
चतुर बगुला और मूर्ख केकड़ा – Story Of Heron And Crab
» बहुत समय पहले की बात है, रामपुर गाँव के पास जंगल के किनारे एक तालाब था। जिसे लोग मानसरोवर के नाम से जानते थे। जोकि, हमेशा पानी से भरा रहता था। जिसके कारण उस तालाब मे बहुत सारे अनेकों प्रकार की मछलियाँ , कछुआ , जीव – जन्तु रहते थे ।
» यह तालाब इतना सुंदर और साफ – सुथरा था कि रामपुर गाँव के लोग इसी तालाब से पानी पीते थे । शाम ढलते गाँव के अधिकतर लोग उसी तालाब के पास जा के बैठते थे, जिससे उनको शुद्ध और ताजी हवा भी मिलती थी ।
» मानसरोवर तालाब मे कई बुगले रहते थे जो समय के साथ उस तालाब को छोड़ कर जंगल से दूर एक नदी मे जाकर रहने लगे , बुगलों को वहाँ पर और अच्छे – अच्छे जीव-जन्तु खाने को मिलने लगा था । एक समय ऐसा आया मानसरोवर तालाब के सारे बुगले उड़ कर दूर नदी मे चले गए । जिसके कारण उस तालाब के अंदर रहने वाले सभी जानवरों के अंदर खुशी की लहर दौड़ पड़ी ।
» लेकिन , उन बुगलों मे एक बुगला उस तालाब को छोड़ कर नही गया। क्योंकि , वह बहुत आलसी और निकम्मा था। वह अपने भोजन के लिए बिल्कुल मेहनत नही करना चाहता था। जबकि वह प्रतिदिन किसी टीले पर बैठकर बड़े – बड़े सपने देखता रहता था । जिसके कारण वह बुगला कभी – कभी बिना कुछ खाए ही सो जाता था । यही वह कारण था की बुगला दिनों – प्रतिदिन बहुत कमजोर होता चला गया।
» एक दिन आलसी बुगले ने सोचा हमारे सारे दोस्त भी यहाँ से चले गए जो चापलूसी के कारण कभी – कभी उसे कुछ खाने को भी दे देते थे, अब उस तालाब मे उसका कोई नही बचा । बुगले ने फिर सोचा अगर ऐसे चलता रहा तो समय से पहले मैं मर जाऊँगा । अब तो उम्र भी बहुत हो चुकी हैं खाने के लिए कुछ न कुछ जतन करना पड़ेगा और वह चिंतित हो उठा ।
» अगली सुबह आलसी बुगला के दिमाग मे के चतुराई भरा उपाय सुझा, वह सुबह – सुबह नदी के किनारे एक बड़े पत्थर पर जाकर बाथ गया और बहुत जोर- जोर से रोने लगा तथा मोटे – मोटे आँसू बहा रहा था ।
» ऐसा करते हुए उसे सुबह से दोपहर हो चुकी थी । तभी उसके पास उस नदी का सबसे बुजुर्ग केकड़ा उसके पास आया और बोला बुगले दोस्त क्या हुआ क्यों इतना तेज – तेज रो रहे हो ?
» बुगला अंदर से भरे मन से बोला क्या बताऊ मामा जी और फिर जोर – जोर से रोने लगा। दुबारा केकड़े ने फिर से पूछा , बताओ तो सही ! बुगले ने केकड़े से बोला, मामा जी कई दिन पहले माई पेड़ पर बैठा था तभी मुझे इस दुनिया के मालिक त्रिलोकीनाथ से मुलाकात हुई , उन्होंने बोला यह तालाब बहुत जल्द सुख जाएगा , तुम कही और चले जाओ ।
» बुगला ने फिर बोला, मामा जी देखो मैंने तब से मछलियों को खाना छोड़ दिया हूँ। जिसका कारण मैं पतला दुबला हो गया हूँ । मेरा क्या मेरी तो कुछ ही दिन उम्र बची है ।लेकिन इस तालाब मे रह रहे सभी जीव जन्तु हमारे भाई बहन की तरह है। तालाब सुख जाने की वजह से इनका क्या होगा। और वह जोर-जोर से फिर रोने लगा । बुगले की सारी बाते , बूढ़े केकड़े ने तलब के सभी जीवों को बता दी । सभी इकट्ठा होकर बोले चलो बुगला महाराज के पास चलो , वही कुछ हमे बचने का उपाय बताएंगे।
» बूढ़े केकड़े के साथ सभी जीवो को बुगला अपने पास आते देख उसके मुह मे पनि आ गया , केकड़े ने बोला बुगला मामा आप ही बताओ हम लोग कैसे बचे क्या करे ? बुगला , केकड़े की बात सुन शांत हो उठा कुछ नही बोला फिर सभी जीव बोलने लगे बुगला महाराज बचा लो हमे ।
» फिर बुगले ने बोला मेरे पास एक उपाय हैं आप सभी को एक – एक कर के अपनी पीठ पर बैठा के दूर नदी मे छोड़ आऊँगा। उसकी बात सुन सभी खुशी से झूम उठे और जोर जोर से बोलने लगे बुगलेा महराज की जय ! अब बुगला अपने शिकार अपने पास देख खुशी से गदगद था।
» उसी दिन से बुगले ने अपनी पीठ पर , एक एक को बैठा कर तालाब के बगल मे एक पहाड़ी पर ले जाता और उस जीव को मारकर खा जाता। देखते – देखते बुगले के सेहत मे सुधार होने लगा। तालाब के सभी जानवर एक दूसरे से बोलने लगे देखो , बूगला महाराज जब से हम लोगों की मदद कर रहे हैं । इनकी सेहत भी ठीक हो चुकी है । यह सब देख केकड़े को संदेह भी होने लगा वह बुगले की सेहत का राज जानना चाहता था।
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2 खतरनाक डरावनी कहानी – Horror Story In Hindi । Hindi Horror Story । Horror Stories ।
» अगले दिन केकड़े ने बुगले से बोला हमे कब ले चलोगे ? बुगले ने बोला आओ मामा जी आज आपको ही छोड़ आता हूँ,। केकड़ा बुगले के ऊपर बैठा कुछ दूर चलते ही , उसको बहुत सारी हड्डियाँ और अस्थिर – पंजर नीचे दिखने लगे। केकड़ा सहम गया और बुगले से बोला, बुगला महाराज ये नीचे क्या है ?
» बुगला जोर – जोर से हंसने लगा और बोला मैं यही सभी को लाकर मारकर खा जाता हु । आज तुम्हारा नंबर हैं। तभी केकड़े ने अपने नुकीले पंजों से बुगले की गर्दन को दबोच कर पकड़ लिया और तब तक नही छोड़ा जब तक बुगला मर नही गया।
» केकड़ा वहाँ से तेजी से भागते हुए उसी तालाब मे आ पहुंचा और सारी बाते सभी को बताई जिसको सुनकर सभी जीव सन्न हो गए और बोले हमे बुगले के ऊपर भरोसा नही करना चाहिए था।
» नैतिक सीख : हमे किसी अनजान की बातों मे नही अना चाहिए , हमेशा अपने आप पर विश्वास रखना चाहिए कि परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हो हमे उसका सामना डट कर करना चाहिए ।