एक बार की बात हैं । किसी जंगल में एक कौवा रहता था । वो अपने जीवन मे बहुत ही खुश था । क्योंकि उसकी ज्यादा इच्छाएं नहीं थीं । वह कौवा अपनी जिंदगी से पूरी तरह संतुष्ट था । लेकिन एक बार उसने जंगल में किसी हँस को देख लिया । और उसे देखते ही सोचने लगा । कि ये प्राणी कितना सुंदर हैं । ऐसा पक्षी तो मैंने पहले कभी नहीं देखा ।
कौवे ने हँस को देखा
इतना साफ और सफ़ेद । यह तो इस जंगल में ओरों से बहुत सफेद और सुंदर हैं । इसलिए यह तो अपने जीवन मे बहुत ही खुश रहता होगा । और मैं कितना काला हूँ । तभी कौवा हँस के पास गया और पूछा , ” भाई तुम इतने सुंदर हों, इसलिए तुम अपने जीवन मे बहुत खुश होंगे ? “
कौवे की बात सुनकर हँस ने जवाब दिया । ” हाँ मैं पहलें बहुत खुश रहता था । जब तक मैंने उस प्यारे तोते को नहीं देखा था । उसे देखने के बाद से लगता हैं कि तोता धरती का सबसे सुंदर पक्षी हैं । ” तुम्हारे और मेरे शरीर का तो एक ही रंग हैं । लेकिन तोते के शरीर पर दो – दो रंग हैं । उसके गले में लाल रंग का घेरा और वो सुर्ख रंग का था । सच मे वह तोता सभी पक्षियों से बेहद खूबसूरत था । और अब उसे देखकर मैं अपने आप से बहुत दुखी रहता हूँ ।
कौवा तोते से मिला
अब कौवे ने सोचा , ” कि हँस तो तोते को सबसे सबसे सुंदर बता रहा हैं । तो फिर उससे मिलकर उसे देखना होगा । “
कौवा तोते के पास गया और पूछा , भाई तुम दो – दो रंग पाकर जीवन में बड़े खुश होंगे ? इस पर तोते ने कहा , हाँ मैं तब तक खुश था जब तक मैंने मोर को नहीं देखा था । मेरे पास तो दो ही रंग हैं लेकिन मोर के शरीर पर तो कई तरह के रंग हैं ।
अब कौवे ने सोचा कि सबसे ज्यादा खुश कौन हैं ? यह तो मैं पता करके ही रहूँगा । इसलिए अब मैं मोर से मिलूँगा ।
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कौवा मोर से मिला
कौवे ने मोर को जंगल में ढूंढा लेकिन उसे पूरे जंगल मे एक भी मोर नहीं मिला । और मोर को ढूँढ़तें ढूँढ़तें वह कौवा चिड़ियाघर पहुँच गया । तो देखा कि मोर को देखने बहुत से लोग आए हुए हैं । और उसके आस – पास अच्छी खासी भीड़ हैं । तभी सब लोगो के जाने के बाद , कौवा मोर के पास गया ।
तो कौवे ने मोर से पूछा , भाई तुम दुनियाँ के सबसे सुंदर पक्षी हों । और तुम्हारे पंख भी रंग बिरंगे हैं । तुम्हारे साथ तो लोग फ़ोटो खिंचवा रहें हैं । तुम्हें तो बहुत अच्छा लगता होगा । और तुम बहुत खुशनसीब हो कि तुम दुनियाँ के सबसे सुंदर पक्षी हों । तुम तो अपने जीवन मे हमेशा खुश रहते होंगे ? तुम्हारा जीवन बहुत अच्छा हैं ।
इस पर मोर ने बहुत ही दुखी होते हुए कहा , कि कौवे भाई अगर सुंदर हूँ तो भी क्या फरक पड़ता हैं । मुझे लोग इस चिड़ियाघर मे कैद करके रखते हैं । लेकिन तुम्हें तो कोई भी चिड़ियाघर मे कैद करके नहीं रखता । और तुम जहाँ चाहों वहाँ अपनी मर्जी से घूम-फिर सकतें हों । इसलिए दुनियाँ के सबसे संतुष्ट और खुश पक्षी तो तुम्हें होना चाहिए । क्योंकि तुम आजाद रहते हों । यह कहकर मोर बहुत दुखी हुआ ।
आखिर कौवे को समझ आ गया
मोर की बात सुनकर , कौवा बहुत हैरान रह गया । क्योंकि उसके उसके जीवन की अहमियत कोई दूसरा बता गया । अब कौवे को समझ आ चुका था , कि अपने जीवन की तुलना दूसरे से कभी नहीं करनी चाहिए । क्योंकि दूसरे की थाली में घी ज्यादा ही नजर आता हैं ।
कहानी से सिख :-
दोस्तों :- ऐसा ही हम लोग भी करते हैं । हम अपनी खुशियों और गुणों की तुलना दूसरों ऐसे लोगों से करते हैं जिनका रहन – सहन हमसे बिल्कुल अलग होता हमारी जिंदगी मे बहुत सारी छीजे ऐसी होती होती हैं । जो केवल हमारे ही पास हैं । लेकिन हम उसकी अहमियत न समझकर बिल्कुल भी खुश नहीं होते ।
मगर दूसरों की छोटी सी खुशी भी हमें बड़ी लगती हैं । जबकि हम अपनी बड़ी से बड़ी खुशियों को भी इग्नोर कर देते हैं । इसलिए साथियों .. ” जितना हमारे पास हैं उसमे ही खुश रहना सीखों , क्योंकि वो ही हमारी सबसे बड़ी खुशी या हमारे लिए एक बड़ा अवसर हैं । और अपनी तुलना दूसरों से बिल्कुल भी मत करों । “