम थी , जिससे उसको 20 बच्चे हुए थे। बाबर का पहला बेटा हुमायु था  , जिसे उसने अपना उत्तराधिकारी बनाया था।

» मुगल बादशाह बाबर ने 11 शादियाँ की थी उनकी 11 बेगम थी जिनके नाम आयेशा सुल्तान बेगम , जैनाब सुल्तान बेगम, मौसमा सुल्तान बेगम , महम बेगम, गुलरूख बेगम , दिलदार बेगम, मुबारका युरुफझाई और गुलनार अघाचा था।

» अपनी बेगमों से बाबर के 20 बच्चे थे । बाबर ने अपने पहले बेटे हुमायु को अपना उत्तराधिकारी बनाया था।

बाबर को आया भारत आने का न्योता  

» मुगल सम्राट बाबर मध्य एशिया मे अपना कब्जा जमाना चाहता था लेकिन बाबर मध्य एशिया मे शासन करने मे असफल रहा लेकिन  फिर भी मुगल बादशाह के मजबूत इरादों ने उन्हे कभी हार नही मानने दी, उनके विचार हमेशा उनको आगे बढ़ने की प्रेरणा देते थे , यही वजह है की मुगल बादशाह की नजर भारत पर गई तब भारत की राजनीतिक दशा भी बिगड़ी हुई थी जिसका मुगल सम्राट ने फायदा उठाया और भारत मे अपना साम्राज्य फैलाने का फैसला लिया।

» मध्य एशिया मे जब बाबर अपना साम्राज्य नही फैला पाया, तब उसकी नजर भारत पर हुई। उस समय भारत की राजनीतिक स्थिति बाबर को अपना साम्राज्य फैलाने के लिए उचित लग रही है । उस समय दिल्ली के सुल्तान बहुत सि लड़ाइयाँ हार रहे थे, जिस वजह से विघटन की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।

» भारत के उत्तरी क्षेत्र मे कुछ प्रदेश अफ़गान और राजपूत के अंदर थे, लेकिन इन्ही के आस पास के क्षेत्र स्वतंत्र थे , जो अफगानी व राजपूतों नही आते थे। इब्राहीम लोदी जो दिल्ली का सुल्तान था, एक सक्षम शासक नही था, पंजाब के गवर्नर दौलत खान इब्राहीम लोदी के काम से बहुत असन्तुष्ट था।

» इब्राहीम के एक चाचा आलम खान जो दिल्ली की सल्तनत के लिए एक मुख्य दावेदार थे, बाबर को जानते थे। तब आलम खान और दौलत खान ने बाबर को भारत आने का न्योता भेजा। बाबर को ये न्योता बहुत पसंद आया, उसे ये अपने फायदे की बात लगी और वो अपने साम्राज्य को बढ़ाने के लिए दिल्ली चला गया।

» उस समय दिल्ली के सुल्तान कई लड़ाईया लड़ रहे थे जिस वजह से भारत मे राजनैतिक बिखराव हो गया । आपको बता दें, की उस समय भारत के उत्तर क्षेत्र मे कुछ प्रदेश अफ़गान और कुछ राजपूत के अंदर थे, लेकिन इन्ही के आस-पास के क्षेत्र स्वतंत्र थे, जो अफगानी और राजपूतों के क्षेत्र मे नही आते थे ।

» उस समय बाबर ने दिल्ली पर हमला किया था तब बंगाल, मालवा, गुजरात , सिंध , कश्मीर , मेवाड़, दिल्ली खानदेश , विजयनगर एवं विच्छिन बहमनी रियासतें आदि अनेक स्वतंत्र राज्य थे।

» बाबर ने अपनी किताब बाबरनामा मे भी पाँच मुस्लिम शासक और दो हिन्दू शसको का जिक्र किया है। सभी मुस्लिम शासक दिल्ली , मलवा , गुजरात और बहमनी से थे जबकि मेवाड़ और विजयनगर से दो हिन्दू  शासक थे।

» इसके साथ ही मुगल बादशाह बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा मे विजयनगर के तत्कालीन शासक कृष्णदेव राय को समकालीन भारत का सबसे ज्यादा बुद्धिमान और शक्तिशाली सम्राट कहा है।

» जब मुगल बादशाह ने दिल्ली पर आक्रमण किया था तब दिल्ली का सुल्तान इब्राहीम लोदी था लेकिन वो दिल्ली की सल्तनत पर शासन करने मे  सक्षम नही था यहाँ तक की पंजाब के सूबेदार दौलत खान को भी इब्राहीम लोदी का काम रास नही रहा था उस समय इब्राहीम के चाचा आलम खान दिल्ली की सलतनत के लिए एक मुख्य दावेदार थे और वे बाबर के बहादुरी और उसके कुशल शासन की दक्षता से बेहद प्रभावित थे इसलिए दौलत खाँ लोदी और इब्राहीम के चाचा आलम खा लोदी ने मुगल सम्राट बाबर को भारत आने का न्योता भेजा था ।

» वही ये न्योता बाबर ने खुशी से स्वीकार किया क्योंकि बाबर की दिल्ली की सलतनत पर पहले से ही नजर थी और उसने इस न्योते को अपना फायदा समझा और मुगल साम्राज्य का विस्तार भारत मे करने के  लिए दिल्ली चला गया।

» भारत पर पहला आक्रमण 1519 ई मे बजौर पर किया था और उसी आक्रमण मे ही उसने भेरा के किले को भी जीता था । बाबरनामा मे मुगल बादशाह बाबर ने भेरा के किले की जीत का उल्लेख किया है वही इस लड़ाई मे बहादुर शासक बाबर ने सबसे पहले बारूद और तोपखाने का भी इस्तेमाल किया था।

» मुगल बादशाह बाबर पानीपत की लड़ाई मे विजय हासिल करने से पहले भारत पर 4 बार आक्रमण कर चुका था जिसमे उसने जीत हासिल की थी। और अपने साम्राज्य को आगे बढ़ाया था ।

पानीपत की लड़ाई और बाबर की जीत  

» पानीपत की पहली लड़ाई बाबर की सबसे बड़ी लड़ाई थी । यह लड़ाई अप्रैल 1526 मे शुरू की गई थी जब बाबर की सेना ने उत्तर भारत मे लोदी साम्राज्य पर हमला किया था ।

» इस लड़ाई के लिए इब्राहीम लोदी के चाचा आलम खान और पंजाब के सूबेदार ने बाबर को पानीपत की लड़ाई के लिये न्योता भेजा था । वही कुशल शासक बाबर ने इस लड़ाई मे लड़ने से 4 बार पहले पूरी इसकी जांच की थी।

» वही इस दौरान जो लोग अफगनिस्तान के लोगों ने भी बाबर को अफ़गान मे आक्रमण करने का भी न्योता दिया था । यही नही मेवाड़ के राजा राना संग्राम सिंह ने भी बाबर इब्राहीम लोदी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए कहा क्योंकि इब्राहीम लोदी से राणा सिंह ही पुरानी रंजिश थी और वे अपनी इस रंजिश का बदला लेना चाहते थे ।

» जिसके बाद बाबर ने पानीपत की लड़ाई लड़ने का फैसला लिया । यह मुगल बादशाह द्वारा लड़ी सबसे पुरानी लड़ाई थी जिसमे गनपाउडर आग्नेयास्त्रों और तोपखाने का इस्तेमाल किया गया था। इस युद्ध मे इब्राहीम लोदी ने खुद को हारता देख खुद को मार डाला।

» जिसके बाद बाबर ने मुगल साम्राज्य का भारत मे विस्तार करने की ठानी । पानीपत की लड़ाई मे जीत मुगल सम्राट की पहली जीत थी । इस जीत से उन्होंने भारत मे मुगल साम्राज्य की शक्ति का प्रदर्शन किया था । और ये मुगलों की भी भारतीय इतिहास मे सबसे बड़ी जीत भी थी।

राणा सांगा के खिलाफ लड़ी खानवा की लड़ाई और बाबर की हार 

» खानवा की लड़ाई भी मुगल सम्राट बाबर द्वारा लड़ी गई लड़ाइयों मे से प्रमुख लड़ाई थी। बाबर ने खानवा के गाँव के पास यह लड़ाई लड़ी थी।

» पानीपत के युद्ध के जीत के बाद भी बाबर की भारत मे मजबूत स्थिति नही थी दरअसल जिस राजपूत शासक राणा शासक ने बाबर को लोदी के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिये भारत आने के लिए न्योता दिया अब उन्हे ही बाबर की पानीपत मे जीत और उसके भारत मे रहने  का फैसला खटकने लगा था।

» राणा सांगा मुगल सम्राट बाबर को विदेशी मानते थे और चाहते थे की  बाबर के भारत काबुल वापस चला जाए । इसी वजह से राणा सांगा ने बाबर के भारत मे शासन का विरोध किया और बाबर को भारत से बाहर निकलने के साथ दिल्ली और आगरा को जोड़कर अपने क्षेत्र का विस्तार करने का फैसला किया।

» हालांकि बाबर ने भी राणा सिंह को खुली चुनौती दी और राणा संग्राम सिंह की इस योजना को बुरी तरह फेल कर दिया और बाबर की सेना ने राणा सांगा की सेना को कुचल दिया। आपको बता  दें की खानवा की लड़ाई मे राणा संग्राम सिंह के साथ कुछ अफगानी शासक भी जुड़ गए थे।

» लेकिन अफगानी चीफ को भी हार का सामना करना पड़ा था । खनवा की लड़ाई 17 मार्च 1527 मे लड़ी गई इस लड़ाई मे बाबर की सेना ने युद्ध मे इस्तेमाल होने वाले नये उपकरणों का इस्तेमाल किया गया जबकि राजपूतों ने हमेशा की तरह अपनी लड़ाई लड़ी और वे इस लड़ाई मे बाबर से बुरी तरह हार गया।

अफगानी शसको के खिलाफ घागरा की लड़ाई  

» राजपूत शासक राणा संग्राम सिंह को हराकर बाबर ने जीत तो हासिल कर ली लेकिन इसके बावजूद भी भारत मे मुगल शासक बाबर की स्थिति इतनी मजबूत नही हुई थी दरअसल उस समय बिहार और बंगाल मे कुछ अफगानी शासक शासन कर रहे थे जिन्हे बाबर का भारत मे राज करना रास नही आ रहा था। जिसके बाद बाबर को अफगानी शासकों के विरोध का सामना करना पड़ा था,। मई 1529 मे बाबर ने घागरा मे सभी अफगानी शासकों को हराकर जीत हासिल की।

» बाबर कम उम्र से ही अपने जीवन मे इतनी लड़ाइयों का सामना कर चुके थे । की अब तक वो एक मजबूत शासक बन गया था और उसके पास एक बड़ी सेना भी तैयार हो गई थी अब बाबर को चुनौती देने से कोई भी शासक डरने लगा था ।

» इस तरह से भारत मे तेजी से मुगल साम्राज्य का विस्तार किया और भारत मे जमकर लूट- पाट की । इतिहास के पन्नों पर बाबर की वीरता के साथ उसके क्रूरता के भी कई उदाहरण हैं दरअसल बाबर अपने फायदे  के लिए नरसंहार करने से भी नही हिचकिचाता था।

» बाबर पूजा-पाठ मे यकीन नही करता था उसने अपने शासनकाल मे भारत मे कभी किसी हिन्दू को मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए नही कहा। बाबर ने अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए आगरा, उत्तरप्रदेश मे एक सुंदर सा बगीचा भी बनवाया था।

बाबर द्वरा मुगल साम्राज्य की स्थापना  

» बाबर अब भारत मे तेजी से मुगल साम्राज्य का विस्तार कर रहा था और अब तक बाबर का शासन कंधार से बंगाल की सीमा के साथ राजपूत रेगिस्तान और रणथंभौर , ग्वालियर और चँदेरी के किले समेत दक्षिणी सीमा के अंदर सुरक्षित हो चुका था।

» हालांकि , कोई स्थगित प्रशासन नही था, केवल झगड़ा करने वाले प्रमुखों की एक कंजरी थी। मुगल शासक ने अपना साम्राज्य का विस्तार तो कर लिया था लेकिन अभी  भी उसे शांत और संगठित किया जाना था। इस यह एक अनिश्चित विरासत थी जिसे बाबर की मौत के बाद उसके बड़े बेटे हुमायु को सौंप दी गई।

मुगल बादशाह बाबर की मृत्यु  

» मुगल बादशाह बाबर ने अपने आखिरी समय मे लग भग भारत के ज्यादातर इलाकों मे मुगल साम्राज्य का विस्तार कर दिया था बाबर ने पंजाब , दिल्ली और बिहार जीत लिया था। बाबर ने अपनी मौत से पहले अपनी आत्मकथा बाबरनामा लिखी थी जिसमे उसमे अपनी बहादुरी की सभी छोटी -बड़ी बातों का जिक्र किया था इसके साथ ही बाबरनामे मे मुगल शासक ने उसके जीवन की सभी लड़ाइयों का भी उल्लेख किया था ।

» 1530 मे बाबर की मौत बीमारी की वजह से हो गई थी बाबर का अंतिम संस्कार अफगानिस्तान मे जाकर हुआ था । बाबर की मौत के बाद उसके बड़े बेटे हुमायु को मुगल साम्राज्य का उत्तराधिकारी बनाया गया और उन्होंने दिल्ली की सल्तनत पर राज किया ।

 

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बाबर का विरासत  

» बाबर को मुगल साम्राज्य का संस्थापक माना जाता है , भले ही मुगल साम्राज्य को उनके पोते अकबर ने मजबूती दी थी लेकिन बाबर का कुशल और शक्तिशाली नेतृत्व अगले दो पीढ़ियों को प्रेरित करता रहा बाबर का व्यक्तित्व संस्कृति , साहसिक उतार – चढ़ाव और सैन्य प्रतिभा जैसी खूबिया से भरा हुआ था ।

» बाबर एक आकर्षक और धनी प्रतिभा का व्यक्तित्व था। वो एक शक्तिशाली , साहसी , कुशल और भाग्यशाली होने के साथ मुगल साम्राज्य का निर्माता था । बाबर एक प्रतिभाशाली तुर्की कवि भी  था, जो  प्रकृति से बेहद प्रेम करता था।

» जिसने अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए बगीचों का भी निर्माण करवाया था । इसके साथ ही बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा भी लिखी थी। जिसका तुर्की से फारसी मे अनुबाद 1589 मे शासनकाल मे किया गया था ।

» मुगल बादशाह बाबर को उज्बेकिस्तान का राष्ट्रीय नायक भी माना जाता था, और उनकी कई कविताए उनकी लोकप्रिय उज़्बेक लोक गीत बन गए । अक्टूबर 2005 मे, पाकिस्तान ने उनके सम्मान मे उनके नाम से बाबूर क्रूज मिसाइल विकसित की थी।

बाबर द्वारा निर्मित स्मारक  

» 1526 मे बाबर का भारत पर पूर्ण रूप से आधिपत्य स्थापित हो गया था, जिसमे 1526 को पानीपत के प्रथम युद्ध मे इब्राहिम लोदी को बाबर द्वारा करारी हार का सामना करना पड़ा था । इस विजय के बाद पानीपत मे बाबर ने के मस्जिद का निर्माण किया था जिसे बाबर के पानीपत विजय के प्रतीक के रूप मे बनाया गया था । जिसे पानीपत मस्जिद के नाम से जाना जाता है।

» अपने सैन्य के प्रमुख सेनापति मीर बांकी के निगरानी मे बाबर ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर मे रामकोट यानि के राम मंदिर के जगह पर एक मस्जिद बनाई थी जो के , बाबर मस्जिद के नाम से प्रसिद्ध हुई थी।

» हालांकि इस दोनों वास्तुओ के अतिरिक्त बाबर के कार्यकाल मे जामा मस्जिद , काबुली बाग मस्जिद इसके अलावा अन्य कुछ भी स्मारक के निर्माण की जानकारी उपलब्ध नही है।

Author: Hindi Rama

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