चोर – बूढ़ा पिता और महात्मा का उपदेश – Motivational Stories In Hindi । Hindi Stories । Hindi Kahaniyan ।

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चोर – बूढ़ा पिता और महात्मा का उपदेश – Motivational Stories In Hindi

» किसी नगर में एक बूढ़ा चोर रहता था । ” सोलह वर्षीय ” उसका एक बेटा भी था । चोर जब ज्यादा बूढ़ा हो गया । तो वह अपने बेटे को चोरी की विधा सिखाने लगा । और कुछ ही दिनों में वह लड़का चोरी विधा में सब कुछ सिख गया । अब दोनों बाप बेटे आराम से जीवन बिताने लगे । 

» एक दिन बूढ़े चोर ने अपने बेटे से कहा । कि ” देखो बेटा ” साधु संतों की बात कभी नहीं सुननी चाहिए । अगर कहीं कोई महात्मा तुम्हें उपदेश देता दिखाई दे । तो उसी समय तुम ” अपने कानों मे उंगली डालकर ” वहाँ से भाग जाना समझे । हाँ बापू समझ गया । मैं कभी किसी साधु की बात नहीं सुनूँगा । 

» एक दिन लड़के नें सोचा क्यों ना आज राजा के महल पर ही हाथ साफ कर दूँ । ऐसा सोचकर वह उधर ही चल पड़ा । थोड़ी दूर जाने के बाद उसने देखा कि रास्ते के बगल मे कुछ लोग एकत्र होकर खड़े हैं । तभी उसने एक आते हुए व्यक्ति से पूछा कि ” उस स्थान पर इतने लोग क्यों खड़े हैं ” ??

» उस आदमी ने कहा कि वहाँ एक बड़े महात्मा आए हैं और वे सबको उपदेश भी दे रहे हैं । यह सुनकर उस चोर लड़के का माथा ठनक गया और उसे पिता की कही बात याद आ गई । कि किसी भी महात्मा का उपदेश या ज्ञान सुनने से पहले वो अपने दोनों कानों मे उंगली डाल कर वहाँ से भाग जाए । ऐसा सोचकर वह अपने दोनों कानों में उंगली डालकर वहाँ से भागने लगा । 

» तो जैसे ही वो चोर लड़का लोगों की भीड़ के यहाँ से भागने लगा । तभी उसे वहाँ पड़े एक बड़े पत्थर से ठोकर लगी । और वह सीधा महात्मा जी के पास ही जाकर गिरा । 

» उस समय वह बड़े महात्मा जी सबको यह उपदेश दे रहे थें कि ,” इंसान को कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए “। और ” जिसका नमक खाएं उसका कभी बुरा नहीं सोचना चाहिए ” । ” ऐसा करने वालों को ” भगवान सदा सुखी बनाए रखतें हैं ।

» ये दो बातें उस चोर लड़के के कानों मे पड़ते ही वह झट से उठा और तुरंत दोनों कानों को बंद करके वहाँ से चला गया । 

» अब वह राजा के यहाँ राजमहल में चोरी करनें चल दिया । वहाँ पहुंचकर जैसे ही वो राजमहल के अंदर जाने लगा । तो वैसे ही उसे वहाँ बैठे पहरेदार ने रोका और कहा , ” अरे तुम अंदर कहाँ जा रहे हों  ” ?? और तुम कौन हों ??

» तभी उस चोर लड़के को उस बड़े महात्मा का उपदेश याद आया । ”  कि कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए  “ तभी चोर नें सोचा , आज सच ही बोलकर देखते हैं । ” कि सच मे कितना दम हैं  ”  तभी उस चोर ने पहरेदार से कहा कि , ” मैं एक चोर हूँ ” और यहाँ चोरी करनें आया हूँ । 

» पहरेदार नें कहा कि जाओ । उसने सोचा यह राजमहल का कोई नोकर होगा । और मुझसे मजाक कर रहा है । अब चोर सच  बोलकर राजमहल में प्रवेश कर गया । वह एक कमरें मे घुसा वहाँ ढेर सारा पैसा तथा जेवर देख उसका मन खुशी से भर गया । उसने एक बड़े थैले मे खूब सारा धन भर लिया । और फिर वो दूसरे कमरें मे घुसा । वहाँ रसोई घर था ।

» और वहाँ  कई तरह का भोजन रखा हुआ था । वह खाना खाने लगा । खाना खाने के बाद वह थैला उठाकर चलने लगा , कि तभी फिर से उसे महात्मा का उपदेश याद आ गया । ”  जिसका नमक खाओ  ” उसका कभी बुरा मत सोचो । तभी उस चोर ने अपने मन से कहा , कि खाना खाया उसमे नमक भी था ।

» और महात्मा जी के कहे अनुसार जिसका नमक खाओ उसका कभी बुरा नहीं सोचना चाहिए । इतना सोचकर , चोर लड़के ने पैसों और जैवरों का थैला वापस वहीं रख दिया । और राजमहल से जाने लगा । बाहर पहरेदार ने फिर पूछा ” क्या हुआ चोरी क्यों नहीं की  ” ??

» चोर बोला । ” देखिए जिसका नमक खाया हैं उसका बुरा नहीं सोचना चाहिए । मैंने राजा का नमक खाया हैं । इसलिए चोरी का माल नहीं लाया , वहीं छोड़ आया । इतना कहकर चोर वहाँ से चला गया । 

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» उधर रसोइये नें शोर मचाया , ” पकड़ो , पकड़ो चोर भागा जा रहा हैं । तभी पहरेदार ने चोर को पकड़ कर दरबार मे उपस्थित किया । राजा के पूछने पर उसने बताया कि महात्मा के द्वारा दिए गए उपदेश के मुताबिक मैंने पहरेदार के पूछने पर खुद को चोर बताया था । क्योंकि मैं चोरी करनें आया था । आपका धन मैंने चुराया लेकिन , ” मैंने आपका खाना भी खाया  ” जिसमे नमक मिला था ।

» इसलिए आपके प्रति मैंने बुरा व्यवहार नहीं किया , और आपका सारा धन भी वहीं छोड़ दिया । 

» चोर की बात से राजा बहुत प्रसन्न हुआ । और उसे अपने दरबार में नौकरी दे दी । और वह चोर दो चार दिन घर नहीं गया । तो उसके बूढ़े पिता को चिंता हो गई । कि शायद बेटा चोरी करते पकड़ा गया होगा । लेकिन जब चार दिन के बाद उसका लड़का आया , उसका बाप अचंभित रह गया । क्योंकि उसके बेटे ने अच्छे कपड़े पहने हुए थे ।

» लड़का बोला बापू जी , आप तो कहते थें कि किसी साधु महात्मा की बात मत सुनों । 

» लेकिन मैंने एक महात्मा की बात सुनी और उसी के मुताबिक काम किया , ” तो देखिए सच्चाई का फल “ मुझे राजमहल में अच्छी नौकरी मिल गई । 

» आपका धन्यवाद 

Author: Hindi Rama

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