गरीब बुढ़िया की कहानी
रामपुर गाँव में हीरा नाम का का एक गरीब किसान रहता था । कई दिनों से उसकी फसल अच्छी नहीं हो रही थीं । उसके घर में खाने तक को कुछ नहीं था । उसकी एक बकरी थीं जिसका नाम प्यारी था । और हीरा को अपनी बकरी से बहुत प्यार व लगाव था ।
कई दिनों से हीरा के खेतों में फसल ना होने के कारण हीरा के घर मे अब एक भी अनाज का दाना नहीं था ।
हीरा की पत्नी ! ” देखिए जी आज कई दिन हों गए हैं लेकिन घर में कुछ भीं खानें को नहीं हैं ” अगर ऐसे ही चलता रहा तो हम भूखे मर जाएंगें । कई दिन हों गए हैं । और पेट में भी अन्न का एक भी दाना नहीं गया हैं। तुम तुम्हारी प्यारी बकरी को भी तो रोज जुंगल लेजाकर घाँस – फूँस खिलते हो ना हैं ।
ये बकरी तो घाँस कहकर गुजारा कर लेगी , ” मगर तुम और मैं कब तक भूखे रहेंगे ” मेरी तुम्हें कोई भी फिक्र नहीं हैं । मेरी भूख का तों ख्याल रखों ।
ना जानें वो दिन कब आएगा , ” जब दो वक्त की रोटी नसीब होगी ” अब मुझसे और नहीं सहा जाता , बताए देती हूँ ।
हीरा बोला ! ” अरे भाग्यवान ! तुम तो जानती ही हों , मेरी मेहनत में कोई भी कमी नहीं हैं अपनें खेत मे जो भी फसल बोता हूँ “, वो सही ढंग से होती ही नहीं हैं । हर बार फसल खराब हो जाती हैं ।
अब तुम ही बताओ मैं क्या करू ? “लेकिन तुम चिंता मत करों भाग्यवान , जल्दी ही कोई ना कोई रास्ता जरूर निकल जाएगा । “
हीरा की पत्नी बोली ! “अगर जल्दी से तुमने कुछ नहीं किया तो मैं ही तुम्हारी ये टूटी – फूटी झोपड़ी छोड़कर माएके चली जाऊँगी , बताए देती हूँ । “
अगली सुबह हीरा अपनें खेतों में चला जाता हैं । उसकी बकरी उसकी झोपड़ी में ही बंधी होती हैं । और वह काफी चिल्ला रही होती हैं ।
हीरा की पत्नी , ” अरे क्या हुआ ? क्यों चिल्ला रही हो इतना सुबह – सुबह , ” मैं कहती हूँ चुप हो जाओ । अच्छा ! तो तू ऐसे नहीं मानेगी । ” आज तो मैं तुझे अच्छा सबक सिखाऊँगी । आज तो तुझे बेचकर कुछ पैसे ही हाथ आ जाए मेरे बस । तो उन पैसों से बजार जाकर घर का समान ले आऊँगी , ” कितने दिनों से अच्छा भोजन नहीं खाया मैंने ” अब तू ही काम आएगी मेरे ।
इसके बाद ! ” हीरा की पत्नी बकरी प्यारी को एक चरवाहें के पास बेच देती हैं और बदले में कुछ पैसे लेकर खुश हों जाती हैं । ” शम को हीरा जब खेत से वापस आता हैं । और देखता हैं कि उसकी प्यारी बकरी झोपड़ी में नहीं हैं , ” तो वह बहुत दुखी हो जाता हैं । “
तभी हीरा देखता हैं कि उसकी पत्नी बैठकर खूब सारी जलेबियाँ और समोसे खा रही होती हैं ।
हीरा की पत्नी ! ” अरे वाह , बहुत ही स्वादिष्ट ।। वाह वाह वाह बहुत ही मजेदार हैं “आज तो मजा ही आ गया । वाह… कितने दिनों बाद आज पेट भरा हैं मेरा तो ।
हीरा बोल ! ” अरे भाग्यवान आज इतनी सारी जलेबियाँ और समोसे कहाँ से आए ” और मेरी प्यारी कहीं नजर नहीं आ रही ? आखिर कहाँ हैं प्यारी ?
हीरा की पत्नी बोली ! अरें , ” ये जलेबियाँ और समोसे पास वाली बिमला देकर गई हैं ” वाह ! बड़ी मजेदार हैं । और भला मुझे क्या पता तुम्हारी प्यारी कहाँ हैं ।
गई होगी जंगल में कुछ चरनें । अब भला यहाँ तो उसे कुछ खाने को मिलता नहीं हैं । जाओ जाकर ढूंढो अपनी प्यारी को ।
हीरा ! अरें ,, प्यारी तो कभी अकेली जंगल मे जाती ही नहीं हैं । हमेशा मेरे साथ ही जाती हैं । फिर भला उसे आज क्या हुआ ?? जाकर देखता हूँ उसे । अब हीरा बहुत दुखी हो गया ।
हीरा की पत्नी ( मन मे बोली ) ! ” जाओ जाओ ढूँढो अपनी प्यारी को ” उसे बेचकर ही तो मुझे आज जलेबी और समोसे खहने को मिले है । और दस दिनों का मैंने खाने का समान भी भरवा लिया । यह सब करके हीरा की पत्नी बहुत खुश थीं ।
और हीरा दुखी होता हुआ सोच रहा था , ” कि मेरी प्यारी कहाँ चली गई हैं ” ? मेरी प्यारी ठीक तो होगी ना ? जाने इस जंगल में, कोई जानवर तो उसे खा नहीं गया ? “अरें प्यारी.. ! अरें प्यारी.. ! तुम कहाँ चली गई ” ?
इधर उधर ढूंढते हुए हीरा को अचानक उसकी प्यारी बकरी नजर आती हैं । वह कुछ देर हीरा को देखती हैं । और फिर भागने लगती हैं । हीरा भी उसे देखकर उसके पीछे भागने लगता हैं ।
हीरा बोल ! अरें प्यारी , रुको तो सही । आज ये क्या हुआ हैं तुझे ? मैं कहता हूँ रुक जा । अरें प्यारी क्या हुआ हैं ? ” अरें रुक जा प्यारी रुक जा ” लेकिन उसकी बकरी नहीं रुकी और वह जंगल की और भागने लगती । भागते – भागते वो एक सुन्दर से पेड़ के पास आकर रुक जाती हैं ।
हीरा भी प्यारी के पास पहुँच गया ! और बोला ! “अरें प्यारी..तू भी ना ..तूने तो मुझे डरा ही दिया था ” ऐसे अकेले ही जंगल में तू क्यों चली आई थीं ? अब से यहाँ – वहाँ ढूँढ रहा हूँ तुझे ? और तू मुझे यहाँ क्यों लेकर आई हैं प्यारी ?
तभी अचानक ! हीरा को एक बूढ़ी अम्मा के रोने की आवाज सुनाई देती हैं ।
अब हीरा थोड़ा हैरान हो जाता हैं । और आगे चलकर देखता हैं । ” कि एक बुढ़िया जिसके बहुत ही लंबे – लंबे , घने काले चमकदार बाल थें । वह उसी सुंदर से पेड़ के पीछे बैठकर रो रही थीं । “
हीरा बोला ! अरें माँ ! तुम रो क्यों रही हों ? सब ठीक तो हैं ना ?
बुढ़िया बोली ! अरें क्या बताऊँ बेटा ?? मैं तो बहुत अभागी हूँ । इस जंगल में कई वर्षों से अपनी छोटी सी झोपड़ी बनाकर रहती थीं ।
लेकिन कल रात एक ऐसी भयानक आँधी आई , ” जिसमें मेरी सारी झोपड़ी तहस – नहस हो गई ” बेटा , मुझ दुखियारी का इस दुनियाँ में कोई नहीं हैं । अब मैं कहाँ जाऊँगी बेटा ?
हीरा बोला ! अरें अम्मा ! ” तुम रोती क्यों हों ? तुम दुखी मत हो अम्मा ” तुम मेरे साथ मेरे घर चलों । लेकिन मैं तो बहुत गरीब हूँ । मेर यहाँ तुम्हें दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिल पाएगी ।
बुढ़िया बोली ! अरें वाह बेटा ! तू कितना नेकदिल इंसान हैं ? आज से तू ही मेरा बेटा हैं । मैं बहुत बूढ़ी हो चुकी हूँ । तेरे घर जो भी कुछ मुझे मिलेगा । मैं उसमें ही संतुष्ट हो जाऊँगी बेटा । बस तू मुझे अपने साथ अपने घर ले चल ।
हीरा बोला ! अच्छा तो ठीक हैं माँ ! ” तू मेरे घर मेरी माँ बनकर ही रहना ” मुझे बहुत खुशी होगी । घर पहुँचते ही , हीरा की पत्नी हीरा के साथ बूढ़ी अम्मा को देखकर बहुत गुस्सा हो जाती हैं । ओर बोलती हैं कि ओह हो ये किसे सिर ले आए तुम ? कौन हैं ये ?
हीरा बोल ! बूढ़ी माँ ! क्या तुम्हें दिखाई नहीं देता ?
हीरा की पत्नी बोली ! आखिर मैं कहती हूँ कौन हैं ये बुढ़िया ? और तुम्हारे साथ क्या कर रही हैं ? ये हमारी माँ हैं । और हमारे साथ ही रहेगी , हीरा चिल्लाता हुआ बोला , और इनका घर भी टूट गया । अब ये हमारे ही साथ ही रहेगी ।
हीरा की पत्नी तमतमाती हुई बोली ! क्या ?? यह अम्मा आज से हमारे साथ रहेगी ? और खाएगी क्या बोलो ?
जो भी रूखी सुखी रोटी हम खाते हैं । माँ भी वह खा लेगी । इनका इस दुनियाँ में कोई नहीं हैं । इसलिए मैं इन्हे जंगल से अपने साथ ले आया ।
हीरा की पत्नी बोली ! ” अरें वाह – वाह यह भी कोई बात हुई भला ? क्या तुम जानते नहीं हो ” हम दोनों का ही गुजारा कितनी मुश्किल से हो पाता हैं । और तुम एक और मुसीबत अपनें साथ लेकर आ गए हो ।
हीरा बोला ! ” अच्छा – अच्छा भाग्यवान , अब गुस्सा मत करों ” आज से ये ही मेरी माँ हैं । इनका इस दुनियाँ में और कोई नहीं हैं । तुम अभी जाओ रसोई में जो भी कुछ हैं वो इनके लिए लेकर आओ ।
हीरा की पत्नी बोली ! “अरें वाह खुद तो एक वक्त की रोटी खा नहीं पाते ऊपर से ले आए इस अम्मा को यहाँ ” और घर मे भी कुछ भी खाने को नहीं हैं । सिवाय खाने के कुछ दाने के । भला उन थोड़े से चावल से अम्मा जी का पेट थोड़ी भरेगा ।
तुम भी ना जाने किसे ले आए ? हमारा खुद गुजारा नहीं हो रहा । अब ये कहाँ से खाएगी ।
बुढ़िया बोली ! अरें बिटिया ! ” मैं उन थोड़े से चावलों के दाने से ही पेट भर लूँगी और अपनी भूख मिटा लूँगी ” तुम दुखी मत हों । मुझे बस ये ही चावल के दाने लाकर दे दो ।
हीरा की पत्नी बोली ! ” अच्छा – अच्छा ठीक हैं , लाकर देती हूँ , तुम्हारे लिए चावल के दाने ” मैं भी तो देखूँ इतने से चावल से तुम कैसे तुम अपना पेट भरती हो ? और कैसे अपनी भूख शांत करती हों ?
तभी हीरा की पत्नी रसोई घर में जाती हैं । और इतने सारे चावलों को देखकर हैरान रह जाती हैं । क्योंकि जिस पतीले में जरा से चावल पड़े थे , अब वो पतीला चावलों से भरा हुआ था । यह देखकर हीरा की पत्नी जहाँ खुश थीं तो वहाँ बड़ी हैरत में भी थीं । अब हीरा की पत्नी खुशी के मारे जोर से चिल्लाने लगती हैं । “अरें ये तो चमत्कार हो गया ” पूरा पतीला ही चावलों से भर गया ।
तभी हीरा वहाँ आता हैं और कहता हैं ! कि क्या हुआ भाग्यवान , “और इतने सारे चावल देखकर वह भी हैरान हो जाता हैं ” पत्नी बोली शाम को जब मैंने देखा था तब तो इस पतीले में चवाल के कुछ ही दाने थें और अब पता नहीं पूरा ही पतीला कैसे चावलों से भर गया ।
जिसके बाद हीरा की पत्नी बूढ़ी अम्मा को खूब सारें चवाल एक थाली मे डालकर दे देती हैं । और अम्मा भी पेट भरकर चवाल खाती हैं । तभी हीरा की पत्नी बूढ़ी अम्मा के काले घने लंबे बालों को बड़े ही ध्यान से देखती हैं । जो काफी चमक रहें थें ।
बुढ़िया बोली ! अरें वाह – वाह बेटी चवाल तो बड़े ही स्वादिष्ट हैं । भोजन करनें मे तो मजा ही आ गया । वाकई में आज तो इतना अच्छा खाना कहकर मेरी आत्मा को शांति ही मिल गई ।
हीरा की पत्नी ! आज तो ना जाने कैसे ये चमत्कार हो गया । और इन चावलों से हमारा पेट भर गया ? लेकिन कल क्या होगा ? कल कैसे हमारी भूख मिटेगी ?
तभी बूढ़ी अम्मा अपनी पलके झपकाती हुयी मुसकुराती हैं ।
थोड़ी देर बाद जब हीरा और उसकी पत्नी सो रहें होते हैं । तभी बूढ़ी अम्मा रसोई घर में जाती हैं । और आवाज सुनकर हीरा की पत्नी भी उस बूढ़ी अम्मा के पीछे – पीछे जाती हैं । तभी बूढ़ी अम्मा के बाल अचानक से लंबे हों जातें हैं ।
और बूढ़ी अम्मा अपनी आँखों की तेज रोशनी से रसोई मे रखे सभी खाली डिब्बों मे खूब सारा आटा , चावल , दाल , और सब कुछ डिब्बों मे भर देती हैं ।
तभी हीरा की पत्नी ! मन मे सोची कि “अरें ये क्या ? ये चालाक बुढ़िया तो कोई साधारण बुढ़िया नहीं हैं । बल्कि जादुई बुढ़िया हैं ” इसके बाल अचानक से इतने घने कैसे हो गए ?
थोड़ी ही देर बाद बहुत तेज बारिश होने लगती हैं । जिसकी वजह से हीरा की झोपड़ी से पानी टपकने लगता हैं हीरा और उसकी पत्नी यह देखकर घबरा जातें हैं ।
हीरा ! अरें ये क्या ? इस बरसात को भी अभी आना था ! अब हम क्या करेंगे ? हमारी टूटी झोपड़ी मे बरसात का पानी टपक रहा हैं . हीरा की पत्नी , हाय – हाय अब हम क्या करेंगें जी ? मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा ।
हीरा बोल ! अब क्या कर सकतें हैं । इसी बरसता में रात बितानी होगी । ” अगले दिन जब हीरा और उसकी पत्नी उठते है । ” तो उनकी झोपड़ी के आगे बहुत सारी इंटे और घर बनाने का समान रखा हुआ था ”
हीरा की पत्नी बोली ! ” ये तो कोई भगवान का चमत्कार लगता हैं ” बूढ़ी अम्मा बोली ! हाँ बिटिया भगवान यह चाहता हैं , कि तुम अपना पक्का घर बनवा लों ।
जिसके बाद हीरा खुशी से सिर हिलाते हुए ! ” उन ईंटों से अपना घर बनाने लगता हैं । और उसकी पत्नी भी उसका हाथ बटाती हैं ” और देखते ही देखते कुछ ही दिनों में उनका बहुत सुंदर स घर बन जाता हैं ।
हीरा की पत्नी बोली ! अरें वाह ! ” हमारा घर कितना सुंदर लग रहा हैं , अब हमे बरसात से भी डरने की कोई भी जरूरत नहीं हैं ” हीरा बोला ! देखा बूढ़ी माँ , अपना घर कितना सुंदर लग रहा हैं । हाँ बेटा सब भगवान की मर्जी हैं ।
इसके बाद बूढ़ी अम्मा हँसने लगतीं हैं।
हीरा की पत्नी ( मन में ही ) ! ” मुझे लगता हैं कि ये सारा जादू इस बुढ़िया का ही हैं ” वरना इतना कुछ ऐसे ही नहीं होता । मुझे कुछ करना होगा । कहीं ऐसा ना हो कि ये चुड़ैल हो और हम दोनों को खा जाए ? नहीं – नहीं मुझे जल्दी ही कुछ करना होगा ।
अब आधी रात को बूढ़ी अम्मा जब सो रही थीं तभी चुपके से हीरा की पत्नी अपने हाथ मे एक बड़ी सी कैंची लेकर सोती हुई बूढ़ी अम्मा के पास जाती हैं । और उसके सारे घने लंबे बालों को काट देती हैं । हीरा की पत्नी सोचती हैं , कि उस बूढ़ी के बाल काटने से उसका जादू खत्म हो जाएगा ।
थोड़ी देर मे उस बूढ़ी अम्मा की आँख खुलती हैं और ” वो शीशे मे अपने बाल देखकर जोर – जोर से हँसने लगती हैं ”
बुढ़िया बोली ! ” अरें यें पगली भी ना बहुत ही नासमझ हैं , अभी ये जानती नहीं हैं मुझे , मैं कोई साधारण बुढ़िया नहीं हूँ ” तभी बुढ़िया की जादुई शक्ति से उसके बाल फिरसे लंबे हो जाते हैं ।
अगली सुबह जब हीरा की पत्नी बूढ़ी अम्मा को छुपकर देखती हैं । तो वह हैरान रह जाती हैं । अरें , ” यह क्या ? इस जादुई चुड़ैल बुढ़िया के बाल फिर से आ गए , ये क्या हो रहा हैं ” ? मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा ? ये तो कोई बड़ी मायावी चुड़ैल लगती हैं । इसका तो मुझे पता ही लगाना पड़ेगा ।
एक रात बूढ़ी अम्मा सो रही होती हैं । और हीरा की पत्नी उसको छुपकर देखती हैं । तो अचानक बूढ़ी अम्मा उठकर जंगल की तरफ जाने लगती हैं । हीरा की पत्नी भी उसके पीछे जाती हैं । तभी अचानक जंगल मे एक तालाब के पास जाकर वह बूढ़ी अम्मा एक बहुत ही सुंदर लड़की बन जाती हैं । जो बहुत सारे जेवर पहनें होती हैं ।
और तभी तालाब मे उसकी बहुत बड़ी परछाई दिखती हैं ” जो बहुत ही भयानक होती हैं वो भयानक छवि उस सुंदर लड़की से कहती हैं , कि प्रणाम रानी परी अब आपका समय धरती लोक पर थोड़ा ही शेष बचा हैं ।
आप एक जादुई नगरी से हैं , और परियों की रानी भी ” जादुई नगरी को आपका इंतजार हैं “
हाँ मुझे पता हैं ! ” लेकिन मेरा जितना भी समय बचा हैं, वह मैं अब अपने बेटे हीरा के साथ बिताना चाहूँगी ” हीरा बहुत ही ईमानदार और नेक दिल इंसान हैं,मैं बहुत जल्दी ही जादुई नगरी आ जाऊँगी ।
भयानक छवि बोली ! जी रानी परी ! ” जैसी आपकी इच्छा अब मैं चलती हूँ ”
हीरा की पत्नी ! अरें रें ! ” इसका मतलब यह बूढ़ी अम्मा जादुई चुड़ैल नहीं बल्कि जादुई नगरी की परियों की रानी है ” अरें वाह कितनें अच्छे भाग हैं हमारे ? अब मुझे सब समझमे आ गया । मैं इस परियों की रानी को ऐसे नहीं जाने दूँगी ।
थोड़ी देर बाद हीरा की पत्नी अपनें घर आती हैं और हीरा को जगाकर उसे सारी बात बता देती हैं । हीरा बोला अरें , ” सच में वह जादुई परी हैं यह सुनकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा हैं ” लेकिन मुझे यकीन भी नहीं हो रहा ।
हीरा की पत्नी ! अरें सच मे मैंने खुद अपनी आँखों से देखा हैं बूढ़ी अम्मा को रानी परी बनतें हुए ।