
माँ और बेटे की गरीबी । माँ की मजबुरी – Motivational Story In Hindi
» एक छोटा स गाँव था , सूरजपुर । नाम तो सूरजपुर था , पर गरीबी के बादलों ने वहाँ के कई घरों की चमक छीन ली थी। इसी गाँव के एक छोर पर एक छोटी सी , टूटी- फूटी झोपड़ी थी, जहाँ लक्ष्मी अपने दस वर्षीय बेटे राहुल के साथ रहती थी।
» लक्ष्मी के पति का स्वर्गवास तब हो गया था, जब राहुल मात्र दो साल का था । तब से लक्ष्मी ने अकेले ही राहुल को पाला पोषा था, हर मुश्किल का सामना करते हुए।
संघर्ष के दिन ,,,,,
» लक्ष्मी के लिए जीवन एक अनवरत संघर्ष था। वह सुबह सूरज की पहली किरण के साथ उठ जाति थी । कभी खेलों मे मजदूरी करती , तो कभी गाँव के अमीर घरों मे चौका – बर्तन । उसके हाथ कठोर हो गए थे। पैरों मे बिवाइयाँ फट गई थी। लेकिन उसके चेहरे पर अपने बेटे राहुल के लिए एक अद्भुत तेज था।
» दिन भर की कमर तोड़ मेहनत के बाद जो कुछ पैसे मिलते , उससे बड़ी मुश्किल से दो वक्त की रोटी जुट जाति थी । कई राते ऐसी भी गुजरी जब लक्ष्मी खुद भूखी सो जाति । पर राहुल के पेट मे अन्न का एक दाना जरूर डालती ।
» राहुल अपनी माँ की तकलीफों को समझता था । वह उम्र मे छोटा था , पर उसकी आंखे समय से पहले ही बड़ी हो गई। वह अपनी माँ को दिन रात खटते देखता और उसका छोटा सा दिल पीड़ा से भर जाता । वह अक्सर अपनी माँ से कहता माँ तुम इतना काम क्यूँ करती हो ? अब से मै भी तुम्हारे साथ चलूँगा ।
» लक्ष्मी उसके सर पर हाथ फेरती और कहती, नही बेटा, अभी तुम्हारी पढ़ने – लिखने की उम्र है । तुम बस मन लगाकर पढ़ो । जब तुम बड़े आदमी बन जाओगे , तब हमारे सारे दुःख दूर हो जाएंगे ।
» राहुल अपनी माँ की बात गांठ बाँध लेता । गाँव के सरकारी स्कूल मे उसका नाम लिखा था । फटे – पुराने कपड़े और टूटी स्लेट और आधी पेंसिल के साथ वह रोज स्कूल जाता था । उसके पास कितबे खरीदने के पैसे नही थे , तो वह अपने सहपाठियों से पुरानी किताबे माँग लेता या पुस्तकालय मे बैठकर पढ़ता । वह पढ़ाई मे बहुत होशियार था । शिक्षक भी उसकी लग्न और प्रतिभा देख के हैरान थे।
आशा की किरण ,,,,,,
» एक दिन स्कूल मे चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन हुआ । राहुल को चित्र बनाना बहुत पसंद था , पर उसके पास रंग खरीदने के पैसे नही थे। उसने अपनी माँ को बताया । लक्ष्मी का दिल बैठ गया ।
» वह जानती थी राहूल कितना प्रतिभाशाली है , पर उसकी गरीबी उसके सपने के आड़े आ रही थी । उस रात लक्ष्मी सो नही पाई। अगले दिन उसने गाँव के सबसे अमीर जमींदार से जाकर और अधिक काम माँगा।
» उसने कहा कि वह दुगुनी मेहनत करेगी , बस उसे कुछ पैसे एडवांस मे दे दे। जमींदार की पत्नी को लक्ष्मी की ईमानदारी पर भरोसा था। उन्होंने उसे कुछ पैसे दे दिए ।
» लक्ष्मी भागती हुई बाजार गई और राहुल के लिए रंगों का एक छोटा सा डिब्बा और ड्राइंग शीट ले आई। राहुल की खुशी का ठिकाना ना रहा । उसने अपनी माँ को कस कर गले लगा लिया ।
» उस प्रतियोगिता मे राहुल ने एक चित्र बनाया – एक माँ जो अपने बच्चे को गोद मे उठाए कड़ी धूप मे काम कर रही थी , और उसके चेहरे पर थकान के बावजदू एक उम्मीद की मुस्कान है। उस चित्र ने सभी का दिल जीत लिया ।
» राहुल को प्रथम पुरस्कार मिला । पुरस्कार मे उसे कुछ नगद राशि और एक प्रमाण पत्र मि ला।
» यह राहुल और लक्ष्मी के जीवन की पहली बड़ी खुशी थी। उस दिन लक्ष्मी ने अपनी झोपड़ी मे छोटा सा उत्सव मनाया । उसने थोड़े से आटे की पुड़िया बनाई और राहुल को पेट भर खिलया ।
चुनौतियाँ और दृढ़ संकल्प ,,,,
» जैसे जैसे राहुल थोड़ा बड़ा होता गया, खर्चे भी बढ़ते गए। आठवीं कक्षा के बाद उसे शहर के स्कूल मे भेजना था । क्योंकि गाँव मे आगे की पढ़ाई की व्यवस्था नही थी। शहर मे रहने और पढ़ने का खर्च लक्ष्मी की पहुँच से बाहर था ।
» उसने हिम्मत नही हारी । उसने गाँव के सरपंच और स्कूल के अध्यापकों से मदद माँगी । राहुल के प्रतिभा और लक्ष्मी के संघर्ष को देख कर सभी ने मिलकर थोड़ी – थोड़ी मदद की । राहुल को शहर के एक साधारण से हॉस्टल मे दाखिला मिल गया ।
» शहर मे राहुल के लिए जीवन और भी कठिन था । वहाँ उसे तरह तरह के बच्चे मिलते , कुछ अमीर घरों के जो उसका मजाक उड़ाते । पर राहुल ने कभी हिम्मत नही हारी । उसे अपनी माँ का थका हुआ चेहरा याद आता था और उसका संकल्प और दृढ़ हो जाता था ,। वह दिन रात पढ़ाई करता । हॉस्टल का खाना उसे पसंद नही था ।
» माँ के हाथ के रूखे – सूखे खाने की उसे बहुत याद आती। वह अपनी माँ को पत्र लिखता और बताता कि वह ठीक है, ताकि माँ चिंता ना करे।
» लक्ष्मी गाँव मे अकेली रह गयी थी। राहुल की याद उसे हर पर सताती । पर वह अपने आँशु पी जाति। वह और अधिक मेहनत करने लगी ताकि राहुल को पैसे भेज सके । कभी- कभी वह के एक ही साड़ी को कई – कई दिनों तक पहनती , अपने लिए कुछ भी नही खरीदती , बस पैसे बचा कर राहुल के लिए भेजती ।
सफलता की ओर कदम ,,,,, ,
» राहुल ने दसवीं की कक्षा मे पूरे जिले मे टॉप किया । यह खबर जब गाँव मे पहुंची , तो लक्ष्मी की खुशी का ठिकाना ना रहा । उसकी आखो से खुशी के आँसू बह निकले । गाँव वालों ने भी लक्ष्मी को बधाई दी। यह सिर्फ राहुल की नही , बल्कि लक्ष्मी के तप और त्याग की भी जीत है।
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» इसके बाद राहुल को एक अच्छी स्कॉलरशिप मिल गई। जिससे उसकी आगे की पढ़ाई का खर्च निकल गया ,। उसने विज्ञान विषय चुना और इंजीनियरिंग की तैयारी करने लगा। कई राते उसने जाग कर पढ़ाई की है। उसकी मेहनत रंग लाई और उसका चयन देश के एक प्रतिष्ठित इंजिनीरींग कॉलेज मे हो गया।
» लक्ष्मी जब यह खबर सुनने शहर आए, तो राहुल उसे देखकर रो पड़ा। उसने अपनी माँ के पैरों मे गिरकर कहा, माँ यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है। तुम्हारे बिना मै कुछ भी नही था । लक्ष्मी ने उसे उठाकर गले लगा लिया । उसकी झुर्रियां भरे चेहरे पर संतोष और गर्व की अद्भुत चमक थी।
एक नया सवेरा ,,,,,
» चार साल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद राहुल को एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी मे नौकरी मिल गई। उसकी पहली तनख्वाह जब आई, तो उसने सारे पैसे अपने माँ के हाथों मे रख दिया । लक्ष्मी ने कांपते हाथों से वे नोट पकड़े , उसकी आँखों से अविरल अश्रुधारा बह रही थी । ये दुःख के नही, बल्कि बरसों के संघर्ष के सुखद अंत के आँसू थे।
» राहुल अपनी माँ को अपने साथ शहर ले गया। उसने एक अच्छा सा घर किराये पर लिया । अब लक्ष्मी को काम करने की कोई जरूरत नही थी। राहुल ने उसके लिए अच्छे कपड़े खरीदे , उसके खाने – पीने का ध्यान रखा। । वह अपनी माँ को हर वह सुख देना चाहता था , जिससे वह वंचित रही थी।
» लक्ष्मी को शहर का जीवन अजीब लगा। पर राहुल के प्यार और देखभाल ने उसे जल्द ही सहज कर दिया । वह सुबह उठकर अपने बेटे के लिए नाश्ता बनाती। उसका टिफिन तैयार करती, । शाम को जब राहुल ऑफिस से लौटता , तो दोनों साथ बैठकर बाते करते, पुराने दिनों को याद करते और हँसते ।
» राहुल ने अपनी माँ से वादा किया था कि वह बड़ा आदमी बनकर उनके सारे दुःख दूर कर देगा, और उसने अपना वादा निभाया । उसने ना सिर्फ अपने परिवार की गरीबी दूर की , बल्कि अपने गाँव सूरजपुर के लिए भी बहुत कुछ किया। उसने गाँव के स्कूल के लिए दान दिया , गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए एक फंड शुरू किया । ताकि कोई और राहुल के जैसे पैसों की कमी की वजह से पीछे न रह जाए।
प्रेरणा ,,,,….,,,,
» लक्ष्मी और राहुल की कहनी सिर्फ गरीबी से अमीरी तक पहुँचने की कहनी नही है। बल्कि यह माँ के असीम प्यार और त्याग म दृढ़ संकल्प और शिक्षा की शक्ति की कहनी है, । यह कहनी हमे सिखाती है , कि परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों ना हो , मगर मन मे लग्न और हौसला हो तो , कोई भी बाधा हमे सफल होने से नही रोक सकती ।
» लक्ष्मी ने अपने बेटे के सपनों को पूरा करने के लिए सबकुछ न्यौछावर कर दिया । और राहुल ने अपनी माँ के बलिदान को को व्यर्थ नही जाने दिया। उनकी कहानी पीढ़ियों तक लोगों को प्रेरित करती रहेगी कि मेहनत और ईमानदारी का फल हमेशा मीठा होता है, और माँ का आशीर्वाद दुनिया की सबसे बड़ी दौलत है ।