स्वामी दयानंद सरस्वती की पुस्तके – Books Of Swami Dayanand Saraswati । Swami Dayanand Saraswati ।

स्वामी दयानंद सरस्वती की पुस्तके - Books Of Swami Dayanand Saraswati । Swami Dayanand Saraswati । Hindirama.com

स्वामी दयानंद सरस्वती की पुस्तके – Books Of Swami Dayanand Saraswati

» हिन्दू धर्म कइ सभी धार्मिक पुस्तकों का गहन अध्ययन  कर उनका विश्लेषण किया था । उन्हे सभी वेद व शस्त्र कंठस्थ हो गए थे। उन्होंने विश्व भर मे हिन्दू धर्म का प्रचार -प्रसार करने का उद्देश्य करने के उद्देश्य से वेदों की ओर चलो का नारा दिया था जिसमे संपूर्ण विश्व को हिन्दू धर्म के महत्व से अवगत करवाना था।

» इसी उद्देश्यों से उन्होंने स्वयं कई पुस्तकों व साहित्य की रचना की  थी। पहले उन्होंने अपना लेखन संस्कृत भाषा मे शुरू किया था किंतु धीरे- धीरे वे अपना लेखन हिंदी भाषा मे करने लगे। उन्हे हिंदी भाषा से बहुत प्रेम था और वे भारत की आम भाषा के रूप मे अंग्रेजी कइ बजाए हिन्दी भाषा को देखना चाहते थे। उनका लेखन मुख्यतया दो ही भाषाओ मे लिखा गया था संस्कृत व हिंदी ।

» उन्होंने अपनी पुस्तकों मे संपूर्ण वेदों का सार व्यक्त किया है व उसे सरल शब्दों मे मनुष्य को आज के समयानुसार समझाने का प्रयास किया है । अपने लेखन व साहित्य के द्वारा उन्होंने मनुष्य को कई महत्वपूर्ण बातों को समझाने का प्रयास किया । उन्होंने लगभग 60 पुस्तकों कइ रचना की है , जिसमे से मुख्य 10 पुस्तकों के बारे मे आज हम जानेंगे ।

दयानंद सरस्वती की पुस्तकें  

» वैसे तो दयानंद सरस्वती जी ने 10 पुस्तके लिखी हैं लेकिन उनकी कुछ रचनाए सर्वप्रसिद्ध हुई है । स्वामी दयानंद सरस्वती मे से दो बुक्स ऐसी है जो भारत ही नही अपितु पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है। उन पुस्तकों के नाम सत्यार्थ प्रकाश व गोकरुणनिधि है। इसमे भी सत्यार्थ प्रकाश  उनकी सर्वप्रसिद्ध रचना है  जो आर्य समाज का आधार भी कही जा सकती है ।

1. सत्यार्थ प्रकाश 

» प्रकाशित वर्ष: 1875 & 1884

» स्वामी जी के द्वारा लिखी गई यह पुस्तक सबसे प्रसिद्ध व लोगों को जागरूक करने वाली है। पहली बार उन्होंने इस पुस्तक की रचना  सन 1875 ईस्वी मे की थी जो हिंदी भाषा मे थी। हालांकि उन्होंने स्वयं इस पुस्तक मे भाषा की त्रुटियाँ स्वीकार की  थी क्योंकि उनकी मातृभाषा गुजराती थी व धर्म भाषा संस्कृत ।

» इसलिए उनसे इस पुस्तक मे भाषा की बहुत सी आशुद्धियाँ हुई थी । इस पुस्तक को उन्होंने फिर से सही करके लिखा व दूसरा संस्करण 1884 मे प्रकाशित किया जो मान्य था ।

» यह पुस्तक हिंदी मे थी किंतु वर्तमान समय मे यह भारत की लगभग हर भाषा मे व साथ ही विदेश की कई भाषाओ मे भी उपलब्ध है। इसमे 14 अध्याय हैं जिनमे वेदों का ज्ञान, चारों आश्रम , शिक्षा व अन्य धर्मों की कुरीतियों के बारे मे बताया गया है।

2. गोकरुणानिधि

» प्रकाशित वर्ष : 1880

» भारत देश कई वर्षों से अफ़गान, मुगल व स्वामी जी के समय  अंग्रेजों के अधीन था। उन्होंने हिन्दू धर्म को चिढ़ाने के उद्देश्य से गाय माता कइ बलि चढ़ाना , उनका मांस खाना, गोलीयो के कारतूस मे गाय का मांस लगाना जैसे प्रपंच रचे थे।  इस  कारण भारत की  भूमि पर भी गाय माता को मारा जा रहा है।

» इसके लिए स्वामी दयानंद सरस्वती ने गाय माता की  रक्षा , कृषि मे उनके सहयोग , उनसे मिलने वाले लाभ , गोबर  गौमूत्र इत्यादि का उपयोग , इत्यादि का इस पुस्तक मे विस्तृत वर्णन किया है ताकि समाज के लोगों मे जागरूकता फैले व गौ हत्या रुके । इसी के साथ उन्होंने इस पुस्तक मे अन्य जीवो को भी ना मारने व शाकाहार अपनाने की  प्रेरणा दी है।

3. संस्कृत वाक्य प्रबोध 

» प्रकाशित वर्ष 1879

» संस्कृत भाषा के प्रचार – प्रसार व लोगों को सीखने के उद्देश्य से उन्होंने इस पुस्तक को लिखा । यह एक तरह से मनुष्य को संस्कृत सिखाने व उसमे वार्तालाप करने के लिए प्रेरित करती है । इसमे आम बोलचाल के कई शब्दों को हिंदी की सहायता से संस्कृत मे बताया गया है जिससे लोगों को सीखने मे आसानी हो। यदि आप संस्कृत सीखने के इच्छुक हैं तो यह पुस्तक आपकी बहुत सहायता कर सकती है।

4. आर्योंद्देश्य रत्न माला

» प्रकाशित वर्ष : 1877

» इसमे उन्होंने 100 ऐसे शब्दों को समझाया है जो हिन्दू साहित्य मे मुख्य तौर पर प्रयोग मे आते है ।

» इस शब्दों का प्रयोग उन्होंने अपने आगे के साहित्य मे भी किया है ।

5. ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका   

» प्रकाशित वर्ष : 1878

» यह हिंदु धर्म मे वेदों के उत्थान , उनकी भूमिका व उनके उद्देश्य के बारे मे बात करती है । ऋग्वेद चारों वेदों मे सर्वप्रथम आता है। उन्होंने इस पुस्तक मे ऋग्वेद का सारा सार बताने का प्रयास किया है

6. व्यवहारभानु 

» प्रकाशित वर्ष : 1879

» यह मनुष्य जीवन के प्रतिदिन के व्यवहार व कार्यों से जुड़ी पुस्तक है। मनुष्य के जीवन मे प्रतिदिन क्या काम होता है , उसे उन्हे किस प्रकार करना चाहिए , किसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए , क्या आदर्श अपनाने चाहिए , इत्यादि के ऊपर प्रकाश डाला गया है।

7. चतुर्वेद विषय सूची 

» प्रकाशित वर्ष : 1971

» चारों वेदों पर लिखने से पहले उन्होंने एक पुस्तक प्रकाशित की जो उन पुस्तकों की विषय सूची  थी। इसमे उन्होंने यह बताया  की वे आगे वाली पुस्तकों मे वेदों कि किस प्रकार व किस रूप मे व्याख्या करेंगे व साथ ही उनके बारे मे संक्षिप्त परिचय दिया ।

यह कहानी भी पढ़ें ⇓⇓⇓⇓⇓

धोखेबाज़ किसान की कहानी – Moral Stories In Hindi – Inspirational Stories In Hindi – Hindi Kahaniyan ।

8. ऋग्वेद भाष्य , यजुर्वेद भाष्य , अष्टाध्यायी भाष्य  

» प्रकाशित वर्ष : 1877 से 1899 के बीच

» इसके बाद उन्होंने वेदों पर कई पुस्तके प्रकाशित कइ जिसमे उन्होंने सभी वेदों के सार , भूमिका , शिक्षा इत्यादि के बारे  मे विस्तार से बताया ।  इसका मुख्य उद्देश्य लोगों के मन मे  फैली भ्रांतियों को समाप्त कर उनके मन मे वेदों का प्रकाश उजागर करने का था।

» चूंकि वेद मुख्यता संस्कृत भाषा मे थे जो आम जन को जल्दी से समझ नही आते थे। इस कारण उन्हे धर्म का सहारा लेकर मूर्ख बनाना आसान था। इसलिए उन्होंने आम जन की भाषा मे वेदों को समझाने के उद्देश्य से सभी वेदों का सार हिंदी भाषा मे लिखा ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा जागरूक बने व वेदों को जाने ।

9. भागवत खंडन / पाखंड खंडन/ वैष्णवमत खंडन

» प्रकाशित वर्ष : 1866

» यह पुस्तक उन्होंने हिन्दू धर्म मे फैले विभिन्न प्रकार के पाखंड , कुरीतियों व प्रपंच के विरोध स्वरूप मे लिखी । इसमे उन्होंने कई प्रकार की कुरीतियों व उनके दुष्प्रभावों के बारे मे लोगों को बताया । साथ ही इसमे यह भी प्रकाश डाला गया की इनका हिन्दू धर्म के मूल अर्थात वेदों मे कही कोई उल्लेख नही है। इस पुस्तक को उन्होंने कुम्भ मेले मे भी लोगों के बीच बँटवाया था।

10. पञ्च महायजना विधि 

» प्रकाशित वर्ष : 1874 व 1877

» इस पुस्तक मे उन्होंने पृथ्वी के सभी अनमोल रत्नों जैसे की भूमि, आकाश , वायु , जल इत्यादि को सुरक्षित व स्वच्छ रखने कइ बात कही है। साथ ही विभिन्न जीव – जन्तुओ , पेड़ – पौधों को उचित सम्मान देने व उनकी हत्या ना करने की प्रेरणा दी गई है।

» इस तरह से आज आपने दयानंद सरस्वती कइ पुस्तके कौन – कौन सी है , उनके बारे मे जानकारी ले ली है। यदि कभी आपको इन्हे पढ़ने का मन करे तो आप सबसे पहले गोकरुणानिधि या फिर सत्यार्थ प्रकाश मे ही पढे ।

Author: Hindi Rama

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *