
» फिर वह प्रतिशोध की आग में जलता हैं । व अपनें जीवन को बर्बाद करता हैं । बुद्ध का उपदेश खत्म हों जाने के बाद उनके ही एक शिष्यों मे से एक शिष्य खड़ा होता हैं ।
» और उनपर चिल्लाता हुआ बोलता हैं , ” कि तू एक ढोंगी हैं तेरी बातें मनुष्यों के रहन सहन से विपरीत हैं ” और तू जो भी कहता हैं । वह तू कभी अपनें जीवन में नहीं करता व दूसरों को तू यह सब करने को कहता हैं ।
»जब बुद्ध का वह शिष्य उनको उलटी सीधी बातें कह रहा था । तब गौतम बुद्ध उस शिष्य को कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी। ” वह तो बस एक जगह बैठे हुए ! बिल्कुल शांत थें ” उन्होंने उसे कुछ भी ना कहा ।
» इस बात से वह शिष्य और भी ज्यादा गुस्सा हो गया । और उसने गौतम बुद्ध के मुंह पर थूक दिया ।
» इसके बाद भी भगवान बुद्ध को गुस्सा नहीं आया । और वे फिर भी शांत ही बैठे रहें । उन्होनें अपनें चेहरे से थूक को पोंछा , और वह चुपचाप बैठे रहें ।
» यह सब देखकर उस शिष्य को समझ नहीं आया ! ” कि वह क्या करें ? उसका गुस्सा बुद्ध के प्रति बढ़ता ही जा रहा था ” फिर वह गुस्से में आकर उस जगह को छोड़कर चल गया । और अगले दिन अपनें घर पहुँच गया ।
» जैसे ही वह अपने घर पहुँचा ! तब तक उसका दिमाग शांत हो चुका था । दिमाग के शांत होतें ही उसे इस बात का एहसास हुआ , कि उसनें कितनी बड़ी गलती की हैं । उससे बहुत बड़ा पाप हुआ हैं । वह खुद को मन ही मन कहने लगा । यह मैंने क्या कर दिया ? मैंने महात्मा बुद्ध का अपमान किया हैं ।
» ऐसा पाप मैं कैसे कर सकता हूँ ? मैंने बहुत ही बड़ी गलती कर दी !
» मुझे जाकर बुद्ध से माफी माँगनी होगी । यह कहकर वह तुरंत ही गौतम बुद्ध के पास चल गया । लेकिन गौतम बुद्ध उस स्थान पर नहीं थें । ऐसे में वह शिष्य जगह – जगह भटकर उन्हे खोजनें लगा ।
» और ! ” जैसे ही उसे महात्मा बुद्ध मिलें वह शिष्य उनके पैरों में गिर गया “और उनसे कहने लगा कि मुझे माफ कर दीजिए , मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। मैंने आपका बहुत अपमान किया हैं ।
» यह मैंने बहुत बड़ा पाप कर दिया हैं ! मुझे माफ कर दीजिए बुद्ध।
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» यह सब देखकर गौतम बुद्ध नें उससे कहा ” शांत हो जाओ , क्या बात हैं मुझे बताओ ? और तुम कौन हों ? यह सुनकर उसने महात्मा बुद्ध से पूछा , ” मैं वही शिष्य हूँ जिसने कल आपका बहुत ज्यादा अपमान किया था ” और यह बात आप इतनी जल्दी भूल गए ।
» तब भगवान बुद्ध नें कहा ! ” हमें कल की बातों को कल में ही छोड़ देना चाहिए ” चाहें वह ! अच्छा हो या बुरा । उसके बारे में बार बार विचार नहीं करना चाहियें । मैं बीती हुई बातों को पीछे छोड़कर आगे चलता हूँ । और ऐसा ही हम सबको ही करना चाहिए ।
» बीती हुई बातों को बार बार तुम जितना भी याद करोगे तो तुम्हें उतना ही और गुस्सा आएगा । और इससे तुम्हारे अंदर सामने वाले के प्रति बदले की भावना उत्पन्न होगी । इसलिए इंसान को अपने क्रोध को काबू करना आना चाहिए ।
» और जिस दिन तुमने अपना क्रोध ( गुस्सा ) को काबू करना सिख लिया तो समझो , ” तुमने अपनें जीवन का मूल्य समझ लिया ” और फिर तुम्हें जीवन मे कोई भी कठिनाइयों का सामना कभी नहीं करना पड़ेगा ।
» भगवान बुद्ध की सारी बातें सुनकर , ” वह शिष्य जो कल तक उन्हे गाली देकर उनका सबके सामने अपमान कर कर रहा था । “
» वह बुद्ध के चरणों मे गिर गया । और उनसे कहने लगा । ” कि बुद्ध आज के बाद मैं कभी भी किसी पर भी गुस्सा नहीं करूंगा ” व अगर कोई मुझपर भी क्रोध करेगा तो भी मैं शांत ही रहूँगा ।
» आपकी बातों पर अब मैं हमेशा ही अमल करूंगा । आपका शुक्रिया बुद्ध ।
कहानी से सिख
» इस कहानी से हमें यह सिख मिलती हैं ! ” कि क्रोध करना इंसान के लिए सबसे खतरनाक हैं यह मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन हैं , जो उसे बर्बाद कर सकता हैं ” इसलिए मनुष्य को कभी क्रोध नहीं करना चाहिए ।
» इस कहानी से हमें यह भी सिख मिलती हैं ! कि बीती हुई बातों को हमें भूलकर आगे बढ़ना चाहिए । अगर कोई मनुष्य अपनी बीती हुई बातों पर ज्यादा ध्यान देता हैं , तो उसका ध्यान पूरी तरह से बीती हुई बातों में लगा रहता हैं , ” और वह कभी भी आगे बढ़ने की ओर विचार नहीं कर पाता ” इसलिए हमेशा पुरानी बातों को छोड़कर आगे बढ़नें की सोचे …. धन्यवाद