
होली की कहानी – क्यों मनाई जाती हैं होली ? Holi Story In Hindi
» होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला भारतीय और नेपाली लोगों का एक महत्वपूर्ण त्यौहार हैं यह पर्व हिन्दू पंचांग कए अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं । होली रंगों कअ तथा हँसी – खुशी का त्यौहार है । यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्यौहार हैं । जो हर साल भारत कए साथ – साथ लगभग विश्वभर में मनाया जाता हैं ।
भारत में इस बार होली Friday, 14 मार्च, 2025 को मनाया जाएगा
» होली मनाने के पीछे सबसे ज्यादा प्रचलित कथा हैं कि त्यौहार हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के मारे जाने की स्मृति में मनाया जाता हैं । होलिका दहन के बाद ही होली मनाई जाती हैं । हिरण्यकश्यप मरनें से पहले ही होलिका के रूप में सारी बुराई जल गयी । और अच्छाई के रूप में भक्त प्रहलाद बच गए थे । उसी दिन होली को जलाने और भक्त प्रहलाद को बचने की खुशी मे अगले दिन रंग गुलाल लगाए जाने की शुरुआत हो गई। इस प्रकार होली श्री विष्णु भक्त प्रह्लाद के बच जाने की खुशी मे भी मनाई जाती है।
होली पूजन सामग्री
» होली की पूजा सामग्री लिस्ट मे होली से एक दिन पहले मनाए जाने वाले होलिका दहन अनुष्ठान को करने के लिए आवश्यक पूजा वस्तुए शामिल हैं। आइए विस्तार से पूजा सामग्री सूची के बारे मे जाने और जरूरत की चीजे खरीदे ।
1. गोबर के उपले – Cow dung cakes 2. सुखी लकड़ी – Dry wood sticks 3. कलावा – Raw cotton thread
4. सुखी घास – Dry grass / straw 5. कपूर – Camphor 6. माचिस – Matchsticks or lighter
7. हल्दी – Turmeric 8. अक्षत – Whole rice grains 9. रोली और कुमकुम – Kumkum
10. फूल – Flowers 11. बतासे – Batasha 12. गुड – Gur (Jaggery)
13. नारियल – Coconut 14. गेहू – Wheat 15 . अगरबत्ती – Incense Sticks
16. घी – Ghee 17. कलश – Water Pot 18. प्रसाद – Prasad
19. धूप – Dhoop 20. लाल कपड़ा – Red Cloth Piece
पौराणिक होली की कथा – History Of Holi Story
» पुराणों के अनुसार प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नामक एक असुर था । जो भगवान विष्णु जी का कट्टर दुश्मन माना जाता था । लेकिन उसका खुद कअ पुत्र प्रह्लाद विष्णु भगवान जी का सच्चा भक्त था । उसकी भक्ति को देखकर हिरण्यकश्यप बहुत ही चिड़चिड़ा और परेशान रहता था । वह चाहता था कि प्रह्लाद उसकी भक्ति करें और उसकी शक्ति को माने । और विष्णु की पूजा बिल्कुल ना करें । उसकी भक्ति छोड़ दे ।
» लेकिन हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद ने विष्णु भगवान जी की पूजा छोड़ने से मना कर दिया । बल्कि प्रह्लाद ने अपने पिता से भी विष्णु की आराधना करने को कहा । इस बात से उसके पिता बहुत ही क्रोधित हो गए । तब हिरण्यकश्यप प्रह्लाद को हर प्रकार से मार डालने की योजना बनाने लगे ।
» श्री विष्णु की कृपा से प्रह्लाद हर बार बच जाता था । तब हिरण्यकश्यप के क्रोध कअ अंत ना रहा ।
» उसने अपनी बहन होलिका से प्रह्लाद को जलाकर मार डालने की प्राथना करने लगा । उसकी बहन होलिका को यह आशीर्वाद था । कि वह अग्नि में नहीं जल सकतीं । अतः उसनें अपनी बहन को मनाया , कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए । अग्नि उसे छु भी ना सकेगी । लेकिन प्रह्लाद उस अग्नि में भस्म हो जाएगा ।
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» होलिका बहन नें अपने भाई की बात मान ली और एक नियत समय पर वह प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ गयी । फिर अग्नि लगाई गयी । अग्नि की लपटे तेज होती गयी । प्रह्लाद अग्नि में होलिका की गोद में बैठते ही श्री विष्णु जी का नाम जपनें लगें । आश्चर्यजनक रूप से होलिका उस अग्नि में बुरी तरह से झुलस गयी । जबकि विष्णु भक्त प्रह्लाद पूरी तरह बच गए । उन्हे अग्नि छु भी नहीं पाई ।
» इस प्रकार बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में देश भर में होली मनाई जाती हैं ।
» कहते हैं कि हिरण्यकश्यप कए जीते जी बुराई का कैसे अंत होता हैं । उसने देखा कि , होलिका कए रूप में बुराई जल गई और अच्छाई के रूप में भक्त प्रह्लाद बच गए । ” उसी दिन से होली को जलाने और भक्त प्रह्लाद के बचने की खुशी में अगले दिन से ही रंग गुलाल लगाए जाने की शुरुआत हो गयी ।
» और होली खेलने से पहलें होलिका दहन का रिवाज बन चुका हैं ।
» रंग व गुलाल लगाना जीवन में उत्साह का प्रतीक माना जाता हैं । सभी में भाई – चारा स्थापित होता हैं । विभिन्न प्रकार के घर में पकवान बनते हैं । जो आपसी प्रेम कए कारण एक दूसरे को खिलाए जाते हैं ।
» कई जगहों की होली भी बहुत प्रसिद्ध हैं । ब्रज की होली – और बरसाने की होली पूरी दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं । राजस्थान में स्थित उदयपुर में शाही ठाठ – बाठ से होली मनाई जाती हैं ।