
गाँव की राधा और गरीब मोहन की प्रेम कहानी – Love Story Of Radha And Mohan
» हरी भरी वादियों और कल – कल बहती नदी के किनारे बसा गाँव चंदनपुर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए तो प्रसिद्ध था ही, पर उसकी असली रौनक थी राधा । राधा, जैसा नाम वैसा ही उसका रूप और स्वभाव ।
» चंचल , अल्हड़ , खुशमिजाज और शरारती । उसकी हंसी , मानो पूरे गाँव मे शहद घोल देती थी। जब वह अपनी सखियों संग पनघट पर जाती थी , या खेतों मे किलकारियाँ भरती , तो लगता जैसे प्रकृति स्वयं मुस्कुरा उठी हो ।
» राधा की आंखे सुबह की ओस की बूंदों सी निर्मल और होंठ गुलाब की पंखुड़ियों से कोमल थे । लहराते काले केश जब हवा मे उड़ते तो लगता जैसे काली घटाए झूम रहो हो। वह गाँव के सबसे बड़े और सम्मानित जमींदार , ठाकुर भानुप्रताप सिंह की इकलौती लाड़ली बेटी थी।
» एश्वर्य और लाड़ प्यार मे पली – बढ़ी होने के बावजूद उसमे घमंड का लेशमात्र भी नहीं था। वह गरीबों के दुख मे दुखी होती सुर उनकी उनकी मदद के लिए हमेशा तत्पर रहती ।
» उसकी यही सहजता और सुंदरता उसे पूरे गाँव की लाड़ली बनती थी। गाँव का हर नौजवान राधा पर मोहित था। , उसके दिल मे राधा के लिए एक खास जगह थी, पर राधा थी कि इन सबसे बेखबर अपनी ह दुनिया मे मगन रहती थी ।
» इसी गाँव के एक छोर पर , जहाँ अमीरी की चमक फीकी पड़ जाती थी, एक साधारण सा लकड़हार परिवार रहता था। उसी परिवार का बेटा था मोहन। मोहन अपने नाम के अनुरूप ही मन को मोह लेने वाला , शांत , सुशील , और मेहनती युवक था ।
» उसका रंग सावला था । पर नैन नक्श तीखे और आकर्षक थे । चौड़ा सीना और मजबूत भुजाये उसकी कड़ी मेहनत की गवाही देती थी । वह रोज सुबह कुल्हाड़ी लेकर जंगल की ओर निकल जाता और शाम को लकड़ियों का गट्ठर लादे घर लौटता , । उसकी दुनिया सीमित थी। जंगल लकड़ियाँ और अपने बूढ़े माँ बाप की सेवा । पर इस सीमित दुनिया मे भी एक असीमित सपना पल रहा था , और वह सपना थी राधा, ।
» मोहन छिप – छिप कर राधा को देखता था। जब राधा अपनी सखियों के साथ हँसती खेलती नदी किनारे आती, तो मोहन दूर किसी पेड़ की ओट मे खड़ा होकर उसे निहारता रहता,। राधा की एक झलक पाने के लिए वह घंटों इंतजार कर सकता था। उसके लिए राधा चाँद की तरह थी।
» खूबसूरत , पवित्र पर पहुँच से बहुत दूर । वह अपनी और राधा की सामाजिक स्थिति के अंतर को भली भांति समझता था। खाँ जमींदार की बेटी और खाँ एक गरीब लकड़हारे का बेटा ! यह कल्पना भी उसके लिए दुस्साहस थी। फिर बह दिल था की मानता नही था। राधा की छवि उसके मन मंदिर मे किसी देवी की तरह प्रतिष्ठित हो चुकी थी।
» राधा भी कभी – कभी मोहन को देखती थी । उसकी नज़रों मे उसे एक अजीब सी कशिश और मासूमियत दिखती थी वह जानती थी मोहन उसे देखता है , पर उसके देखने से वासना नही, बल्कि एक मौन आराधना होती थी। यह बात राधा को कही गहरे छु जाती थी। पर वह इसे कोई विशेष महत्व नही देती थी।
» समय अपनी गति से चलता रहा । एक दिन गाँव मे जोर का मेला लगा , चारों ओर चहल पहल थी । राधा भी अपनी सखियों के साथ मेले मे घूमने आयी। रंग बिरंगी चूड़ियाँ, मिट्टी के खिलौने , मिठाईयों की खुशबू , सब कुछ मनमोहक था। राधा एक दुकान पर लाख की चूड़ियाँ देख रही थी, तभी अचानक भगदड़ मच गई।
» एक पागल सांड भीड़ मे घुस आया था और लोग अपनी – अपनी जान बचाने के लिए इधर – उधर भाग रहे थे । राधा की सखियाँ तो किसी तरह बच गई पर राधा घबराहट मे वही खड़ी रह गई। सांड उसकी ओर लपका आ रहा था। राधा ने डर के मारे आंखे मूँद ली।
» तभी एक मजबूत हाथ ने उसे खींचकर एक तरफ किया और पलक झपकते ही वह सांड आगे निकल गया । जब राधा ने आंखे खोली , तो खुद को मोहन की बाँहों मे पाया । मोहन हाँफ रहा था, पर उसकी आँखों मे राधा के लिए चिंता साफ झलक रही थी ।
» राधा कुछ पल के लिए सब कुछ भूल कर मोहन मोहन की आँखों मे देखती रही । आज पहली बार उसने मोहन को इतने करीब से देखा है , उसके साँवले चेहरे पर पसीने की बुँदे चमक रही थी , और उसकी धड़कन राधा को अपनी छाती पर महसूस हो रही थी ।
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» आप ठीक तो हैं ना राधा जी ? मोहन ने सकुचाते हुए पुछा !
» राधा हड़बड़ाकर उससे अलग हुई । हाँ ….. हा मै ठीक हूँ । धन्यवाद मोहन ! तुमने आज मेरी जान बचाई । मोहन बस मुस्कुरा दिया । उसके लिए राधा की सलामती ही सबसे बड़ाा इनाम था ।
» इस घटना के बाद ही राधा के मन मे मोहन के लिए एक अनजान सा आकर्षण पैदा हुआ। वह अब जानबुझ कर ऐसे रास्ते चुनती जहाँ उसे मोहन दिख जाए , । कभी जंगल कए पास से गुजरते हुए , तो कभी नदी कए किनारे टहलते हुए । मोहन भी राधा की इस बदली हुयी रुचि को महसूस कर रहा था । पर कुछ कहने के लिए हिम्मत नही जुटा पाया।
» दोनों के बीच एक मौन संवाद शुरू हो चुका था । जो शब्दों से कही अधिक गहरा था । एक दिन दोपहर का समय था आसमान मे बादल घिरने लगे थे । राधा अपनी प्रिय सखी ललिता के साथ जंगल के किनारे अमलतास के पीले फूलों को इकट्ठा करने आई थी।
» तभी जोरों की बारिश शुरू हो गई । साथ मे बिजली की कडक और बादलों की गरज । दोनों बुरी तरह घबरा गई, पास मे कोई सुरक्षित ठिकाना भी नही दिख रहा था।
» अब क्या करे राधा ? ललिता ने काँपते हुए पूछा। राधा भी चिंतित थी । तभी उसकी नजर पास की एक पुरानी , जीर्ण – शीर्ण कुटिया पर पड़ी । वह शायद किसी लकड़हारे की छोड़ी हुई आरामगाह थी।
» चलो वहाँ चलते हैं, राधा ने कहा , और दोनों उस कुटिया की ओर भागी ।
» कुटिया अंदर से सुखी थी , पर काफी अंधेरी और सुनसान थी। दोनों एक कोने मे दुबक कर बैठ गई। बारिश थमने का नाम नही ले रही थी। अचानक कुटिया का दरवाजा खुला और सामने मोहन खड़ा था, हाथ मे जलती हुई मशाल लिए । वह भी बारिश से बचने के लिए यही आया था।
» राधा और ललिता को देखकर वह चौंक गया , फिर सँभलते हुए बोला , आप लोग यहाँ? सब ठीक तो है ? हाँ मोहन , हम बारिश मए फस गए थे । राधा ने कहा । उसकी आवाज मे अब डर की जगह एक अजीब सी राहत थी।
» मोहन ने मशाल को एक खूंटी मे टांग दिया। कुटिया मे हल्की रोशनी फैल गई । ललित थोड़ी देर मे ऊघने लगी। अब कुटिया मे सिर्फ राधा और मोहन जाग रहे थे । बाहर बारिश की रिमझिम आवाज और अंदर दो धड़कते दिलों की खामोशी ।
» तुम्हें डर नही लगता इतनी तेज बारिश और बिजली से ? राधा ने चुप्पी तोड़ते हुए पूछा.।
» मोहन मुस्कुराया , बचपन से जंगल का और इन तूफ़ानों का आदी हूँ । राधा जी। ये तो हमारे साथी जैसे हैं , पर तुमने आज हमे भी अपना साथी समझ कर बचाया , राधा ने मोहन की आँखों मे देखते हुए कहा , मोहन की नजरे झुक गई । यह तो मेरा फर्ज था ।
» उस रात उस छोटी सी कुटिया मे , बारिश की बूंदों की संगत मे , दो दिलों ने पहली बार एक – दूसरे के अहसासों को छुआ । उन्होंने बाते कि अपने सपनों की , अपनी मजबूरीयों की , अपने डर की।
» राधा ने पहली बार अपने दिल की वो परते खोली , जो उसने सब्सए छिपा रखी थी। उसने बताया कि कैसे जमींदार की बेटी होने का तमगा कभी – कभी उसे बोझ लगता है, कैसे वह सामान्य जीवन जीना चाहती है।
» मोहन ने भी अपने मन की सारी बाते कही , अपने संघर्षों और अपनी उम्मीदों के बारे मे बताया, । उसने ये भी बताया की कैसे राधा उसके लिए एक प्रेरणा बनी थी। एक ऐसा सपना जिसे कभी वो छु नही सकता ।
» ऐसा क्यों कहते हो मोहन ? राधा ने उसका हाथ पकडते हुए कहा , । सपने देखने और उन्हे पूरा करने का हक सभी को है। मोहन ने राधा के कोमल स्पर्श को महसूस किया । उसके पूरे बदन मे एक सिहरन सी दौड़ गई । उसने हिम्मत करके राधा का हाथ थाम लिया। पर कुछ सपने हकीकत से बहुत दूर होते हैं , राधा जी।
» बारिश धीरे – धीरे थम रही थी और मशाल की रोशनी भी मद्धम पड़ चुकी थी। दोनों एक दूसरे के बहुत करीब आ चुके थे । राधा ने अपना सिर मोहन के कंधे पर टीका दिया , मोहन ने धीरे से अपनी बाहं राधा की गिर्द डाल दी।
» उस पल उस एकांत मे , सामाजिक बंधनों और ऊंच – नीच का भेद मिट चुका था । सिर्फ दो आतमाये थी, जो एक – दूसरे मे खो जाना चाहती थी। मोहन ने होले से राधा के चेहरे को उठाया , और उसकी आँखों मे झांका ।
» राधा की आंखे बंद थी , और उसके होंठ हल्के से कांप रहे थे । मोहन खुद को रोक नही पाया , और उसने अपने होंठ राधा के होंठों पर रख दिए । वह एक पवित्र चुंबन था , जिसमे वासना नही , बल्कि प्रेम की अनंत गहराई थी।
» वह बरसात की रात उनके जीवन की सबसे यादगार रात बन गई थी । वह रात उनके प्यार की साक्षी बनी । जहाँ दो अलग – अलग दुनियाओ के इंसान एक हो गए थे ।
» सुबह जब आँख खुली, तो बारिश थम चुकी थी। सूरज की पहली किरने झोपड़ी के अंदर आ रही थी । राधा मोहन के कंधे पर सिर रख कर सो रही थी । मोहन उसे अपलक निहार रहा था।
» उसे विश्वास नही हो रहा था कि , कल रात जो हुआ, वह सपना नही हकीकत थी।
» इस घटना के बाद राधा और मोहन का प्रेम और गहरा हो गया । वे अब छिप छिपकर मिलने लगे थे । कभी नदी के किनारे तो कभी घने जंगल मे , तो कभी गाँव के पुराने मंदिर के पीछे । उनकी प्रेम की कहनी गाँव की हवाओ मे खुशबू की तरह फैलने लगी थी।
» कुछ लोगों को इसकी भनक भी लग गई थी, पर कोई खुल कर कुछ कहने की हिम्मत नही करता था ।
» लेकिन प्यार और चिंगारी कब तक छिप सकती है ? एक दिन ठाकुर भानुप्रताप के कानों तक यह बात पहुँच गई । उन्हे अपने जासूसों से पता चला की राधा एक गरीब लकड़हारे के लड़के से मिलती है । यह सुनते ही ठाकुर साहब आग बाबुल हो गए । उनकी बेटी , जिसकी शान मे पूरा गाँव कसीदे पढ़ता था, वह कतई बर्दाश्त नही था ।
» उन्होंने तुरंत राधा को अपने सामने बुलाया । राधा समझ गई थी कि , आज जरूर कुछ अनहोनी होने वाली है। क्या यह सच है राधा ? जो हम सउन रहे हैं। ठाकुर साहब की आवाज मे क्रोध था ।
» राधा ने सिर झुका लिया । पिता जी मैं ……
» चुप रहो ! ठाकुर गरजे । तुम्हारी यह हिम्मत कैसे हुई ? एक जमींदार की बेटी होकर तुमने के लकड़हारे के साथ ,,,, ! तुमने हमारी नाक कटवा दी ।
» पिताजी मोहन एक अच्छा इंसान है । मै उससे प्रेम करती हूँ । राधा ने हिम्मत करके कहा ।
» प्रेम ! तुम प्रेम का मतलब भी जानती हो ? यह प्रेम नही पागलपन है । उस कंगले मे ऐसा क्या देखा तुमने ?
» मैंने उसका दिल देखा है । पिताजी ! उसकी सच्चयी और ईमानदारी देखि है । धन – दौलत ही सब कुछ नही होता ।
» ठाकुर भानुप्रताप अपनी बेटी की दलीलो से और भी क्रुद्ध हो गए। उन्होंने राधा के बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी । और मोहन को गाँव छोड़ जाने का हुक्म सुना दिया ।
» यदि वह नही गया तो उसे जान से मार देने की धमकी भी दी। मोहन के लिए यह वज्रपात से कम नही था । पर राधा की जिंदगी को खतरे मे भी नही डालना चाहता था ।
» वह राधा के बिना जीने की कल्पना भी नही कर सकता था । उसने गाँव छोड़ने का फैसला भी कर लिया , पर जाने से पहले वह राधा से एक बार मिलना चाहता था ।
» राधा अपने कमरे मे कैद थी , रो रो कर उसका बुरा हाल था । उसकी सखी ललिता के माध्यम से उसे मोहन के गाँव छोड़ने की खबर मिली ।
» उस वक्त राधा तड़प उठी , उसने फैसला किया कि वह मोहन को ऐसे नही जाने देगी ।
» उसी रात जब सारा गाँव सो रहा था तो , राधा चुपके से अपने कमरे से निकली । वह जानती थी कि मोहन गाँव के बाहर , नदी किनारे वाले पुराने शिव मंदिर मे आखिरी बार जरूर मिलने आएगा। और हुआ भी यही ।
» मोहन उसका वहाँ इंतजार कर रहा था ।
» दोनों एक – दूसरे को देखते ही लिपटकर रो पड़े। मुझे छोड़ कर मत जाओ मोहन, राधा ने सिसकते हुए कहा , । मै तुम्हारे बिना नही जी पाऊँगी ।
» मुझे जाना होगा राधा , मोहन ने भरी आवाज से कहा। तुम्हारे पिताजी मुझे मार देंगे । मै तुम्हारी जिंदगी खराब नही कर सकता है।
» अगर तुम चले गए तो मेरी जिंदगी वैसे भी खत्म हो जाएगी, राधा ने दृढ़ता से कहा ।
» चलो हम कही दूर चलते हैं , जहाँ कोई हमे अलग ना कर सके ।
» मोहन राधा की आँखों मे अपने लिए आगाध प्रेम और अटूट विश्वास देखकर पिघल गया।
» उसने फैसला किया कि वह राधा के लिए लड़ेगा। दुनिया से भी और किस्मत से भी ।
» ठीक है राधा , मोहन ने कहा। हम यह गाँव छोड़कर चले जाएंगे । एक नई दुनिया बसएंगे , जहाँ सिर्फ हमारा प्यार होगा ।
» दोनों ने उसी रात गाँव छोड़ने का फैसला कर लिया । पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था ।
» ठाकुर भानुप्रताप को अपने जासूसों से उनके भागने की योजना पता चल गई। अब राधा और मोहन गाँव की सीमा पार करने वाले ही थे ठाकुर अपने आदमियों के साथ वहाँ पहुँच गया।
» रुक जाओ ! ठाकुर गरजे ! राधा अंदर चलो ! और तू लकड़हारे के बच्चे , आज तेरी खैर नही है।
» ठाकुर के आदमियों ने मोहन को पकड़ लिया और पीटना शुरू कर दिया । राधा चीखती रही पर कोई उसकी सुनने वाला नही था।
» मोहन लहूलहान हो गया पर उसकी आँखों मे राधा के लिए प्रेम कम नही हुआ ।
» यह देखकर राधा से रहा नही गया .। वह दौड़कर अपने पिता के पैर पर गिर पड़ी । पिता जी उसे छोड़ दीजिए ! मई आपसे विनती करती हूँ ।
» अगर आप मोहन को कुछ करेंगे तो, मै भी अपनी जान दे दूँगी ।
» ठाकुर भानुप्रताप अपनी बेटी की यह हालत देखकर थोड़े नरम पड़े।
» उन्हे राधा की आँखों मे अपने लिए नफरत और मोहन के लिए सच्चा प्रेम दिखा।
» उन्हे अपनी बेटी के आगे अपना अहंकार छोटा लगने लगा । उसे छोड़ दो , उन्होंने अपने आदमियों से कहा ।
» मोहन को छोड़ दिया गया वह लड़खड़ाता हुआ उठा । ठाकुर भानुप्रताप ने एक लंबी सांस ली ।
» राधा क्या तुम सच मे इसके बिना नही रह सकती ? राधा ने आँसुओ से भीगी आँखों से कहा हाँ मे सिर हिलाया , ।
» और तू मोहन ठाकुर ने मोहन की तरफ देखते हुआ कहा , क्या तू मेरी बेटी को हमेशा खुश रखेगा ? क्या तू उसे वह सब कुछ डे पाएगा जिसकी वह हकदार है ?
» मोहन ने हिम्मत करके ठाकुर की आँखों मे देखा , ठाकुर साहब मै राधा को दुनिया की सारी दौलत तो नही दे सकता , पर मै वादा करता हूँ, कि मेरे रहते उनकी आँखों मे कभी आँशु नही आएंगे मै मेहनत करके उन्हे हर खुशी दूँगा।
» मोहन की बातो मे सच्चयी और दृढ़ता थी। ठाकुर भानुप्रताप का कठोर दिल पिघल गया । उन्होंने अपनी बेटी के प्यार के आगे घुटने टेक दिए ।
» ठीक है , उन्होंने कहा,। हमे यह रिश्ता मंजूर है। पर एक शर्त है , तुम्हें यही रह कर अपनी काबिलियत साबित करनी होगी।
» मै तुम्हें अपनी जमीन का एक हिस्सा दूँगा । उस पर तुम मेहनत करो और दिखा दो कि तुम मेरी बेटी के लायक हो ।
» मोहन और राधा की खुशी का ठिकाना नही रहा। मोहन ने ठाकुर साहब की बात मान ली। उसने दिन रात मेहनत की ।
» राधा ने भी हर कदम पर उसका साथ दिया । कुछ सालों मए मोहन ने अपनी मेहनत और लग्न से बंजर जमीन को सोना उगलने वाली धरती मए बदल दिया ,।
» गाँव वाले भी मोहन के मेहनत और राधा की निस्वार्थ प्रेम के कायल हो गए।
» ठाकुर भानुप्रताप ने राधा और मोहन का धूमधाम से विवाह करवाया। पूरा गाँव उस अनोखे प्रेम विवाह का साक्षी बना ।
» राधा जो हमेशा खुशियां फैलती थी , आज स्वयं खुशियों के सागर मे डूबी हुई है।
» मोहन जिसने कभी सपने मे भी नही सोचा था कि उसका प्यार मुकम्मल होगा , आज अपनी राधा के साथ एक सुखी जीवन जी रहा था ।
» उनकी प्रेम कहानी गाँव मे एक मिसाल बन गई – एक ऐसी कहानी जो बताती थी कि सच्चा प्यार किसी भी सामाजिक बंधन या ऊंच नीच की दीवार को तोड़ सकता है।
» राधा और मोहन ने साबित कर दिया कि प्रेम मे वह शक्ति है जो नामुमकिन को भी मुमकिन बना देती है। और चंदनपुर गाँव हमेशा उनकी इस अमर प्रेम गाथा को गुनगुनाता रहा।