
धोखेबाज़ किसान की कहानी – Moral Stories In Hindi
» एक गाँव में सोमनाथ नाम का एक व्यक्ति रहता था । वह स्वभाव से काफी लालची ,और मक्कार किस्म का था । उसके घर मे उसकी पत्नी थीं । और वह किसान ” अपने जीवन को चलाने के लिए ” खेती करता था । वह अपनी फसलों को हमेशा ऊँचे दामों पर बेचता था । जिससे उसे काफी मुनाफा होता था । फसल को पक जाने के बाद सोमनाथ उसे काटकर अपने घर ले आता था ।
» और जब ” गाँव के सभी किसानों का अनाज बिक जाता ” , उसके बाद ही वह अपना अनाज बाजार मे बेकने के लिया लाता था । जिससे ग्राहक उसका अनाज मुहँ मांगे दाम पर खरीदते थें । इस बार भी उसने यही किया । जब सभी किसानों का अनाज बिक गया । उसके कुछ दिन बाद सोमनाथ ने अपने अनाज की बोरियों को बाहर निकाला । और एक – एक करके बाजार मे जाकर बेचने लगा ।
» और बाजार मे किसी और के पास अनाज ना होने के कारण , ” सोमनाथ मुहँ मांगे दामों पर अपना अनाज बेचता ” और फिर घर वापस लौट जाता । एक शाम जब अनाज बेचकर वह घर वापस लौटा तो उसकी पत्नी ने उससे कहा । ” क्यों जी _ सुना हैं आप अपनी फसल को काफी ऊँचे दामों पर बेच रहे हों ” ।
» इससे तो खरीदने वालों को काफी नुकसान होता होगा ना ,सोमनाथ , चिल्लाता हुआ बोला ।
» ” क्या बकवास कर रही हों ” ?? फसलें होती ही इसलिए हैं । अगर किसान अपना फायदा नहीं सोचेगा ‘ तो वह भूखा ही मर जाएगा । सोमनाथ की पत्नी बोली , लेकिन ” इतने ऊँचे दामों पर फसल खरीदनें वालों को ” कितना नुकसान होता होगा । ये नहीं सोचा आपने । आखिर उनकी भी तो मेहनत की कमाई हैं ।
» तुम बाकी किसानों की तरह सही समय पर फसल को क्यों नहीं बेचते । ??
» सोमनाथ पत्नी से बोला अरे ! अरे ! जाओ , वैसे भी आज मैं बहुत थक गया हूँ । और तुम मुझे ज्ञान देने लग रही हो । तुमनें यह नहीं सोचा , कि पत्नी काम पर से लौट हैं । ” तो उसकी सेवा करें ” मुझे बहुत तेज भूख लागि हैं , जाओ जाकर खाना लगाओ । हा ! हा ! ठीक हैं , वैसे भी तुम मेरी सुनोगे ही कहाँ । ??
» ” हे भगवान ” मुझे कैसी पत्नी दी हैं तूने ?? पति का साथ देने के बजाय दूसरों की तरफदारी कर रही हैं ।
» कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा । और सोमनाथ अपनी फसल से काफी अच्छा दम कमा रहा था । सोमनाथ के घर के बाहर एक बूढ़ी औरत रहती थीं । उसका एक बेटा था । जो बाहर विदेश मे नौकरी कर रहा था । इसलिए घर पर वह केवल अकेली ही थीं । जीवन का गुजरा करने के लिए अपने ही ही खेत में बीज बोती , फसल की देखभाल करती और पक जाने पर उसे काटकर बाजार मे बेचने चली जाती ।
» एक दिन बुढ़िया अनाज की बोरियाँ भर रही थीं । ताकि वो उन्हे बाजार जाकर बेच सकें । लेकिन तभी सोमनाथ की नजर बुढ़िया के अनाज पर पड़ती हैं । और वह सोचता हैं कि अगर मैं इस बुढ़िया को पटा लूँ ।
» तो इसके अनाज से भी मैं बहुत सारा धन कमा पाऊँगा । कुछ देर बाद वह अपने कदम बूढ़ी औरत की तरफ बढ़ता हैं,और कहता हैं ।
» ” नमस्कार ” दादी जी । ”
» ” नमस्कार सोमनाथ बेटा ” बताओ कैसे आना हुआ ,। “
» ” दादी जी ” आपका बेटा विदेश से आया नहीं , क्यों ” ??
» ” अरे सोमनाथ ” वो तो पता नहीं क्या विदेश में ही बस गया , क्या । “
आने का नाम नहीं लेता ।
» ” कोई बात नहीं दादी जी ” मैं भी तो आपका बेटे जैसा ही हूँ ” । आप इस उम्र में इतनी मेहनत मत किया करो दादी जी ” । वरना आपकी तबीयत भी खराब हो सकतीं हैं ।
» ” क्या करू बेटा ‘ ?? पेट पालने के लिए कुछ न कुछ तो करना ही होगा ” ।
» एक काम करिये दादी जी ‘ आप इस अनाज को अपने घर पर ही रखिए ‘ मैं एक एक बोरी करके इसे बाजार जाकर बेच आऊँगा । और बदले में जो धन मिलेगा ‘ वह मैं आपको दे दूँगा ।
» ” नहीं – नहीं बेटा । तुम इतना परेशान क्यों हो रहे हों । ??
» ” नहीं दादी जी ” परेशानी की कोई बात नहीं हैं । वैसे भी मैं अपना अनाज बाजार जाकर बेचता ही हूँ । तो साथ में तुम्हारा भी ले जाऊंगा । ‘ अच्छा ठीक हैं भगवान तुम्हारा भला करें ‘ । तो ठीक हैं दादी जी मैं सुबह आकर अनाज की बोरी लेकर जाता हूँ । ठीक हैं बेटा ।
» अगली सुबह सोमनाथ फिर से दादी जी के पास जाता हैं । और उनसे अनाज की बोरियाँ ले लेता हैं । फिर वह अनाज की बोरियों को ‘ बैलगाड़ी ‘ पर रखकर बाजार की ओर निकल जाता हैं । बाजार पहुंचकर वह अनाज बेचना शुरू करता हैं । ” और अनाज का दाम काफी ऊंचा रखता हैं “। लेकिन किसी ओर के पास अनाज ना होने के कारण ग्राहक मुहँ मांगे दाम पर ही अनाज को खरीदने पर मजबूर हो जाते हैं ।
» शाम तक जब उसका पूरा अनाज बिक जाता हैं तो वह घर लौटता हैं । और घर आकर जब वह पैसे गिनता हैं । तो सोमनाथ बहुत खुश हो जाता हैं । क्योंकि आज उसे काफी बड़ा मुनाफा हुआ हैं । बूढ़ी औरत के अनाज से मिले पैसे देख कर उसके मन में लालच जाग उठता हैं वह ” उन पैसों में से आधे पैसे ” अपनी जेब मे रख लेता हैं । और आधे पैसों को लेकर बूढ़ी औरत के पास पहुंचता हैं ।
» अरे बेटा , ” आ गए तुम ” । ऐसे मुहँ क्यों लटकाए हुए हो । ? क्या हो गया अनाज बिका नहीं क्या ??
» ” नहीं नहीं ” दादी जी । अनाज तो बिका हैं । लेकिन मेरी उदासी का कारण कुछ और हैं । मैंने बहुत कोशिश की अनाज को अच्छे दामों में बेचने की लेकिन ग्राहकों कों दाम काफी ज्यादा लग रहा था । इसलिए उन्होनें बहुत ही कम दामों पर मेरा अनाज खरीदा हैं, ” यह रहे कुछ पैसे ” ।
» बुढ़िया जल्दी से उन पैसों को गिनती हैं , और कहती हैं । बेटा ! यह तो बहुत कम हैं । मैं जब भी अनाज बेचने जाती थीं । ” तो मेरे साथ कभी भी ऐसा नहीं हुआ “। दादी जी मैंने तो बहुत कोशिश की अनाज को आपके अनाज को अच्छे दामों मे बेचने की । लेकिन ग्राहक सहमत नहीं हुए । इस वजह से अनाज के दामों को कम करना पड़ा । यह कहकर सोमनाथ झूठमूठ अपना मुहँ उदास बना लेता हैं ।
» ” अरे बेटा ! उदास होने की कोई जरूरत नहीं हैं ” तुमने तो अपनी तरफ से पूरी मेहनत की हैं । कुछ देर बाद सोमनाथ वहाँ से जाने लगता हैं । लेकिन बुढ़िया उसे रोकती हुई कहती हैं । ” बेटा ! तुमने अनाज बेचने में काफी मेहनत की हैं “। यह लो कुछ पैसे रख लो ।
» ” नहीं _ नहीं दादी जी मैं कैसे ले सकता हूँ ?? और वैसे भी आपके अनाज के दाम भी तो अच्छे नहीं मिले । ” आप ही रखों इन पैसों को “।
» लेकिन बुढ़िया किसी तरह उन पैसों को सोमनाथ की जेब मे रख देती हैं । सोमनाथ घर के लिए निकल जाता हैं । ” घर पहुंचकर वह उन पैसों को इकठ्ठा करता हैं “। और उन पैसों को देखकर बहुत खुश होता हैं ।
» ” और खुद से कहता हैं ” वह रे ! सोमनाथ आज तो आम कर आम और गुठलियों के भी दाम हो गए । अगर ऐसे ही चलता रहा ! तो मैं बहुत जल्द काफी धन कमा लूँगा । कुछ दिनों तक ऐसे ही चलता रहा । और सोमनाथ उस बुढ़िया को उसके अनाज के बदले मे ” बहुत ही कम पैसे देता रहा “।
» एक दिन सोमनाथ बुढ़िया का अनाज लेकर बाजार जाता हैं । उसके पास ग्राहक आने लगते हैं बगल में ” गाँव का लखनचंद भी अनाज बेच रहा था “। उसने देखा कि सोमनाथ के पास काफी अनाज हैं । वह वह देखकर सोचने लगता हैं कि सोमनाथ के पास इतना अनाज तो कभी नहीं था । फिर यह अनाज किसका हैं । ??
» ” तभी लखनचंद का दोस्त कहता हैं ” अरे भाई ! तुम्हें पता नहीं हैं सोमनाथ ने अपने पड़ोसी बुढ़िया दादी को अपने चंगुल में फंसा लिया हैं ?? और उन्ही का अनाज बाजार में बेचता हैं
» यह सुनकर लखनचंद कहता हैं ! कि सोमनाथ बहुत ही लालची और धोखेबाज इंसान हैं । वह जरूर दादी जी को बदले में बहुत ही कम पैसे देता होगा । और बाकी बचे पैसे खुद ही रख लेता होगा ।
» अगली सुबह लखनचंद दादी जी के पास जाता हैं और कहता हैं । ” नमस्ते दादी जी ! मेरा लखनचंद हैं मैं बाजार में अपना अनाज बेचता हूँ ” वह बात कहते कहते सोमनाथ के बारे मे बात करने लगता हैं । ” और कहता हैं ! दादी जी आपके अनाज के तो बहुत कम पैसे मिलते होंगे ना आपको ” ??
» दादी जवाब देती हैं ‘ नहीं ‘ बेटा ! ” अभी अनाज बहुत ही कम दाम में बेचा जा रहा हैं ” क्योंकि ग्राहक अनाज के सही दाम नहीं दे रहा । वह अनाज के कम दाम ही लगा हैं ।
» ” सोमनाथ हर रोज अनाज की बोरियां लेकर जाता हैं “और उदास चेहरा लेकर वापस आता हैं ।
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पैसे का घमंड – Inspirational Stories In Hindi । Hindi Inspirational Story ।
» यह सुनकर लखनचंद कहता हैं !! ” नहीं दादी जी , बजार में तो आपका अनाज काफी अच्छे दामों में बिक रहा हैं ” । मैं खुद अपनी आँखों से देखता हूँ , कि रोज आपका अनाज सोमनाथ बहुत ऊँचे दामों मे बेचता हैं । और ग्राहक से वह बहुत ज्यादा पैसे भी लेता हैं ।
» ” कहीं ऐसा तो नहीं हैं ” सोमनाथ आपको आपके अनाज के पैसे बहुत कम दे रहा है ?? और बाकी पैसे खुद ही रख लेता हों ??।
» यह कहकर लखनचंद चला जाता हैं । और तभी कुछ देर बाद दादी , सोमनाथ के पास जाती हैं । अचानक दादी के वहाँ पहुंचते ही , ” सोमनाथ कहता हैं ” ।
» ” लो दादी जी !! खूब कोशिश करने के बाद बस इतने ही पैसे मिलें हैं । आपके अनाज के ।
» क्या हुआ बेटा ! ?? ” क्या आज भी अनाज अच्छे दामों मे नहीं बिका ” ??
» कहाँ दादी जी ?? ” बहुत प्रयास किया लेकिन कुछ भी ठीक नहीं हुआ “।
» लेकिन बेटा लखनचंद मेरे पास आया था ?? ” वह कह रहा था कि आज तो अनाज काफी अच्छे दामों मे बेचा हैं तुमने “? नहीं नहीं दादी जी , लखनचंद झूठ बोल रहा हैं ।
» बेटा ! ” मैंने तुम्हें अपने बेटा जैसा माना था ” और तूने मुझे ही धोखा दे दिया है । आज के बाद मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना । और हाँ याद रखना जिस पैसे की वजह तुमने मुझे धोखा दिया हैं । एक दिन तेरे पास बहुत सारा पैसा होगा । लेकिन वह पैसा किसी भी काम का नही होगा । ” ये बात याद रखना ” ।
» अब सोमनाथ लखनचंद को मन ही मन बुरा भला कहता हैं । और कहता हैं कि लखनचंद तूने मेरा बना बनाया काम बिगड़ दिया । अच्छा भला मैं उस बुढ़िया का अनाज बेचकर आसानी से पैसे कमा रहा था । तुझे तो मैं बाद मे देख लूँगा । ” यह सोचकर सोमनाथ खाना खाकर सो गया ” ।
» कुछ ही महीनों मे सोमनाथ काफी आमिर हो जाता हैं । उसके पास , ” घर गाड़ी और ढेर सारा पैसा आ जाता हैं ” लेकिन अभी भी सोमनाथ ने बेइमानी करना नहीं छोड़ा ।
» ” तभी अचानक एक दिन “, सोमनाथ बहुत बीमार पड़ जाता हैं । वह अपनी पत्नी से कहता हैं । सुनो ! हमारे पास बहुत पैसा हैं । एक अच्छे से डॉक्टर को बुलाओ , जल्दी से ! ” जिससे मैं जल्दी ठीक हो जाऊँ “।
» ” पत्नी जल्दी से ” ! डॉक्टर को बुलाती हैं । लेकिन डॉक्टर उसे पूरी तरह से ठीक नहीं कर पाता ।
» ” सोमनाथ फिर से कहता हैं ” हमारे पास बहुत पैसा हैं । किसी दूसरे अच्छे डॉक्टर को बुलाओ । या फिर मुझे किसी अच्छे से बड़े अस्पताल मे ले चलों । ताकि मैं पहले की तरह स्वस्थ हो सकूँ ।
» उसकी पत्नी एक अच्छे से हॉस्पिटल मे अपने पति को ले जाती हैं । और वहाँ उनका खूब पैसा लग जाता है । लेकिन वहाँ से भी कुछ बेहतर परिणाम नहीं मिलता और फिर वे दोनों वापस गाँव लौट आते हैं ।
» ” अब सोमनाथ को उस बूढ़ी दादी जी की बात याद आने लगती हैं ” और अपनी पत्नी से कहता हैं । कि सच कहा था बूढ़ी दादी ने ””’ मेरे पास आज बहुत सारा पैसा हैं , लेकिन वह मेरे किसी भी काम का नहीं ।
» वाकई में दोस्तों !! ऐसा पैसा किस काम का जो इंसान का खून चूस कर कमाया हो व ” बेइमानी का सारा धन एक दिन पानी की तरह बह जाता हैं ” लेकिन उसके खुद के कभी काम नहीं आता ।
» आपका धन्यवाद !!