
भयानक रात , जंगल और वो अजनबी चुड़ैल – Terrible Night Horror Story In Hindi
⇒ शहर की भागदौड़ से अनचाहा सफर
» रोहन की जिंदगी मुंबई की रफ्तार से कदम मिलाती थी। ऊँची इमारते , गाड़ियों का शेर , और कभी न खत्म होने वाली भागदौड़ । उसके लिए गाँव , खेत – खलिहान , और शांत राते बस किस्से – कहानियों की बाते थी। लेकिन जिंदगी कब कौन सा मोड ले ले, कौन जानता है ?
» एक शाम , जब वह अपनी कॉर्पोरेट नौकरी की थकान मिटाने के लिए कॉफी पी रहा था, उसके फोन की घंटी बजी । दूसरी तरफ से उसके दूर के चाचा की घबराई हुई आवाज आई। रोहन बेटा , तुम्हारी दादी की तबीयत बहुत खराब है।
» वह बस तुम्हारा नाम ले रही है। हो सके तो जल्दी आ जाओ ।
» रोहन की दादी, जिससे वह बचपन मे कुछेक बार ही मिला था, सुदूर उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव कालपानी मे रहती थी। गाँव का नाम ही कुछ अजीब सा था। रोहन ने कभी वहाँ जाने की नही सोची थी, पर दादी की अंतिम इच्छा ! वह टाल नही सका।
» अगले ही दिन, जरूरी सामान एक बैग मे भरकर वह निकल पड़ा। ट्रेन और फिर दो बसे बदलने के बाद , शाम ढलते – ढलते वह एक धूल भरी सड़क पर बने बस स्टॉप पर उतरा। कालपानी वहाँ से अभी भी सात किलोमीटर दूर था, और उस रास्ते पर कोई और सवारी मिलने की उम्मीद न के बराबर थी।
» सूरज पश्चिम मे लालिमा बिखेरता हुआ डूब रहा था , और हवा मे के अजीब सि ठंडक घुलने लगी थी।
» बस कंडक्टर ने उतरते वक्त अजीब नज़रों से उसे देखा था । बाबूजी , कालपानी ? आज रात ? उसके स्वर मे आश्चर्य और कुछ अनकहा भी था।
» हा क्यों ? कोई दिक्कत है? रोहन ने लापरवाही से पूछा । नही बाबूजी , बस …. वो आगे का जंगल , अंधारवन , रात मे ठीक नही रहता, । अगर कोई पहचान का मिल जाए तो ठीक, वरना सुबह का इंतजार कर लेते ।
» रोहन मुस्कुराया । अरे काका , शहर के हैं हम । भूत प्रेत से डर नही लगता । कंडक्टर ने गहरी सांस ली। आपकी मर्जी बाबूजी। बस घरघराती हुई आगे बढ़ गई, धूल का एक गुबार पीछे छोड़ती हुई।
» रोहन ने अपना बैग कंधे पर ठीक किया और कालपानी की ओर जाने वाले कच्चे रास्ते पर कदम बढ़ा दिए। रास्ता वाकई सुनसान था। दोनों ओर घने पेड़ और झाड़ियाँ ऐसे खड़ी थी मानो किसी रहस्य को अपने सीने मे दबाए हो। जैसे – जैसे अंधेरा गहराता गया , झींगुरों की आवाज तेज होती गई, और दूर कही सियारों के हुआं – हुआं करने की आवाजे भी जाने लगी। रोहन का शहरी दिल पहली बार थोड़ी घबराहट महसूस कर रहा था, पर उसने इसे जाहीर नही होने दिया।
⇒ अंधारवन का भयावह साया
» लगभग दो किलोमीटर चलने के बाद, वह अंधारवन के मुहाने पर पहुँचा। नाम के अनुरूप ही वह जंगल घना और अंधकारमय था। पेड़ों की शाखाए आपस मे ऐसे गूँथी हुई थी कि हल्की रोशनी भी जमीन तक मुश्किल से पहुँच पा रही थी । जंगल मे प्रवेश करते ही तापमान मे अचानक गिरावट महसूस हुई, और हवा मे एक अजीब सी नमी और सड़ांध की गंध घुल गई।
» रॉनह ने मोबाईल निकालकर टॉर्च जलायी। उसकी रोशनी मे पेड़ और भी भयानक लग रहे थे , उनकी टेढ़ी- मेढ़ी शाखाये किसी दैत्य के हाथों जैसी फैली हुई थी। हर आहट पर उसके कान खड़े हो जाते । पत्तों की सरसराहट भी उसे चौका देती। उसे कंडक्टर की बाते याद आ रही थी। पर वह अपने मन को समझता रहता , की यह सब उसका वहम है।
» अचानक उसे अपने पीछे किसी के चलने की आहट सुनाई दी। उसने तेजी से पलटकर देखा। कोई नही था, सिर्फ हवा मे हिलते पत्ते और दूर तक फैले सन्नाटा , शायद कोई जानवर होगा, उसने खुद को तसल्ली दी।
» वह आगे बढ़ा, पर अब उसके कदम पहले से ज्यादा सतर्क थे। उसे महसूस हो रहा था जैसे उसे कोई देख रहा था। कोई अदृश्य शक्ति उसके हर कदम पर नजर रखे हुए है । जंगल और भी घना होता जा रहा था । रास्ते के दोनों ओर कटिली झाड़ियाँ उग आई थी , जिनसे बचकर निकलना मुश्किल हो रहा था।
» तभी उसे कुछ फुसफुसाहट सि सुनाई दी। बहुत धीमी , जैसे कोई औरते सिसक रही हो । उसने टॉर्च उस दिशा मे घुमाई , कुछ नही ,। यह मेरा वहम है, वह बुदबुदाया , पर उसका गला सुख रहा था।
» कुछ देर और चलने के बाद रास्ता और दो भागों मे बांट गया। उसे समझ नही आ रहा था कि वह कौन सा रास्ता कालपानी की ओर जाता है । उसने मोबाईल निकालकर नेटवर्क देखने की कोशिश की, पर वहाँ नो सर्विस लिखा आ रहा था । अब वह सचमुच घबरा गया ।
» तभी उसे दाहिने रास्ते पर , कुछ दूर एक हल्की सि रोशनी टिमटिमाती नजर आई। जैसे किसी लालटेन की हो। एक उम्मीद की किरण! शायद कोई गाँव वाला हो या झोपड़ी । वह तेज से उस ओर बढ़ा,।
» जैसे – जैसे वह पास पहुँचा उसे एक औरत की परछाई दिखी, जो पेड़ के नीचे बैठी थी । उसके बाल बिखरे हुए थे । और उसने शायद सफेद साड़ी पहनी हुई थी। रोहन ने आवाज दी , अमफ़ करना , क्या आप बता सकती हैं कि कालपानी गाँव किस तरफ है ?
» औरत ने धीरे से अपना सिर उठाया । चाँद की हल्की सी रोशनी जो पत्तों से छनकर आ रही थी, उसमे उसका चेहरा पूरी तरह स्पष्ट नही था । पर उसकी आंखे … उसकी आंखे अजीब तरह से चमक रही थी, जैसे किसी बिल्ली की ।
» कालपानी? उसकी आवाज मे अजीब सी मिठास थी, उसमे कुछ ऐसा था जो रोहन को असहज कर रहा था, हा मैं वहीं जा रही हूँ। रास्ता भटक गई थी । क्या तुम भी अकेले हो ?
» रोहन को थोड़ी राहत मिली कि कोई साथ मिला । जी मैं शहर से आया हूँ। अपनी दादी से मिलने ।
» अच्छा , वह औरत खड़ी हुई थी। अब रोहन उसे ठीक से देख पा रहा था । वह वाकई खूबसूरत थी , पर उसकी खूबसूरती मे कुछ अप्राकृतिक सा था। उसकी त्वचा चाँदनी मे दूधिया लग रही थी। और उसके होंठों पर एक रहस्यमयी मुस्कान थी । चलो मैं तुम्हें रास्ता दिखती हूँ ,। यह जंगल रात मे बहुत खतरनाक हो जाता है।
» रोहन को उसकी बातों मे कंडक्टर की चेतावनी झलक रही थी। पर एक खूबसूरत औरत का साथ पाकर उसकी घबराहट कुछ कम हुयी। आपका बहुत शुक्रिया !
» वह औरत आगे – आगे चलने लगी। और रोहन उसके पीछे । उसके चलने का ढंग कुछ अजीब था जैसे उसके पैर जमीन को छु ही नही रहे है । और उससे एक अजीब सी , मीठी लेकिन मतली करने वाली गंध आ रही थी , जैसे चमेली और सड़े हुए मांस की मिली – जुली गंध । रोहन ने इस विचार को झटक दिया । शायद जंगल की ही गंध होगी।
⇒ चुड़ैल का असली रूप और जानलेवा पीछा
» वे दोनों चुपचाप चलते रहे । जंगल और भी भयानक होता जा रहा था । अब अजीब अजीब सी आवजे आने ल गी थी । किसी की रोने की , किसी की हंसने की , और कभी – कभी ऐसी आवजे जैसे कोई भारी चीज घिसट रही हो। रोहन का दिल जोर – जोर से धडक रहा था।
» तुम शहर मे क्या करते हो ? औरत ने अचानक से पूछा , उसकी आवाज मे वही कृत्रिम मिठास थी।
» मैं एक कंपनी मे काम करता हूँ। रोहन ने संक्षिप्त उत्तर दिया । उसे अब उससे बात करने मे भी डर लग रहा था ।
» शहर की जिंदगी अच्छी होती होगी ना ? यहाँ गाँव मे तो कुछ भी नही है। उसकी बातों मे एक अजीब सा खालीपन था ।
» तभी रोहन की नजर उसके पैरों पर पड़ी वह सफेद साड़ी पहनी थी जो जमीन से थोड़ी ऊपर थी। और उसके पैर … उसके पैर उलटे थे ! एड़ियाँ आगे और पंजे पीछे कि ओर।
» रोहन के रोंगटे खड़े हो गए । उसका खून जम सा गया । कंडक्टर की बाते , जंगल का भयावह माहौल , औरत का अजीब व्यवहार , उसकी चमकती आंखे , और अब यह … यह कोई साधारण औरत नही थी। यह … यह एक चुड़ैल थी ।
» उसके मुह से एक चीख निकलते – निकलते रह गई,। वह वही जड़वत खड़ा हो गया ।
» औरत रुकी और मुसकुराते हुए पीछे मुड़ी । क्या हुआ ? डर गए ? उसकी आवाज अब मीठी नही बल्कि कर्कश और भयानक थी। चाँद की रोशनी मे उसका चेहरा विकृत होने लगा। उसकी आंखे लाल अंगारों की तरह जलने लगी। उसके नाखून लंबे और नुकीले हो गए और उसके खूबसूरत होंठों कइ जगह अब खून से सने दांतों वाली एक खौफ़नाक मुस्कान थी।
» तुम ….. तुम कौन हो ? रोहन की आवाज कांप रही थी।
» मै ? मैं इस जंगल की रानी हूँ । वह हंसी उसकी हंसी किसी मरते हुए जानवर की चीख जैसी थी। और तुम आज रात मेरा भोजन बनोगे ।
» इतना कहकर वह एक भयानक गति से रोहन की ओर झपटी। रोहन ने पूरी ताकत से खुद को पीछे धकेला और विपरीत दिशा मे भागा । उसे नही पता था कि वह कहां जा रहा है , बस उसे उस चुड़ैल से दूर जाना था ।
» कहाँ भागोगे मुझसे ? यह मेरा जंगल है ! चुड़ैल की आवाज उसके पीछे – पीछे आ रही थी।
» रोहन पागलों कि तरह भाग रहा था। झाड़ियों से उसके कपड़े फट रहे थे , काँटों से उसका शरीर छील रहा था , पर उसे कोई परवाह नही था । उसे बस अपनी जान बचानी थी । पीछे से चुड़ैल के भयानक अट्टहास की आवाज आ रही थी । कभी वह उसकें ठीक पीछे महसूस होती, कभी थोड़ी दूर।
» अचानक रोहन के पैर जड़ पर टकराए और वह मुह के बल गिर गए । उसका मोबाइल हाथ से छूटकर दूर जा गिरा और उसकी टॉर्च बुझ गई । अब चारों ओर घना अंधेरा था। उसने उठने की कोशिश की , पर उसके टखने मे शायद मोच आ गई थी।
» हा हा हा ! अब कहां जाओगे / चुड़ैल की आवाज ठीक उसके ऊपर से आए । उसने ऊपर देखा , वह चुड़ैल पेड़ के एक डाल पर बैठी थी। उसके बाल हवा मे लहरा रहे थे । और उसकी आंखे अंधेरे मे चमक रही थी।
» रोहन की सारी उम्मीदे खत्म हो चुकी थी। उसने आंखे बंद कर ली, अपनी मौत का इंतजार करते हुए ।
⇒ अनपेक्षित सहायता और गाँव का रहस्य
» तभी , अचानक एक तेज रोशनी चमकी और किसी के चिल्लाने की आवाज आई , भाग डायन ! हनुमान जी का नाम लें !
» रोहन ने आंखे खोली । उसने देखा कि गाँव की दिशा से कुछ लोग मशाले और लठियाँ लिए हुए आ रहे थे। उनमे से एक अधेड उम्र का व्यक्ति , जिसके हाथ मे एक चमकता हुआ त्रिशूल था, चुड़ैल को ललकार रहा था ।
» चुड़ैल ने गुस्से मे फुफकारा और उन लोगों पर हमला करने की कोशिश की , पर त्रिशूल की चमक और जय हनुमान के नारों से वह पीछे हट गई। तुम सब बचोगे नही ! मै फिर आऊँगी । यह कहकर वह अंधेरे मे विलीन हो गई, पर उसकी कर्कश हंसी अभी भी जंगल मे गूंज रही थी ।
» वह अधेड़ व्यक्ति , जो शायद गाँव का पुजारी था, रोहन के पास आया। बेटा, तुम ठीक हो? हमने जंगल से चीखने की आवाज सुनी तो दौड़े चले जाए।
» रोहन अभी भी सदमे मे था ! वह …. वह कौन थी?
» वह मोहनी है, एक चुड़ैल । कई सालों से इस जंगल मे उसका वास है। रात मे अकेले इस जंगल से गुजरना मौत को दावत देना है। पुजारी ने उसे सहारा देकर उठाया ।
» गाँव वाले रोहन को घेरकर कालपानी गाँव कि ओर ले चले। रास्ते मे पुजारी ने बताया , मोहनी कभी इसी गाँव की एक खूबसूरत लड़की थी। उसे किसी शहर के लड़के ने धोखा दिया था, और उसने इसी जंगल मे आत्महत्या कर ली थी। तब से उसकी आत्मा भटक रही है, खासकर शहर से आने वाले नौजवानों को अपना शिकार बनाती है।
» यह सुनकर रोहन के शरीर मे सिहरन दौड़ गई। वह कितना भाग्यशाली था कि बच गया ।
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» गाँव पहुँच कर उसे सीधे सरपंच के घर ले जाया गया। सरपंच एक बुजुर्ग और अनुभवी व्यक्ति थे। उन्होंने रोहन कि पूरी बात सुनी, । बेटा तुम्हारी दादी सच मे बहुत बीमार है। शायद उन्हे आभास हो गया था। कि तुम पर कोई संकट ाने वाला है । इसलिए तुम्हें याद कर रही है ।
» रोहन को दादी के पास ले जाया गया। वो विस्तर पर बेहोश पड़ी थी । उनका शरीरी तप रहा था वैद्यजी ने बताया कि उनकी हालत नाजुक है। रोहन दादी के सिरहाने बैठ गया ।
» उसके मन मे अपराध बोध था। शायद अगर वह समय पर पहुँच जाता तो, दादी कि यह हालत ना होती। और वह चुड़ैल क्या वह,…. सच मे वापस आएगी।
» रात भयानक कटी। हर आहट पर रोहन चौक जाता। उसे बार- बार चुड़ैल का विकृत चेहरा और उसकी हंसी याद आ रही थी, ।
⇒ संघर्ष और अनसुलझा रहस्य
» अगली सुबह , गाव मे एक अजीब सी खामोशी थी। पुजारी ने घर के चारों ओर रक्षा सूत्र – बांधे और हनुमान चालीसा का पाठ किया । रोहन ने भी प्रार्थना की ।
» दिन मे दादी की हालत थोड़ी सुधरी । उन्होंने आंखे खोली और रोहन को देखकर मुस्कुराई । आ गया मेरा बच्चा, उनकी आवाज कमजोर थी।
» रोहन ने उनका हाथ थाम लिया। हा दादी मै आ गया। अब आप ठीक हो जाओगी।
» लेकिन जैसे ही शाम ढलने लगी, गाँव मे फिर से बेचैनी फैल गई। पुजारी ने बताया कि आज अमावस्या की रात है। और ऐसी रातों मे चुड़ैल की शक्ति और बढ़ जाती है । उसने रोहन को सलाह दी की वह आज रात गाँव से बाहर न निकले, और अगर हो सके तो सुबह होते ही शहर लौट जाए।
» रात गहराते ही जंगल की ओर से अजीब अजीब आवाजे आने लगी। कभी किसी के रोने कि तो कभी किसी के फुसफुसाने की । रोहन और गाँव के कुछ हिम्मती नौजवान लाठियाँ और मशाले लेकर घर के बाहर पहरा देने लगे।
» आधी रात के करीब , वह हुआ जिसका सबको डर था । एक तेज हवा का झोंका आया जिसके कारण सारी मशाले की आग बुझ गई। घोर अंधकार छा गया। और वह कर्कश हंसी सुनाई दी। इस बार बहुत पास से,,,,. मैंने कहा था ना,,,, मैं वापस आऊँगी।
» रोहन का दिल उछलकर हलक मे आ गया । उसने कस कर अपनी अपनी लाठी पकड़ ली। अंधेरे मे कुछ भी दिखाई नही देन रहा था। तभी उसे अपने गाल पर एक ठंडा ,चिपचिपा महसूस हुआ ।
» आह! वह चिल्लाया और लाठी घुमाई।
» गाँव वालों ने फिर से जय हुनमान के नारे लगाने शुरु कर दिए। पुजारी ने अपने त्रिशूल से हवा मे कोई मंत्र फूंका । एक क्षण के लिए सब शांत हो गया।
» फिर दादी के कमरे से एक कमजोर चीख सुनाई दी।
» सब लोग अंदर भागे । दादी बिस्तर पर हाँफ रही थी। , उनकी आंखे डर से फैली हुई थी। वह …. वह खिड़की पर थी। उन्होंने काँपते हुए कहा।
» खिड़की खुली हुई थी और हवा मे वही चमेली और सड़ांध की गंध तैर रही थी।
» पुजारी ने तुरंत ने तुरंत खिड़की बंद की। और मंत्र पढ़ने लगा। रोहन ने दादी को संभालाा । उस रात किसी की आँख नही लगी। हर कोई दहशत मे था।
» सुबह जब सूरज की पहली किरण धरती पर पड़ी, तब जाकर गाँव वालों ने राहत की सांस ली। चुड़ैल जा चुकी थी, पर उसका खौफ अभी भी हवा मे मौजूद था।
» दादी कि हालत अब और बिगड़ चुकी थी। वैद्यजी ने भी जवाब दे दिया । रोहन समझ गया था कि शायद चुड़ैल ने अपना काम कर दिया है ।
» दो दिन बाद दादी शांत हो गई। रोहन ने भरी मन से उनका अंतिम संस्कार किया । गाँव वाले उसके साथ थे , पर हर किसी के चेहरे पर एक अनकहा डर था।
» पुजारी ने रोहन से कहा , बेटा अब तुम शहर लौट जाओ। यह जगह तुम्हारे लिए सुरक्षित नही है। मोहनी तुम्हें पहचान गई है। वह तुम्हें छोड़ेगी नही।
» रोहन जानता था कि पुजारी सही कह रहे हैं। उसका मन अब गाँव और उस जंगल से ऊब चुका था।
» अगले दिन, वह शहर के लिए रवाना हो गया। बस स्टॉप पर उसे वही कंडक्टर मिला । इस बार उसने रोहन को सहानुभूति भरी नज़रों से देखा । मैंने कहा था ना बाबूजी..
» रोहन कुछ नहीं बोला वह बस मे बैठ गया। शहर लौटकर भी रोहन को कई रातों तक नींद नहीं आई। उसे बार- बार वह भयानक जंगल और वह चुड़ैल का चेहरा , और उसकी हंसी याद आती रही । उसे लगता जैसे कोई अदृश्य शक्ति अभी भी उसका पीछा कर रही है ।
» उसने कालपानी गाँव या अंधारवन के बारे मे फिर कभी किसी से बात नहीं की। वह भयानक रात और वह अजनबी चुड़ैल उसकी जिंदगी का एक ऐसा काला अध्याय बन गई थी, जिसे वह कभी नहीं भूल सकता था।
» कभी – कभी जब वह रात मे अकेला होता, तो उसे लगता जैसे खिड़की के बाहर से कोई उसे घूर रहा है, और हवा मे चमेली और सड़ांध की मिली – जुली गंध तैर रही है। क्या मोहनी सच मे उसका पीछा कर रही है ? या यह उसका वहम था ?
» यह एक ऐसा सवाल था , और यही अनसुलझा रहस्य उसे सबसे ज्यादा डराता था। जंगल की वह भयानक रात उसे हमेशा के लिए उसके जहन मे एक खौफनाक सस्पेंस बनकर रह गई थी।