
» स्टेशन मास्टर – ट्रेन का टाइम तो यही लिखा था। ” ऊपर से इतनी ठंड हैं । कि मेरा दिमाग ही जम रहा है । कसम से तबादला लेकर पछता रहा हूँ । “
तभी स्टेशन मास्टर को ट्रेन के हॉर्न की आवाज सुनाई दी । उसने जब सामनें देखा तो ट्रेन तेज रफ्तार से धूल उड़ाते हुए आ रहीं होतीं हैं । स्टेशन मास्टर भी ट्रेन को आते देख हाथ में लिए हरी लालटेन को हिलाने लगता हैं।
पर उसने तेज रफ्तार ट्रेन के साथ एक और चीज देखी जो ट्रेन की रफ्तार से ही उसके पास आ रहीं थीं ।
स्टेशन मास्टर – ये क्या बल हैं । ” जो इतनी तेज रफ्तार ट्रेन के साथ दौड़ रहीं हैं ? अरें , यह तो मेरी ही तरफ आ रहीं हैं । “स्टेशन मास्टर इससे पहले कुछ समझ पाता , उस चीज नें एक भयानक चीख के साथ स्टेशन मास्टर के जिस्म से गुजरते हुए स्टेशन मास्टर के चीथड़े उड़ा दिए ।
24 साल बाद ...
अनिल – पूरा स्टेशन ही शमशान की तरह सुनसान पड़ा हुआ हैं । ” ना आदमी हैं और ना ही कोई परिंदा ” बस यही एक इंसान दिखा हैं । जरा पुछूँ तो कि मेरी ट्रेन किस प्लेटफार्म पर आने वाली हैं ?
अनिल – सुनिए भाई साहब । ये मुंबई जाने वाली ट्रेन किस प्लेटफार्म पर आएगी ? ” हैलो सुनो भाई साहब … आप सुन तो रहें हैं ना ?” कोई जवाब ना आने पर , अनिल उस शख्स के आओर करीब गया लेकिन उसने जो देखा उसे देख उसके पैरों तलें जमीन खिसक गई ।
वह शख्स अपनें हाथ को लहूलुहान कर स्टेशन पर लिखे नाम ( भोजपुर ) को काटकर उसकी जगह मौतपुर लिख रहा था । यह देखकर अनिल बहुत ही घबरा गया । क्योंकि एक तो वहाँ उन दोनों के सिवा कोई भी नहीं था । और ऊपर से वह शख्स इतनी डरावनी हरकत कर रहा था ।
अनजान शख्स – पागल आदमी । भाग जाओ यहाँ से , ” वरना वो आयेगी और तेरे जिस्म को भी चीरते हुए निकल जाएगी । अगर अपनी जान प्यारी हैं तो जा चला जा यहाँ से । ” इतना कहकर वो पागल अनजान शख्स वहाँ से भागता हुआ चला गया।
तभी अनिल के कंधे पर किसी नें हाथ रखा , और अनिल हाथ देखकर बहुत घबरा गया । पीछे मुड़कर देखा तो वह स्टेशन मास्टर था ।
स्टेशन मास्टर – आप कौन हों ? “और इस वक्त यहाँ स्टेशन पर क्या कर रहें हों ? “
अनिल – दरअसल , ” मुझे मुंबई जाना हैं । ये रही मेरी टिकट अब मुझे पता नहीं हैं कि ये ट्रेन किस प्लेटफार्म पर आएगी ? क्या आप मुझे बता सकतें हैं ? “
स्टेशन मास्टर – अच्छा , ” तो तुम हो वो पहले यात्री जो 24 साल बाद इस स्टेशन से अपनी ट्रेन पकड़ेगा। “
अनिल – 24 साल बाद… ये क्या बोल रहें हों आप ?
स्टेशन मास्टर – हाँ क्योंकि , इन 24 सालों मे इस स्टेशन पर एक भी ट्रेन नहीं रुकी और अगर रुकी भी तो उसनें किसी को जींदा नहीं छोड़ा ।
अनिल – ऐसा क्या हुआ था 24 साल पहले , ” और कौन लोगो को जींदा नहीं छोड़ेगे ? स्टेशन मास्टर साहब मुझे बहुत डर लग रहा हैं । ” आप ये क्या कह रहें हैं ?
स्टेशन मास्टर – डरते क्यों हों ? उसने अपना इंतकाम ले लिया हैं । ” अब वो किसी को नहीं मारेगी । चलों , मैं तुमको इस स्टेशन की कहानी सुनता हूँ ।
और वैसे भी तुम्हारी ट्रेन आने मे अभी बहुत वक्त हैं… अब सुनो कहानी … तो आज से 24 साल पहले यजन एक स्टेशन मास्टर था… जिसका नाम मनोहर था ।
फ़्लैश बैक ……
मनोहर – बेटी लक्ष्मी , “आज फिर तेरी वजह से लेट हो जाऊंगा मैं , रोज तू ऐसा ही करती हैं । “
लक्ष्मी – पिताजी, ” बस एक मिनट। पहले आप ये स्वेटर पहनिए और मफ़लर भी , क्योंकि बाहर बहुत सर्दी हैं । ” अगर मैं ना रहूँ तो आप 2 दिनों में ही अपनी तबीयत खराब करकें बैठ जाएं ।
मनोहर – हाँ हाँ देख रहा हूँ , ” तुम बेटी से धीरे- धीरे मेरी माँ बनती जा रहीं हों । तुम तो शादी करके अपने घर चली जाओगी , मगर मुझे तो अकेला ही रहना हैं । ”
लक्ष्मी – मैं कहीं नहीं जाने वाली , ” आपकों छोड़कर पिताजी , और अगर किसी नें मुझे आपसे दूर करने की कोशिश भी की ना , तो मैं उसका खून पी जाऊँगी । “
मनोहर – तेरा गुस्सा हमेशा नाक पर पर ही बैठा रहता हैं । ” पता नहीं अपने पति का क्या हाल करेगी तू ? ” चल अब मैं चलता हूँ , मेरी ट्रेन आने वाली हैं अगर टाइम से सिग्नल नहीं दिया तो हजारों पैसेंजर खमाखा परेशान हो जाएंगे ।
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ट्रेन के कम्पार्ट्मन्ट में……
सुरेश – यार अमन । ” घंटों से ऐसे ही चले जा रहें हैं । क्या बकवास ट्रेन हैं ये ? हम तीनों के अलावा और कोई नहीं हैं पूरे कम्पार्ट्मन्ट मे । ”
राहुल – हाँ यार , अमन । ” तू बिल्कुल ठीक कह रहा हैं । पूरे कम्पार्ट्मन्ट मे सिर्फ सुरेश और हम दोनों ही हैं । अरें , जब अकेले ही जाना था । तो गाड़ी से ही आ जाते । ये ट्रेन मे खटर -खटर करते हुए जाने किं क्या जरूरत थीं ? “
अमन – अरें, ” चुप बैठो तुम दोनों । बहुत सुन ली तुम्हारी । जिन लड़कियों से बात करी थीं साथ चलनें की वो तो आई नहीं तो इसमे मैं क्या कर सकता हूँ ? “
सुरेश – ” लड़किया साथ नहीं आई तो क्या हुआ ? रास्ते में किसी को उठा लेंगे ? वैसे भी तेरा बाप मिनिस्टर हैं फिर किस बात की टेंशन हैं तुझे ? “
अमन – अच्छा रुकों , मैं करता हूँ कुछ इंतजाम । सबको मजा आएगा ।
इधर स्टेशन मास्टर अपना खाना और कपड़े ले जाना भूल जाता हैं । इसलिए लक्ष्मी घर से खाना और कपड़े लेकर स्टेशन की ओर निकलती हैं ।
लक्ष्मी – “आज फिर सब कुछ भूल कर काम पर चलें आए ना पिताजी ? मैं ना रहूँ तो पता नहीं आप अपना ख्याल कैसे रखेंगे ? “
मनोहर – ” अच्छा हुआ तू आ गई बेटी । बहुत तेज भूख लागि हैं मुझे ” मनोहर ने जब भूख की बात करी तों , लक्ष्मी नें मनोहर को खाने का डिब्बा , स्वेटर और मफ़लर पकड़ाते हुए कहा , कि पिताजी अच्छा रुकों , मैं अभी पानी लेकर आती हूँ । फिर हम दोनों ही खाना शुरू करेंगे ।
इतना कहकर लक्ष्मी पानी लेने के लिए बढी ही थीं ,कि तभी एक ट्रेन आकर स्टेशन पर खड़ी हुई । और स्टेशन के लाउड स्पीकर से आवाज आई ।
यात्रीगण कृपया ध्यान दे , ” मुंबई जाने वाली ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 2 पर आ चुकी हैं । “
लक्ष्मी पानी लेने के लिए जा ही रहीं थीं कि तभी ट्रेन का दरवाजा खुला और अमन , सुरेश व राहुल तीनों ही दरवाजे पर खड़े लक्ष्मी को देख हँस रहें थें ।
राहुल – अरें मौका सही हैं, ” मैं तो कहता हूँ उठा लों इसे “
अमन – हाँ अमन उठा लों । किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा । नया ट्रेन के कम्पार्ट्मन्ट में कोई हैं और ना स्टेशन पर ।
जब किसी को कुछ पता ही नहीं चलेगा । तो फिर डर कैसा ? और भूल मत तेरा बाप मिनिस्टर हैं मिनिस्टर ।
राहुल और सुरेश की बातें सुन अमन ने दबें पैरों से लक्ष्मी को दबोच लिया, और जबरदस्ती उसे अपने साथ ट्रेन के अंदर ले जाने लगा। जिसमे राहुल और सुरेश भी उसकी मदद करने लगे ।
लक्ष्मी – चिल्लाते हुए , पिताजी बचाओ , पिताजी बचाओ , ” पिताजी ए लोग जबरदस्ती मुझे ट्रेन के अंदर ले जा रहें हैं ” तभी लक्ष्मी की चीख सुन , मनोहर तुरंत ही लक्ष्मी को बचाने दौड़ पड़ा। लेकिन तब तक अमन , राहुल और सुरेश लक्ष्मी को ट्रेन के अंदर लाकर दरवाजा बंद कर चूकें थें ।
मनोहर – रोता हुआ । मेरी बेटी को छोड़ दो । मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूँ , छोड़ दो मेरी बेटी को ,मनोहर अपनी बेटी को बचाने के लिए गिड़गिड़ा ही रहा था कि ट्रेन भी चलने लगी । मनोहर भी ट्रेन के साथ दौड़ने लगा ।
लक्ष्मी किसी तरह खुद को बचाकर खिड़की के पास आ गई और वह अपने पिता को देख रोते हुए बोली । कि पिताजी मुझे इन लोगो से बचा लो । ये बहुत गंदे लोग हैं । यह सब लक्ष्मी खूब रोते हुए बोल रही थीं । ” अमन ने लक्ष्मी के बाल पकड़े और , खिड़की से दे मारा । जिससे उसके सिर से खून निकलने लगा ।
लक्ष्मी के साथ यह सब होता देख मनोहर को सदमा लग गया था । ” लेकिन ट्रेन की रफ्तार इतनी तेज हो चुकी थीं , कि मनोहर का पैर फिसला और एक चीख के साथ , ट्रेन नें भी उसके टुकड़े कर दिए । “
अपने पिता की चीख सुनकर लक्ष्मी को पता चल गया । कि उसके पिता अब इस दुनियाँ में नहीं रहें । उसने थोड़ी सी हिम्मत दिखाई और अमन का मुहँ नोचकर वो दरवाजे पर आ खड़ी हुई और उन तीनों से कहा ।
लक्ष्मी – जिस तरह तुमनें मेरी दुनियाँ उजाड़ दी हैं , ” मैं भी तुमकों मिट्टी में मिला दूँगी । याद रखना … मैं जब तक तुम लोगों के खून से नहा नहीं लेती , मेरी आत्मा को शांति नहीं मिलेगी । “
यह कहकर लक्ष्मी ट्रेन से कूदकर अपनी जान दे देती हैं ।
अनिल – पर आपनें तो कहा था कि लक्ष्मी नें अपना बदला ले लिया है। मगर उसने तो ट्रेन आगे कूदकर अपनी जान दे दी थीं , फिर उसका बदला कब पूरा हुआ ?
स्टेशन मास्टर – ” लक्ष्मी की मौत के बाद उसकी आत्मा इस स्टेशन से गुजरने वाली ट्रेन का पीछा करती हैं । और जो भी उसके रास्ते में आता , वो उसके चिथड़े उड़ा देती । “
इस डर से पैसेंजर नें यहाँ उतरना बंद कर दिया और धीरे-धीरे ट्रेन भी इस स्टेशन पर नहीं रुकती ।
लेकिन फिर उस ऊपर वालें ने अपना इंसाफ दिखाया और 24 साल बाद , ” फिर से वो तीनों इसी रास्ते से मुंबई जा रहें थें । “
लक्ष्मी – आज मैं खून से नहाऊँगी । तुम तीनों की मौत से नहाऊँगी । आज वो दिन आ ही गया । तुमने मुझे बर्बाद कर दिया था । मेरा सब कुछ छिन लिया मैं अब तुम्हें जिंदा नहीं छोड़ूँगी ।
थोड़ी ही देर में लक्ष्मी नें राहुल और सुरेश की गर्दन को उनके धड़ से अलग कर दिया । और वह दोनों तड़प-तड़प कर मर गए ।
लक्ष्मी नें जिस भयानक तरीके से राहुल और सुरेश को मारा था , ” वो देख अमन की रूह कांप गई वो तुरंत लक्ष्मी की आत्मा के सामने गिड़गिड़ाता हुआ बोला। “
अमन – ” मुझे मत मारों । मुझे माफ़ कर दो । मैंने अपने दोस्तों के बहकावे में आकर बहुत बड़ी गलती कर दी थीं । मैं अपने गुनाह के लिए बहुत शर्मिंदा हूँ । “
मैं बस अपने पापा को ढूँढने जा रहा था । अगर पता होता कि तुम मेरी मौत बनकर मेरा इंतजार कर रही हो । तो मैं कभी इस रास्ते से नहीं गुजरता ।
लक्ष्मी – ” मुझे पता था कि तू अपने बाप को ढूँढता हुआ इस रास्ते से जरुए गुजरेगा । इसलिए मैंने तेरे बाप को पहले से ही अपने पास रखा हुआ हैं । वो देख तेरा बाप…”
अमन ने जब लक्ष्मी की नजरों का पीछा किया तो उसे अपने मिनिस्टर पिताजी को देखा जो अपनी बाँहें फैलाए अमन को गले लगाने को तैयार थें ।
लक्ष्मी – जिस तरह मेरे पिताजी मुझे तड़पता हुआ देख कर मर गए , उसी तरह तेरे पिताजी भी तुझे टपड़ता देखकर मर जाएंगे । ”
अपने पिता को बाहें फैलाए देख अमन उनके गले लगने ही वाला होता हैं , ” कि लक्ष्मी अमन के जिस्म मे तेजी से गुजरते हुए निकलती हैं । उसके जिस्म के चिथड़े उड़ाते हुए उसे फाड़ देती हैं । “
इतनी भयानक मौत देखकर अमन के पिता की चीख निकल जाती हैं , और वो पागल हों जाते हैं ।
अनिल – ” तो वो जो पागल मैंने देखा था , वो अमन का बाप मिनिस्टर था ।
स्टेशन मास्टर – ” हाँ , वो पागल अमन का बाप ही हैं । अभी ये सब छोड़ो और अपनी ट्रेन पकड़ो । रात बहुत हो चुकीं हैं।
अनिल उसी वक्त ट्रेन पकड़ता हैं । और मुंबई शहर के लिए निकल जाता हैं ।