
राजू जंगल और खतरनाक चुड़ैल – Story Of The Terrible Witch
» राजू एक शांत गाँव मे रहता था। एक दिन उसे अपने चाचा के घर जाना पड़ा, जो जंगल के पार एक छोटे से गाँव मे रहते थे । शाम को देर हो जाने के कारण राजू को पैदल ही उस सुनसान जंगल से होकर जाना पड़ा।
» गाँव वालों ने उसे चेतावनी दी थी – रास्ते मे कोई भी आवाज आए तो पलट कर मत देखना ….
» राजू ने बात को मजाक मे उड़ा दिया।
» जैसे – जैसे वह जंगल मे आगे बढ़ा । अंधेरा गहराता गया। अचानक उसे पीछे से किसी के चलने की आवाज आई – सुखी पत्तियों पर भारी कदमों की खड़खड़ाहट ।
» राजू ने डर को नजरअंदाज किया और चलता रहा। आवाज तेज होती गई, जैसे कोई उसके बहुत करीब आ गया हो।
» फिर एक फुसफुसाती सी आवाज आई – राजू … रुक जा .।,,,,
» राजू का दिल जोर – जोर से धड़कने लगा , लेकिन उसने गाँव वालों की बात याद रखी – पलट कर मत देखना ।
» पर डर के मारे उसका संयम टूट गया । उसने जैसे ही पीछे पलट कर देखा ……
» एक बिना चहरे वाली औरत , उलटे पैरों के साथ उसके पीछे खड़ी थी।
» राजू के मुंह से चीख भी न निकल सकी। अगले दिन जंगल के किनारे एक पेड़ से लटका उसका शरीर मिला …. आंखे खुली थी और मुंह पे ऐसे डर जैसा मौत भी डर गई हो।
» गाँव वाले अब और सख्त हो गए । पलट कर मत देखना , अब ये सिर्फ चेतावनी नही, कानून है।
» राजू की मौत के बाद गाँव मे एक अजीब सी चुप्पी छा गई थी। लोग अब शाम ढलते ही दरवाजा बन कर लेते थे।
» लेकिन कहानी यहीं खत्म नही हुई ।।।।।।
» राजू की छोटी बहन नेहा , जो शहर मे पढ़ रही थी , जब उसे अपने भाई राजू की रहस्यमयी मौत की खबर मिली , तो वह गाँव लौट कर वापस आयी।
» उसने किसी कि बात नही सुनी । , मैं जानना चाहती हूँ की मेरे भाई के साथ क्या हुआ है ?
» गाँव के बुजुर्गों ने फिर चेतावनी दी – उस जंगल मे मत जाना ,,,, और अगर गई तो पीछे मत देखना ।
» लेकिन नेहा ने ठान लिया था । एक रात चुपके से वह उसी रास्ते पर निकल पड़ी – जिस रास्ते पर राजू की मौत हुई थी।
» जंगल मे घुसते ही अजीब सी ठंडक महसूस हुयी, पेड़ों की शाखाये जैसे फुसफुसा रही थी । और फिर ….
» फिर वही आवाज आई – नेहा … मत जा …..
» नेहा का दिल कांप उठा , लेकिन वह रुकी नही।
» कुछ कदम और चली … और अब वो आवाज बहुत पास थी।
» नेहा देख मुझे …. ,
» नेहा ने आंखे बंद कर ली, और गाँव वालों की बात दोहराती रही – पलट कर मत देखना …
» पर तभी एक जानी – पहचानी आवाज ने पुकारा – नेहा मैं हूँ, तेरा भाई ,,,,,
» उसका दिल डोल गया । नेहा ने धीरे से आंखे खोली और पलट गई …..
» जंगल मे एक परछाई खड़ी थी – जो राजू की तरह दिख रही थी , लेकिन उसकी आंखे काली थी और चेहरा पिघली हुई मोम की तरह ….
» मैं अब तेरा भाई नही …. परछाई मुस्कुराई और अंधेरे मे समा गई ।
» अगली सुबह , गाँव के पास एक लड़की मिली …।, बेहोश , पर जिंदा ।
» पर जब उसने आंखे खोली , तो वह नेहा नही थी ……
» उसकी आवाज मे कोई और बोल रहा था – अब एक और आत्मा जाग चुकी थी ।।।।।।
» नेहा का शरीर अब गाँव मे था , लेकिन उसमे नेहा नही थी।
» उसकी आंखे खाली लगती थी – जैसे कोई और देख रहा हो । उसकी आवाज बदल गई थी । वह घंटों अकेले बैठी रहती , पेड़ों की ओर ताकती , और कभी – कभी बुदबुदाती – रास्ता खुल गया है …
» गाँव के पंडित ने महसूस किया कि कुछ बेहद बुरा हुआ है । उन्होंने कहा : यह लड़की अब इंसान नही रही। जंगल की आत्मा अब इसके जरिए इस दुनिया मे आना चाहती है ।
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» पर नेहा की अब असली आत्मा कहाँ थी ?
» दूसरी ओर ….
» नेहा की आत्मा एक अंधेरे , सर्द और धुंध से भरी जगह मे कैद थी । वहाँ समय नही था , रोशनी नही थी – सिर्फ एक आवाज गूँजती थी । तू पलटी क्यूँ ?
» नेहा रोती रही डरती रही । लेकिन धीरे – धीरे उसने महसूस किया कि वह अकेली नही है ।
» कहीं से कोई और आत्मा बोल रही थी , मैं राजू हु । …… राजू की आत्मा वहीं थी – अधूरी पर जिंदा ।
» नेहा और राजू ने तय किया – उन्हे भागना होगा।
» हर आत्मा जो पीछे पलटी थी, उस जंगल मए फंसी थी। लेकिन एक दरवाजा था – एक मौका वापसी का । पर उसे पार करने के लिए अपने सबसे बड़े डर का सामना करना होता था ।
» नेहा ने देखा – उसका डर एक औरत थी – वही बिना चेहरा वाली, उलटे पैरों वाली परछाई – जो अब उसके सामने खड़ी थी ।
» उसने पुछा – मुझे क्यूँ कैद किया है ?
» और परछाई ने जवाब दिया … कि तुमने पलट कर देखा …. और अब तुम भी देखोगी महसूस करोगी, कैद रहोगी … जब तक कोई और नही पलटे ….
» लेकिन नेहा डरने बजाय आगे बढ़ी.. – मैं नही डरती और मैं राजू अपने भाई को भी साथ ले जाऊँगी !
» उसने आत्मा की आँखों मे देखा और पहली बार , परछाई पीछे हटी ,।
» गाँव मे उसी रात नेहा के शरीर मे जोर का झटका लगा । वह जमीन पर गिरी और जब वह उठी – उसकी आँखों मे फिर से वही रोशनी थी ।
» नेहा वापस आ गई थी। पर उसने एक बात महसूस की … कोई उसके साथ आया था ।
» राजू भी अब उसके साये मे था हमेशा ।
» और जंगल …. ? अब और भी भयानक हो चुका था ।
» क्योंकि अब वो परछाई किसी और की राह देख रही थी । …… शायद तुम्हें । .।।