नरसिंह अवतार » Narasimha Avatar : The Fourth Incarnation of Lord Vishnu ।

नरसिंह अवतार » Narasimha Avatar : The Fourth Incarnation of Lord Vishnu । Vishnu Avatar । Narasimha Avatar । hindirama.com ।
नरसिंह अवतार के बारे में । Narasimha Avatar 

» भगवान विष्णु जी के 10 अवतारों मे चौथा है नरसिंह अवतार । इसे विष्णु जी के रौद्र अवतार के रूप मे जाना जाता है जैसा की नाम से ही स्पष्ट हो जाता  है , नर सिंह अवतार मे भगवान का आधा रूप नर यानि मनुष्य का है और आधा सिंह यानि शेर का।

» पौराणिक कथाओ के अनुसार , भगवान ने यह अवतार देवताओ व पृथविलोक को राक्षस हिरण्यकश्प के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए धारण किया था। भगवान का यह अवतार संदेश देता है की जब पाप बढ़ता है तो उसे खत्म करने के लिए शक्ति के साथ ज्ञान भी जरूरी होता है ।

नरसिंह अवतार की कथा  

» पौराणिक कथाओ के अनुसार , महर्षि कश्यप व उनकी पत्नी दैत्यों की माता दिती के 2 जुड़वा पुत्र थे। एक का नाम था हिरण्याक्ष और दूसरा हिरण्यकशिपु । दोनों भाइयों की एक छोटी बहन होलिका थी। कहा जाता है की हिरण्यकशिपु व हिरण्याक्ष समस्त लोको पर अत्याचार करते थे ।

» पृथ्वी लोक पर हवन, पूजन , अनुष्ठान सहित धार्मिक कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया था, यही नही, हिरण्याक्ष ने धरती को समुद्र मे ले जाकर छिपा दिया था, जिससे समस्त लोक मे अव्यवस्था फैल  गई । इससे मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वराह अवतार धारण किया और हिरण्याक्ष का वध किया था।

» अपने भाई की मृत्यु से क्रोधित हिरण्यकशिपु ने प्रतिशोध लेने की ठानी । कई वर्षों की कठिन तपस्या के बाद उसने ब्रह्मजी को प्रसन्न किया व उनसे अजेय होने का वरदान प्राप्त किया। हिरण्यकश्यप ने वरदान मांगते समय भगवान से कहा  की उसे कोई दिन या रात मे , मनुष्य , पशु, पक्षी कोई भी न मार सके । पानी, हवा या धरती पर किसी भी प्रकार के शस्त्र से उसकी मृत्यु न हो ।

» ब्रह्मजी से वरदान प्राप्त करने के बाद हिरण्यकशिपु ने स्वर्ग पर कब्जा कर लिया और खुद ही सम्पूर्ण लोको का अधिपति हो गया। असुर हिरण्यकशिपु को किसी भी प्रकार से पराजित कर पाने मे देवता असफल रहे । कुछ समय बाद हिरण्यकशिपु की पत्नी कयाधु ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम प्रहलाद था। कयाधु के तीन अन्य पुत्र भी थे, अनुहलाद , सहलाद और हलाद ।

» प्रहलाद अपनी माता कयाधु के समान अत्याचार का विरोधी था। वह भगवान विष्णु जी का परम भक्त था। जबकि हिरण्यकशिपु विष्णु जी की पूजा करने वालों को कठोर दंड देता था। हिरण्यकशिपु को जब प्रहलाद की विष्णु भक्ति के बारे मे जानकारी हुई तो वह क्रोधित हो उठा ।

» उसने प्रहलाद को कई बार विष्णु जी की पूजा न करने की चेतावनी दी लेकिन वह नही माना। जिसके बाद हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र को मारने की साजिश बनाई।

» उसने अपनी बहन होलिका के साथ प्रहलाद को अग्निकुंड मे बैठा दिया। वह जानता था की होलिका के पास भगवान शंकर द्वारा दी हुई एक चादर है जिसे ओढ़ने से अग्नि भी उसका कुछ नही कर सकती । हिरण्यकशिपु प्रहलाद को अग्निकुंड मे भस्म कर देना चाहता  था।

» हालांकि की चादर प्रहलाद के ऊपर आ गई। जिसके प्रभाव से प्रहलाद अग्नि से बच गया और होलिका उसी अग्नि मे जलकर भस्म हो गई।

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» इसके बाद भी हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद को कई प्रकार से मारने की साजिश रची, लेकिन असफल रहा। तत्पश्चात उसने अपने दरबार मे प्रहलाद को एक खंभे से बांध दिया और कहा की अब बुलाओ अपने भगवान को । इतना कहकर उसने खड्ग से खंभे पर तेज प्रहार किया । जिसके बाद भयंकर गर्जना के साथ भगवान विष्णु नर सिंह अवतार मे खंभे के आदर से प्रकट हुए।

» नर सिंह अवतार मे भगवान विष्णु का पूरा शरीर मनुष्य का व मुह सिंह यानि शेर का था , जिसके बड़े – बड़े नख और दंत थे। भगवान नर्सिंगह ने गोधूलि बेला मे जोकि ना दिन का समय था और ना ही रात का । नर सिंह रूप जो ना मनुष्य का था ना पशु का। अपने तेज नाखूनों से जो कोई अस्त्र – शस्त्र मे शामिल नहीं था । पैर की जंघाओ पर बिठाकर जो न जमीन था ना आसमान , हिरण्यकशिपु का पेट चीरकर वध कर दिया । जिसके बाद समस्त लोको मे आनंद व्याप्त हो गया।

नर सिंह अवतार का महत्व 

» हिन्दू धर्म मे भगवान विष्णु के सभी अवतारों को पूजा जाता है। जिस प्रकार प्रभु श्रीराम व कृष्ण , भगवान विष्णु का अवतार है, ठीक वैसे ही नर सिंह अवतार को भी श्रद्धा से पूजा जाता है । वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान नर सिंह का अवतरण हुआ था, इसलिए इसी तिथि को नर सिंह जयंती के रूप मे जाना जाता  है ।

» नर सिंह जयंती पर भगवान विष्णु के नर सिंह अवतार की पूजा – अर्चना की जाती है। मान्यता है की इस दिन पूजा करने से व्यक्ति के सब दुख दूर हो जाते है व जीवन मे सुख – समृद्धि आती है ।

नर सिंह अवतार की पूजा विधि

• नर सिंह जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त मे उठकर स्नान करके साफ कपड़ा पहने ।

• एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर नर सिंह भगवान की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करे।

• तस्वीर या मूर्ति पर  जलाभिषेक करे व फूल , माला , चंदन, अक्षत अर्पित करे।

• भगवान को नारियल, केसर , फल व मिष्ठान का भोग लगाए।

• नर सिंह भगवान की आरती करे व कथा का पाठ करे।

• अगर आप व्रत करते है तो पूरे दिन फलाहार ले। अन्न बिल्कुल भी ग्रहण न करे ।

नर सिंह भगवान  को प्रसन्न करने का उपाय 

• भगवान नर सिंह की खासतौर पर संध्या के समय पूजा करे। यानि दिन खत्म होने ब रात शुरू होने से पहले । पुराणो के अनुसार , इसी समय भगवान नर सिंह प्रकट हुए थे।

• भगवान की पूजा मे खासकर चंदन चढ़ाए । नर सिंह अवतार को भगवान विष्णु का रौद्र रूप माना जाता है । इसलिए भगवान का गुस्सा शांत करने के लिए उन्हे चंदन चढ़ाया जाता है, जोकि शीतलता देता है।

• दूध , पंचामृत व जल से किया गया अभिषेक भी भगवान नर सिंह के रौद्र रूप को शांत करने के लिए सहायक है।

•   भगवान नर सिंह की पूजा के बाद इन्हे ठंडी चीजों का नैवेद्य लगाया जाता है। जैसे दही, मक्खन , तरबूज व ग्रीष्म ऋतुफल चढ़ाने से इनको ठंडक मिलती है ।

Author: Hindi Rama

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