
काली सुहागन – Horror Story In Hindi
» घनघोर अंधेरी रात मे सुहाग की सेज पर बैठी आँचल अपने पति का इंतजार कर रही थी। तभी दरवाजा खुलने की आवाज से वह चौक जाती है । रमेश अंदर आता है।
» रमेश – सुनो यह शादी मेरी मर्जी के बगैर हुई है । मै तुम जैसी काली लड़की से कभी शादी नही करता लेकिन मेरे मम्मी – पापा ने न जाने तुम क्या देखा । यह कमरा मेरा है , तुम बराबर वाले कमरे मे चली जाओ वहीं सो जाना ।
» आँचल के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह इतने अरमान सजाए बैठी थी ,। यह सुनते ही उसकी आँखों से आसू बहने लगे। वह चुपचाप कमरे से बाहर निकल कर दूसरे कमरे की ओर जाने लगी तभी उसके कानों मे ठहाकों की आवाजे आने लगी ।
» उसने कॉरीडोर से निकल कर सीढ़ियों के पास खड़े होकर देखा तो उसकी सास और ससुर दोनों बैठे हस रहे थे –
» ससुर – देखा कितना दहेज मिला है। हमारा तो घर भर गया । अमीर घर से रिश्ता जोड़ने का यही फायदा होता है । पैसा इतना मिला है की तिजोरी मे रखने किं जगह नही है ।
» सास – वो तो ठीक है लेकिन इस काली कलमुँही से कैसे पीछा छुड़ाया जाए मै तो अपने रमेश की दूसरी शादी किसी सुंदर लड़की से करूंगी ।
» ससुर – अरे वो सब बाद मे अभी तो पैसों के मजे लो और वह घर मे नौकरानी की तरह काम करती रहेगी ।
» आँचल को गहरा सदमा लगा। मेरे पापा से ये सब कितने मीठे बन कर बात कर रहे थे। पापा ने मेरे रंग के कारण ही इन्हे इतना दहेज दिया था। वो पैसों से मेरी खुशी खरीदना चाहते थे। उन्हे पता लगेगा तो न जाने क्या बीतेगी।
» वह दूसरे खाली कमरे मे पड़े पलंग पर बैठी रोती रही न जाने कब उसकी आँख लग गई । सुबह वह उठ कर नीचे चली गई ।
» सास – बहु तू अपने मायके फोन कर दे वो तुझे पगफेरे के लिए आज ही ले जाए यहाँ हम तेरी मुंह दिखाई कर नही सकते । सब हमारा मजाक उड़ाएंगे ।
» आँचल चुपचाप ऊपर आकर फोन करने लगती है । उसके पापा आकर उसे ले जाती हैं। घर जाकर वह किसी से बात नही करती अपने कमरे मे जाकर रोती रहती है । शाम को उसकी ससुराल से कोई उसे लेने नही आता।
» आँचल को बहुत गुस्सा आता है । वह चुपचाप स्टोर से चूहे मारने की दवा लाकर पी लेती है और अपने कमरे मे पहुँच जाती है। कुछ देर बाद वह खड़े होकर इधर – उधर देख रही थी वह अपने आपको बहुत हल्का महसूस कर रही थी । तभी वह देखती है सामने उसका ही शरीर पड़ा था।
» वह एक आत्मा बन चुकी थी। जिसकी मुक्ति बहुत दूर थी। यह कष्ट तो जिंदा रहने से भी ज्यादा परेशान करने वाला था। वह सीधे अपने ससुराल पहुँच जाती है । वहाँ उसके सास ससुर , रमेश को जेवर और रुपया दिखा रहे थे ।
» रमेश – मुझे आप लोगों पर गुस्सा आ रहा था । लेकिन अब समझ आया आपका ये प्लान था । तभी उन्हे कमरे मे जोर से हवा चलने का अहसास होता है। कमरे की सारी खिड़कियां बंद थी । उसी समय सामने दीवार पर लगी घड़ी नीचे गिर कर टूट जाती है । कमरे की लाइट भी धीरे – धीरे कम होती जा रही थी । पलंग पर पैसे और जेवर बिखरे पड़े थे ।
» तभी रमेश के मोबाइल पर फोन आता है। उसे सुन कर रमेश के होश उड़ जाते हैं।
» रमेश – माँ, आँचल के पापा का फोन था। वो बुरी तरह रो रही थे। आँचल ने जहर खाकर खुदकुशी कर ली।
» सास – चलो अच्छा हुआ खुद ही पीछा छूट गया। चल अभी तो वहाँ चलते है। कुछ दिन बाद मै तेरी पसंद की लड़की से शादी करा दूँगी । तीनों दरवाजों को ओर चल देते है , लेकिन यह क्या दरवाजा अपने आप बंद हो जाता है।
» सास – कौन है, तभी कमरे अँधेर सा होने लगता है। कमरे की रोशनी अपने आप कम होने लगती है।
» ससुर – अरे खिड़की खोल कर किसी को आवाज दो लगता है , दरवाजा बाहर से बंद है। , तीनों दरवाजे को धक्का देने लगते हैं। दूसरे ओर पलंग पर पड़े नोटों मे आग लग जाती है। पूरा बिस्तर जलने लगता है। जेवर भी उसमे पिघलने लगते हैं। देख कर तीनों डर जाते है।
» तीनों एक दूसरे को पकड़ कर खिड़की की ओर जाने लगते हैं लेकिन यह क्या ? खिड़की भी नही खुलती कमरे मे धुंआ भरता जा रहा था । सास ससुर का खास खाँस कर बुरा हल था । रमेश उन्हे नीचे बैठा देता है । वह खुद दरवाजा खोलने की कोशिश करता है ।
» पलंग की आग बुझ चुकी थी। ब थोड़ी सी सुलग रही थी । तभी किसी ने रमेश का पैर पकड़ कर खींचा । रमेश गिर गया उसके सिर मे गहरी चोट लगी थी। उसके मम्मी – पापा को कुछ दिखाई नही दें रहा था ।
» रमेश अपने आपको छुड़ाने के लिए छटपटा रहा था । तभी उसने देखा खिड़की के पास सफेद कपड़े पहने आँचल खड़ी थी । वह जोर- जोर से हंस रही थी ।
» आँचल – क्यों दहेज चाहिए न । रख लो दहेज मै अब तुम्हारे बेटे कों साथ ले जाऊँगी ।
» सास – बहु हमे माफ कर दे। मेरे बेटे को छोड़ दे।
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विक्रम और बेताल की प्रारंभ की कहानी » Vikram And Betal । Story Of Vikram And Betal ।
» आँचल – वो देख तेरा दहेज जल रहा है । आँचल ने दरवाजा खोला तो वह बाहर रखा सारा दहेज का समान जल रहा था । पूरे घर मे धुंआ भर रहा था । इधर रमेश बेहोश हो चुका था ।
» आँचल उसके सीने पर बैठी उसका गला दबा रही थी । कुछ देर तक रमेश पैर पटकता रहता है फिर वह दम तोड़ देता है। जब उन्हे होश आता है तो सामने पुलिस इंस्पेक्टर खड़ा था ।
» इंस्पेक्टर – आप ठीक हैं यह सब कैसे हुआ ।
» ससुर – बहु ने मेरा बेटे को उसे पकड़ो ।
» इंस्पेक्टर – आपकी बहु तो सुबह ही मर चुकी है।
» सास – नही हमारे सामने ही उसने मारा है मेरे रमेश को उस मत छोड़ना । रमेश के मम्मी – पापा इंस्पेक्टर से गुहार लगा रहे थे । साहब हमे बचा लो नही तो वो हमे भी मर देगी । वह यही है आप उस कमरे मे देखो । इंस्पेक्टर पूरा घर देख लेता है लेकिन कोई नही मिलता ।
» रमेश की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज कर वह चला जाता है । इधर आँचल का शव लकड़ियाँ पर रखा था । उसके पिता बिलख – बिलख कर रो रहे थे । सभी रिश्तेदार जो कल तक शादी की खुशियां मना रहे थे । आज उदास खड़े थे । आँचल यह सब देख कर रो रही थी ।
» पापा – काश मै इन लालची लोगों के यहाँ उसका रिश्ता नही करता कम से कम मेरी बेटी मेरे घर मे तो रहती । अब मै किसे देख कर जिंदा रहूँगा । अंतिम संस्कार के बाद सब चले जाते हैं । आँचल अब अपने अगले शिकार अपने सास ससुर को मारने चल देती है।