क्यों राम नें शबरी के झूठे बेर खाए ? – Why Did Ram Eat The Sour Berries Of Shabri ? Sabri Ke Jhuthe Ber ।

क्यों राम नें शबरी के झूठे बेर खाए ? - Why Did Ram Eat The Sour Berries Of Shabri ? Sabri Ke Jhuthe Ber । Hindirama.com

क्यों राम नें शबरी के झूठे बेर खाए ? – Why Did Ram Eat The Sour Berries Of Shabri ?

» शबरी के जूठे बेर रामायण मे एक ऐसा प्रसंग है जो भक्त और भगवान के बीच के अनोखे रिश्ते को दिखाता है । माता शबरी कई वर्षों से श्री राम के आने की प्रतीक्षा कर रही थी । वह प्रतिदिन उनके लिए अपनी कुटिया सजाती और बेर को चख कर देखती की कही वे खट्टे तो नही है। यह शबरी कीभक्ति ही थी । की उसे अपने ईश्वर की सेवा करने के अलावा किसी भी चीज की चिंता नही थी ।

» वही कुछ लोगों का यह प्रश्न होता है की क्या राम ने शबरी के जूठे बेर खाए थे ? तो यहाँ हम उन्ही प्रश्नों के बारे मे विस्तार रूप से जानेंगे इस प्रसंग को पढ़ कर अवश्य ही आपका मन भी शीतल हो जाएगा ।

शबरी के जूठे बेर रामायण  

» प्रातः काल का समय था, राम भक्ति मे डूबी शबरी प्रतिदिन की भांति रास्ते  मे पुष्प बिछा रही थी । उसका मानना था की श्री राम एक दिन इसी रास्ते से उनकी कुटिया मे आएंगे । उन्हे क्या पता था की अब उनकी प्रतीक्षा समाप्त होने को आई है। वह अपनी बूढ़ी हो चुकी आँखों से चुन – चुनकर पुष्प बिछा रही थी । वह रास्ते से कंकड़ – पत्थर हटा रही थी की तभी सामने दो वनवासी आकर खड़े हो गए।

» अभी कुछ देर पहले ही गाँव के लोग बेचारी की भक्ति को पागलपन बताकर उसका उपहास करके गए थे । वे बोल रहे थे की माई , नही आने वाले तेरे श्री राम , और आएंगे भी तो तेरी फटेहाल मे क्यों आएंगे । गाँव मे अन्य बहुत बड़े-बड़े घर व महल हैं, वे  तो वहाँ रुकेंगे ना।

» बेचारी ने सोचा वापस वही लोग तंग करने और उसका उपहास करने आ गए हैं। बूढ़ी हो चुकी शबरी उन  वनवासियों को पहचान बह नही पाई की सामने आखिर खड़ा कौन है। खिन्न होकर बोली, यहाँ से हट जाओ , मेरे राम यही से आएंगे । तुम रोज-रोज आकर मेरे पुष्पों पर पैर मत रखा करो। बहुत मुश्किल से चुने हैं मैंने यह कोमल पुष्प ताकि मेरे श्री राम को कोई कठिनाई ना हो।

» दोनों वनवासी प्रसन्न होकर बोला , माँ तुम्हारी प्रतीक्षा समाप्त हो गई, तुम्हारा राम आ गया। मैं ही  राम हूँ और ये मेरा अनुज लक्ष्मण । कैसी हो आप माँ ? हमे अपनी कुटिया मे नही ले चलोगी ।

» यह सुनना ही था की शबरी सबकुछ भूल गई । बेचारी इतने वर्षों से जिनकी प्रतीक्षा कर रही थी, पुष्प बिछा रही थी ,  कंकड़ -पत्थर चुन-चुनकर हटा रही थी , आज वे स्वयं आए तो उन्हे ह नही पहचान पाई।

» प्रभु को सामने देखकर भी ना पहचान पाने से बेचारी को इतनी आत्म-ग्लानि अनुभव हुई की प्रभु चरणों मे गिर पड़ी और धो डाले आँसुओ से नारायण के पैर । शबरी लगातार राये जा रही थी और आँसू टप- टप करके प्रभू चरणों मे गिर रहे थे । श्री राम ने भी उन्हे हटाया नही। आखिर प्रेम  के यह आँसू और कहा से मिलते उन्हे , स्वयं क्षीर सागर भी धन्य हो गया होगा  इन्हे  पाकर ।

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» प्रभु बोले माँ हम बहुत थक चुके हैं अपनी कुटिया मे लेकर नही चलोगी । यह सुन एकदम से खड़ी हो गई वह और हाथ पकड़कर ले गई अंदर कुटिया मे। अंदर गए तो दोनों को जल्दी से आसन पर बिठाया फिर पुछा , प्रभु बहुत दूर से  आए हो , अवशव भूख लगी होगी। इतना कहकर लंगड़ाती हुई अपनी कुटिया के भीतर गई और ले आई अपने झूठे बेर ।

» वह प्रतिदिन प्रभु  के लिए बाग से ताजा बेर तोड़कर लाती थी । कहीं प्रभु को खट्टे ना लगे, इसलिए थोड़ा सा चखकर भी देख लेती थी। खट्टे होते तो फेंक देती और जो मीठे होते वही टोकरी मे  टिक पाते।

क्या श्री राम ने शबरी के झूठे बेर खाए थे?

» बड़े ही भक्तिभाव व भोलेपन से प्रभु के सामने झूठे बेर लाकर रख दिए । कोई और सोच भी नही सकता था की भगवान को झूठा भोग लगाया जाए। लक्ष्मण ने जब यह देखा तो प्रभु का अपमान महसूस किया। लेकिन यह क्या, श्री राम तो खुशी से एक-एक बेर उठाकर खाने लगे जैसे की बहुत भूखे हो।

» प्रभु बेर खा रहे थे, शबरी उन्हे देखे जा रही थी और बेचारे लक्ष्मण अचंभित थे।  बीच मे शबरी ने पुछा ही लिया, प्रभु बेर मीठे है ना, मैंने एक-एक चख कर देखे हाँ ताकि आपको खट्टे ना लगे । श्री राम ने भी तपाक से बोल दिया की माँ, इतने मीठे बेर तो बैकुंठ मे भी ना मिले , । बस शबरी को और क्या चाहिए था, बरसों  का परिश्रम रंग जो लाया था।

» लक्ष्मण अभी भी अचंभित ही थे ।  वे सोच रहे थे जिनको भक्त अपने खाने के पहले उन्हे भोग लगाते हैं, व फिर प्रसाद रूप मे खाते हैं । आज वही एक नादान महिला के झूठे बेर क्यों खा रहे हैं।

» वे क्या जानते थे की प्रभु ने शबरी के झूठे बेर खाकर क्या संदेश दे दिया। प्रभु के लिए सच्चा -झूठा भक्त की दी वस्तु से नही बल्कि उसके मन से रखती है । दूसरों का छीना हुआ, कपट से कमाया या अधर्म के पैसों का छप्पन भोग भी भगवान को लगा दो तो वह शबरी के झूठे बेर के आगे फीका ही रहेगा ।

» इस तरह से शबरी के जूठे बेर रामायण की एक महत्वपूर्ण शिक्षा बनकर सामने आते हैं। आशा है की आपको रामायण का यह प्रसंग पसंद आया होगा ।

Author: Hindi Rama

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