
10 प्रेरणादायक कहानियाँ – 10 Motivational Story In Hindi
कहानी 1. नन्ही चिड़िया का सपना
⇒ एक घने जंगल मे एक छोटी चिड़िया रहती थी । जिसका नाम चुनमून था ।
⇒ चुनमून अभी बहुत छोटी थी और उसे उड़ान नही आता था । वह अपनी माँ को और दूसरी बड़ी चिड़िया को आसमान मे ऊँचे उड़ते देखती तो उसका भी मन करता था कि वह भी उनके साथ उड़े ।
⇒ एक दिन चुनमूं ने अपनी माँ से कहा, माँ ,,मैं कब उड़ना सीखूँगी ? मुझे भी आसमान मे उड़ना है ।
⇒ माँ ने प्यार से कहा, बेटी तुम अभी बहुत छोटी हो , लेकिन जल्द ही तुम उड़ना सिख जाओगी ,।
⇒ बस तुम्हें हिम्मत नही हारनी है , और कोशिश करते रहना है।
⇒ चुनमून ने माँ कि बात को गांठ बाँध ली । वह रोज अपने घोंसले के किनारे पर आकर पंख फड़फड़ाती ।
⇒ पहली बार जब उसने उड़ने की कोशिश की तो वह धड़ाम से नीचे गिर गई। उसे चोट भी लगी , पर उसने हार नही मानी ।
⇒ अगली बार उसने फिर से कोशिश की , इस बार वह थोड़ी ऊँची उडी, लेकिन फिर गिर गई,।
⇒ ऐसा कई दिनों चलता रहा । बाकी छोटी चिड़िया उसका मजाक उड़ती , की देखो देखो ,,, चुनमून उड़ नही पाती ।
⇒ चुनमून को बहुत बुरा लगता ये सब सुनकर । लेकिन उसे अपनी माँ की बात याद आती , हिम्मत नही हारनी है।
⇒ एक सुबह सूरज की पहली किरण के साथ , चुनमून ने गहरी सांस ली और पूरे जोर से अपने पंख फड़फड़ाए ।
⇒ इस बार वह गिरी नही ! वह थोड़ी देर हवा मे रही , फिर धीरे से नीचे उतरी । उसकी खुशी का ठिकाना न रहा।
⇒ उसने बार बार कोशिश की और वह पहले से बेहतर उड़ने लगी । कुछ दिन बाद चुनमून बाकी चिड़िया की तरह आसमान मे ऊँचे तक उड़ने लगी।
⇒ वह बादलों से बात करती और हवा के साथ दौड़ लगती ।
सिख – कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती । अगर हम हिम्मत और लग्न से कोई काम करे तो , अवश्य ही सफल होंगे ।
कहानी 2. सच्ची दोस्ती
⇒ एक जंगल मे मीकु खरगोश और भोलू भालू बहुत अच्छे दोस्त थे । मीकु छोटा और फुर्तीला था , बल्कि भोलू बड़ा और ताकतवर । वे दोनों हर रोज साथ खेलते और एक दूसरे की मदद करते थे।
⇒ एक दिन जंगल मे बहुत तेज बारिश हुई। नदी मे बाढ़ आ गई। मीकु और भोलू नदी के किनारे खेल रहे थे , कि अचानक भोलू का पैर फिसल गया और वह नदी के तेज हवा मे बहने लगा ।
⇒ बचाओ! बचाओ ! भोलू चिल्लाया ।
⇒ मीकु घबरा गया , लेकिन उसने हिम्मत नही हारी। वह छोटा था इसलिए भोलू को खींच नही सकता था , फिर उसने सोचा की मुझे कुछ करना होगा ..।
⇒ वह तेजी से दौड़ा और एक लंबी , मजबूत लता ढूंढ लाया। उसने लता का एक सिरा एक मजबूत पेड़ से बांधा और दूसरा सिरा भोलू की तरफ फेंका।
⇒ भोलू , इसको पकड़ो ! मीकु चिल्लाया ।
⇒ भोलू ने किसी तरह से लता को पकड़ लिया । मीकु अपनी पूरी ताकत से लता को खींचने लगा, लेकिन भोलू बहुत भारी था। मीकु ने मदद करने के लिए आवाज लगानी शुरू की, कोई मदद करो ! , मेरा दोस्त भोलू नदी मे बह रहा है ।
⇒ उसकी आवाज सुनकर जंगल के दूसरे जानवर , जैसे हिरण, बंदर, और हाथी , वहाँ आ पहुंचे । सबने मिलकर लता को खींचा और आखिरकर भोलू को सुरक्षित किनारे पर ले आए।
⇒ भोलू ने मीकु को गले लगा लिया और कहा, मीकु , तुमने आज मेरी जान बचाई , तुम सच मे मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो, ।
⇒ मीकु मुस्कुराया और बोला , दोस्त ही तो दोस्त के काम आते है।
सिख – सच्चा दोस्त वही होता है जो मुसीबत मे साथ दे और मदद करे। दोस्ती मे ताकत होती है।
कहानी 3. ईमानदार गोलू
⇒ गोलू एक छोटा और प्यार लड़का था । वह अपने माता – पिता के साथ एक छोटे से गाँव मे रहता था । उसके माता – पिता ने हमेशा से उसे ईमानदारी और सच्चयी का पाठ पढ़ाया था ।
⇒ एक दिन गोलू स्कूल से घर आ रहा था । रास्ते मे उसे सड़क किनारे एक बटुआ पड़ा मिला । गोलू ने बटुआ उठाया और उसे खोलकर देखा। उसमे बहुत सारे पैसे और कुछ जरूरी कागजात थे।
⇒ पहले तो गोलू के मन मे लालच आया। उसने सोचा, इतने सारे पैसों से मैं कितने सारे खिलौने और मिठाइयां खरीद सकता हूँ ! लेकिन फिर उसने अपने माता – पिता की सिखाई हुई बात याद आई – बेटा , ईमानदारी सबसे बड़ी होती है। किसी और की चीज बिना पूछे नही लेनी चाहिए।
⇒ गोलू ने बटुए को बंद किया , और सोचने लगा कि यह बटुआ किसका हो सकता है ? उसने आस पास देखा लेकिन कोई नजर नही आया । फिर उसने बटुए मे रखे कागजात देखे । उसमे एक नाम और एक पता लिखा था । पता पास के ही एक मोहल्ले का था ।
⇒ गोलू ने फैसला किया कि वह ये बटुआ उसके असली मालिक तक पहुँचा के रहेगा । वह उस पते पर गया और फिर दरवाजा एक महिला ने खोला , जो बहुत परेशान लग रही थी ।
⇒ गोलू ने पुछा क्या यह बटुआ आपका है ? यह मुझे रास्ते मे मिला था ।
⇒ महिला ने बटुआ देखा और खुशी से उछल पड़ी । हाँ ! हाँ ! यह मेरा ही बटुआ है । मैं इसे लेकर बहुत परेशान थी। इसमे मेरे जरूरी कागजात और पैसे थे ।
⇒ उन्होंने गोलू को धन्यवाद दिया और गोलू को इनाम देना चाहा , लेकिन गोलू ने इनाम लेने से मन कर दिया । उसने कहा यह तो मेरा फर्ज था ।
⇒ महिला गोलू कए ईमानदारी से बहुत प्रसन्न हुयी। उन्होंने गोलू के माता पिता से मिलकर गोलू की बहुत तारीफ की । गोलू को भी बहुत खुशी हुई की उसने एक बहुत अच्छा काम किया ।
सिख – ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है , । हमे हमेशा सच बोलना चाहिए और दूसरों की चीजों से लालच नही करना चाहिए ।
कहानी 4. डरपोक शेरु
⇒ जंगल का राजा शेर होता है और उसकी दहाड़ से पूरा जंगल कांप उठता है । लेकिन इसी जंगल मे एक छोटा शेर का बच्चा था , जिसका नाम शेरु था । शेरु बहुत डरपोक था । वह अपनी परछाई से भी डर जाता था । बाकी जानवर उसका मजाक उड़ते थे ।
⇒ शेरु के पिता जंगल का राजा उससे बहुत परेशान रहते थे । वह चाहते थे की शेरु भी उनकी तरह बहा दूर बने ।
⇒ एक दिन राजा शेर ने शेरु से कहा , बेटा , तुम्हें अपने डर पर काबू पाना होगा । एक शेर का बच्चा डरपोक नही हो सकता ।
⇒ शेरु ने कहा , पिता जी मैं कोशिश करता हूँ , पर मुझे बहुत डर लगता है ।
⇒ एक शाम जब सूरज डूब रहा था , शेरू जंगल मे अकेला घूम रहा था। अचानक उसे झड़ियो मे एक आहत सी सुनाई पड़ी । वह डर गया और एक पेड़ के पीछे जाके छिप गया । उसने देखा की कुछ शिकारी जंगल मे जाल बिछा रहे थे ।
⇒ शेरु जानता था की अगर शिकारियों ने जाल बिछा दिया तो, कोई भी जानवर उसमे फंस सकता है , शायद उसके पिता भी , । उसके मन मे उसके पिता और जंगल के दूसरे जानवरों की चिंता हुई। इस चिंता ने उसके डर को थोड़ा कम कर दिया ।
⇒ उसे अपने पिता की बात याद आई , डर के आगे जीत है ।
⇒ शेरु ने हिम्मत जुटाई । वह जानता था कि वह शिकारियों से लड नही सकता , लेकिन वह सबको सावधान तो कर सकता है , । उसने गहरी सांस ली और जोर से दहाड़ा ! उसकी दहाड़ इतनी जोरदार नही थी जितनी उसके पिता की होती है , लेकिन वह इतनी थी कि जंगल के बाकी जानवर सावधान हो गए ।
⇒ शिकारी भी शेर की दहाड़ सुनकर डर गए और अपना जाल वहीं छोड़कर भाग गए ।
⇒ शेरु की दहाड़ सुनकर उसके पिता और बाकी जानवर वहाँ आ पहुंचे । जब उन्हे पता चला कि शेरु ने अपनी सूझबूझ से और हिम्मत से सबको बचाया है, तो सबने बहुत तारीफ की ।
⇒ उस दिन के बाद शेरु का डर पहले से बहुत कम हो गया । उसने जान लिया था कि असली बहादुरी डर का सामना करने मे है ।
सिख – डर के आगे जीत है। जब हम दूसरों की मदद के लिए अपने डे का सामना करते हैं, तो हम सच मे बहादुर बन जाते है ।
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कहानी 5. मेहनती चींटी
⇒ बहुत समय पहले की बात है, एक हरी – भरी वादी मे एक चींटी और टिड्डा रहते थे । चींटी बहुत मेहनती थी। वह गर्मियों मे भी दिन रात काम करती थी , अपने लिए और अपने परिवार के लिए सर्दियों के वास्ते खाना जमा करती । वह अनाज दाने ,मीठे फल के टुकड़े और दूसरी खाने की चीजे अपनी बाँबी मे इकट्ठा करती रहती।
⇒ दूसरी तरफ टिड्डा बहुत आलसी था । वह सारा दिन गाना गाता , नाचता और मजे करता । वह चींटी को काम करते देखता तो उसका मजाक उड़ाता , अरे चींटी बहन इतनी मेहनत क्यों करती हो? आओ मेरे साथ खेलों , गाओ और मजे करो। सर्दी तो अभी बहुत दूर है ।
⇒ चींटी कहती टिड्डे भाई अभी मेहनत कर लूँगी तो सर्दी मे आराम रहेगा । तुम्हें भी अपने लिए कुछ खाना जमा कर लेना चाहिए ।
⇒ लेकिन टिड्डा उसकी बात पर ध्यान नही देता और हंस कर चला जाता ।
⇒ धीरे – धीरे गरमियाँ खत्म हुई । पतझड़ आया और फिर कड़ाके की सर्दी शुरू हो गई। चारों तरफ बर्फ ही बर्फ जमा हो गई । पेड़ पौधों पर खाने को कुछ नही बचा था ।
⇒ टिड्डे के पास खाने को कुछ नही था । वह ठंड से कंप रहा था और भूख से बेहाल था। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ।
⇒ निराश होकर वह चींटी के बाँबी के पास गया , उसने दरवाजा खटखटाया । चींटी ने दरवाजा खोला ।
⇒ टिड्डे ने गिड़गिड़ाते हुए कहा , चींटी बहन मैं भूख से मर रहा हूँ । क्या तुम मुझे थोड़ा सा खाना दे सकती हो ?
⇒ चींटी को टिड्डे पर दया आई । उसने कहा , मैंने तो तुमसे पहले ही कहा था कि सर्दी के लिए खाना जमा कर लो । खैर , अंदर आ जाओ ।
⇒ चींटी ने टिड्डे को खाना दिया और अपने बांबे मे थोड़ी सी जगह दी । टिड्डे ने चींटी को धन्यवाद किया और उससे वादा किया कि अगली गर्मियों मे वह भी मेहनत करेगा और आलस नही करेगा।
सिख – मेहनत का फल मीठा होता है, हमे आज का काम कल पर नही टालना चाहिए और समय रहते भविष्य की तैयारी करनी चाहिए।
कहानी 6. एकता मे बल
⇒ एक समय की बात है एक बड़े बरगद के पेड़ पर कबूतरों का झुंड रहता था । वे सब मिल जुलकर खुशी – खुशी रहते थे । उनका एक बूढ़ा और बुद्धिमान सरदार भी था ।
⇒ एक दिन , जब सारे कबूतर दाना चुगने के लिए नीचे उतरे , तो एक बहेलिये (शिकारी ) ने उन पर जाल फेंक दिया । सारे कबूतर जाल मे फंस गए । वे बहुत घबरा गए और फड़फड़ाने लगे , लेकिन जाल से निकल नही पाए ।
⇒ बहेलिया खुश होता हुआ उनकी तरफ बढ़ने लगा ।
⇒ कबूतरों ने सोचा की अब उनका अंत तय है , वे लोग अब निराश हो गए थे ।
⇒ तभी उनके बुद्धिमान सरदार ने कहा । मित्रों घबराओ मत ! अगर हम सब अलग अलग जोर लगाएंगे तो , जाल से नही निकल पाएंगे । लेकिन अगर हम सब एक मिलकर जोर लगाए , तो शायद हम इस जाल को लेकर उड़ सकते है ।
⇒ सब कबूतरों को सरदार की बात समझ आ गई ।
⇒ सरदार ने कहा मैं तीन तक गिनूँगा । जैसे ही मैं तीन कहूँ , सब एक साथ ऊपर उड़ने के लिए जोर लगाना ।
⇒ एक…. दो….. और तीन !
⇒ जैसे ही सरदार ने तीन कहा , सभी कबूतरों ने एक साथ आपणे पंख से जोर लगाया । उनके सम्मिलित प्रयास से जाल हवा मे ऊपर उठ गया ! वे जाल को लेकर उड़ने लगे।
⇒ बहेलिया यह देखकर हैरान रह गया । वह उनके पीछे भागा लेकिन , कबूतर जाल समेत उड़कर बहुत दूर निकल गए।
⇒ वे उड़ते उड़ते एक जंगल मे पहुंचे जहाँ सरदार का एक दोस्त चूहा रहता था । सरदार ने चूहे को आवाज दी। चूहा अपनी बिल से बाहर आया । सरदार ने उसे सारी बात बताई और जाल काटने को कहा ।
⇒ चूहे ने अपने नुकीले दांतों से फटाफट जाल काट दिया और सारे कबूतर आजाद हो गए ।
⇒ सभी कबूतरों ने सरदार और चूहे को धन्यवाद दिया । उन्हे समझ आ गया था कि एकता मे कितनी शक्ति होती है ।
सिख – एकता मे ही शक्ति है। अगर हम मिलकर काम करे तो बड़ी से बड़ी मुश्किल का भी सामना कर सकते हैं।
कहानी 7. जादुई बीज
⇒ एक छोटा सा गाँव था, जहाँ राजू नाम का एक लड़का रहता था । राजू को बागवानी बहुत पसंद है , लेकिन उसके पास अच्छी जमीन नही थी। उसकी जमीन बंजर और पथरीली थी।
⇒ एक दिन गाँव मे एक बूढ़ा साधु आया । राजू ने साधु की बहुत सेवा की। साधु राजू की सेवा से प्रसन्न हुए और जाते समय उसे एक छोटा सा बीज दिया।
⇒ साधु ने कहा, बेटा यह को साधारण बीज नही है । यह एक जादुई बीज है । इसे अपनी जमीन मे बो देना और इसकी अच्छे से देखभाल करना । यह तुम्हारी किस्मत बदल देगा।
⇒ राजू ने साधु को धन्यवाद किया और बीज को ले जाकर अपनी बंजर जमीन के एक कोने मे बो दिया। वह रोज उसे पानी देता, उसकी निराई – गुड़ाई करता । गाँव वाले उसका मजाक उड़ाते , देखो , राजू बंजर जमीन मे क्या उगा रहा है ।
⇒ लेकिन राजू ने किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया । वह पूरी लग्न से उस बीज की देखभाल करता रहता ।
⇒ कुछ दिनों बाद वह बीज एक छोटा सा पौधा निकला । राजू की खुशी का ठिकाना न रहा । वह और भी मेहनत से पौधे की देखभाल करने लगा। पौधा तेजी से बढ़ने लगा। देखते ही देखते वह एक बड़ा और हरा भरा पेड़ बन गया।
⇒ और यह कोई साधारण पेड़ नही था ! इस पेड़ पर रंग बिरंगे , स्वादिष्ट फल लगते थे जो किसी ने पहले कभी नही देखे थे । उन फलों की खुशबू दूर दूर तक फैलती थी।
⇒ जल्द ही दूर दूर से लोग राजू के पेड़ के फल खरीदने आने लगे। राजू ने उन फलों को बेचकर बहुत धन कमाया । उसने अपनी बंजर जमीन को उपजाऊ बना लिया और एक सुंदर बगीचा तैयार किया।
⇒ राजू समझ गया कि साधु ने उसे जो बीज दिया था,, वह सचमुच जादुई था। लेकिन असली जादू बीज मे नही, बल्कि राजू की मेहनत , लग्न और विश्वास मे था।
सिख – हर किसी मे महान बनने की क्षमता होती है , बस जरूरत है उसे सही दिशा मे मेहनत और लग्न से सींचने की। अपने सपनों पर विश्वास रखो और कड़ी मेहनत करो।
कहानी 8. जिज्ञासु बंदर
⇒ एक जंगल मे किट्टु नाम का एक छोटा बंदर रहता था । किट्टु बहुत जिज्ञासु था । उसे हर चीज के बारे मे जानने की उत्सुकता रहती थी ? यह क्या है ? वह क्यों है ? ऐसा कैसे होता है ? वह हमेशा अपनी माँ से ऐसे सवाल पूछता रहता था ।
⇒ उसकी माँ कभी – कभी उसकी जिज्ञासा से थक जाति, पर उसे खुशी भी होती कि उसका बेटा नई चीजे , सीखना चाहता है ।
⇒ एक दिन किट्टु जंगल मे घूम रहा था। उसने देखा कि एक गिलहरी पेड़ के तने मे कुछ छिपा रही है । किट्टु को बड़ी उत्सुकता हुई ।
⇒ जैसे ही गिलहरी गई, किट्टु उस पेड़ के पास गया । उसने देखा कि गिलहरी ने एक अखरोट छिपाया था । किट्टु ने सोचा , गिलहरी यह क्यों छिपा रही है ? क्या वह इसे बाद मे खाएगी ?
⇒ फिर उसने देखा कि एक पक्षी अपनी चोंच मे तिनके लेकर जा रहा है । किट्टु उसके पीछे – पीछे गया। उसने देखा कि पक्षी उन तीनको से एक सुंदर घोंसला बना रहा है। वाह ! यह तो बहुत सुंदर है ! पक्षी घोंसला क्यों बनाते है ?
⇒ ऐसे ही किट्टु घूमता रहा और नई नई चीजे देखता रहा । उसने देखा कि मधुमक्खियाँ फूलों से रस चूस रही है , चींटियाँ कतार मे चल रही हैं, और मेंढक तालाब मे टर्रा रहे है।
⇒ शाम को जब वह अपनी माँ के पास लौटा, तो उसके पास ढेरों सवाल थे । उसकी माँ ने धैर्यपूर्वक उसके सभी सवालों के जवाब दिए ।
⇒ माँ ने कहा , बेटा तुम्हारी यह जानने की इच्छा बहुत अच्छी है । जो जिज्ञासु होता है , वही ने चीजे सीखता है और बुद्धिमान बनता है।
⇒ किट्टु अपनी जिज्ञासा के कारण जंगल के बारे मे बहुत कुछ जां गया था। वह जानता था कि कौन से फल मीठे होते हैं, कौन से जानवर खतरनाक होते हैं, और मौसम बदलने पर क्या होता है । उसकी यह जानकारी उसे सुरक्षित रहने और बेहतर जीवन जीने मे मदद करती थी ।
सिख – जिज्ञासा ज्ञान की कुंजी है , हमेशा सवाल पूछने और नई चीजे सीखने की इच्छा रखनी चाहिए ।
कहानी 9. बंटवारे का आनंद
⇒ एक पेड़ पर दो छोटी गिलहरियाँ रहती थी – चिंटू और पिंटू । वे दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे , लेकिन कभी – कभी छोटी – छोटी बातों पर झगड़ पड़ते थे।
⇒ एक दिन उन्हे एक पेड़ के नीचे एक बड़ा और स्वादिष्ट अखरोट मिला। अखरोट सिर्फ एक था , और दोनों उसे खाना चाहते थे ।
⇒ चिंटू ने कहा , यह अखरोट मुझे पहले दिखा, इसलिए यह मेरा है !
⇒ पिंटू बोला , नही मैंने इसे पहले उठाया , तो यह मेरा हुआ !
⇒ दोनों अखरोट के लिए लड़ने लगे । मेरा है ! नही, मेरा है ! उनकी आवाज सुनकर एक बूढ़ी और समझदार गिलहरी वहाँ आई।
⇒ बूढ़ी गिलहरी मुस्कुराई और बोली , देखो यह अखरोट इतना बड़ा है कि तुम दोनों इसे आधा – आधा बाँटकर खा सकते हो । लड़ने का क्या फायदा होगा ? अगर तुम इसे बाँट लोगे , तो दोनों का पेट भरेगा और दोस्ती भी बनी रहेगी।
⇒ चिंटू और पिंटू को बूढ़ी गिलहरी की बात समझ मे आ रही थी । उन्हे अपनी गलती का एहसास हुआ ।
⇒ चिंटू ने कहा , हाँ तुम ठीक कह रही हो । हमे इसे बाँट लेना चाहिए ।
⇒ पिंटू ने भी सहमति जताई।
⇒ उन्होंने अखरोट को दो बराबर हिस्सों मे तोड़ा । एक हिस्सा चिंटू ने लिया और दूसरा पिंटू ने । दोनों ने मजे से अखरोट खाया । अब उनका पेट भी भर गया था और वे खुश भी थे ।
⇒ उन्हे समझ आया कि मिलकर खाने मे और भी ज्यादा मजा आता है। उस दिन के बाद , चिंटू और पिंटू ने सीखा कि चीजों को बाँटकर इस्तेमाल करने से खुशी बढ़ती है, कम नही होती ।
सिख – बांटने से खुशी बढ़ती है। हमे अपनी चीजे दूसरों के साथ साझा करनी चाहिए , इससे प्यार और दोस्ती बढ़ती है।
कहानी 10. जादुई चश्मा
⇒ रोहन नाम का एक लड़का था, जो हमेशा शिकायत करता रहता था । मेरे पास अच्छे खिलौने नही हैं, मेरा स्कूल बैग पुराना है, मेरे दोस्त के पास मुझसे बेहतर जूते हैं। वह कभी भी अपने पास मौजूद चीजों से खुश नही रहता था ।
⇒ एक दिन वह एक पार्क मे बैठा उदास हो रहा था , तभी एक बूढ़े आदमी ने उसे देखा । बूढ़े आदमी के पास एक अजीब सा चश्मा था।
⇒ बूढ़े आदमी ने रोहन से पुछा , बेटा तुम इतने उदास क्यों हो ?
⇒ रोहन ने अपनी सारी शिकायते बता दी।
⇒ बूढ़ा आदमी मुस्कुराया और बोला , मेरे पास यह जादुई चश्मा है,। इसे पहनकर देखो , शायद तुम्हारी उदासी दूर हो जाए ।
⇒ रोहन ने झिझकते हुए चश्मा पहना । जैसे ही उसने चश्मा पहना, उसे सब कुछ अलग दिखने लगा ।
⇒ उसने देखा कि पार्क मे एक लड़का नंगे पैर खेल रहा था, क्योंकि उसके पास जूते नही थे । उसने एक लड़की को देखा जो फटे हुए कपड़ों मे थी। उसने एक बच्चे को देखा जो भूखा लग रहा था।
⇒ रोहन ने चश्मा उतारा । उसे एहसास हुआ कि उसके पास कितनी सारी चीजे हैं जिनके लिए वह कभी आभारी नहीं हुआ । उसके पास पहनने को कपड़े थे , खाने को भोजन था, रहने को घर था और स्कूल जाने का मौका भी था ।
⇒ उसने बूढ़े आदमी को धन्यवाद दिया। बूढ़ा आदमी मुस्कुराया और बोला, यह चश्मा जादुई नही है। यह तुम्हे बस वह दिखाता है जो तुम्हारे पास है और दूसरों के पास नही है । खुशी शिकायत करने मे नही , बल्कि जो हमारे पास है, उसके लिए आभारी होने मे है।
⇒ उस दिन के बाद रोहन बदल गया । उसने शिकायत करना बंद कर दिया और अपने पास मौजूद हर छोटी – बड़ी चीज के लिए भगवान को धन्यवाद देना शुरू कर दिया । वह अब एक खुश रहने वाला लड़का बन गया था।
सीख – हमारे पास जो कुछ है उसके लिए हमेशा हमे आभारी रहना चाहिए । दूसरों से तुलना करने के बजाय अपनी खुशियों को पहचानना चाहिए ।