
शैतान जींद और अभागी मीना – एक भयानक रात – Dangerous Ghost Story In Scary Night
» कालापानी जंगल के नाम से कुख्यात वह घना, अभिशप्त वन , जहाँ सूरज की किरने भी घने पत्तों के जाल को भेदने से डरती थी। इसी जंगल के सबसे पुराने , सबसे विशाल और सबसे भयावह बरगद के पेड़ पर सदियों से एक शैतान जींद का वास था।
» उसकी उपस्थिति मात्र से हवा मे एक अजीब सी ठंडक और अनकही दहशत घुल जाती थी। दिन मे भी उस पेड़ के पास से भी गुजरने की हिम्मत कोई नही करता था , और रात मे तो उसकी दिशा मे देखने से भी रूह कांप जाती थी ।
» कहानियों मे कहते हैं, कि जींद इंसान का रूप ले सकते हैं। और कभी – कभी अपनी प्यास बुझाने या सिर्फ मनोरंजन के लिए जंगल भटकते हुए इंसानो को अपना शिकार बनाता था।
»इसी जंगल के सीमा पर बसे एक छोटे से गाँव मे मीना नाम कि एक अत्यंत गरीब लड़की रहती थी। उसके माँ – बाप उसके बचपन के समय मे ही गुजर गए थे ।
» और वह अपनी बूढ़ी बीमार दादी के साथ एक टूटी – फूटी झोपड़ी मे किसी तरह गुजर बसर करती थी।
»मीन बहुत खूबसूरत थी, उसकी आखों मे एक अजीब सी मासूमियत और गहरी उदासी तैरती रहती थी। हर सुबह वह जंगल मे सुखी लकड़ियाँ बीनने जाती, जिन्हे बेचकर वह जून की रोटी जुटा पाती थी।
»एक मनहूस शाम , जब आसमान मे काले बादल घुमड़ रहे थे और और हवा मे एक अशुभ शांति छाई हुई थी, मीना लकड़ियों का गट्ठर सिर पर रखे घर लौटे रही थी। आज उसे जंगल मे ज़्यादा अंदर तक जाना पड़ा था, क्योंकि बाहर की सुखी लकड़ियाँ लगभग खत्म हो चुकी थी।
» अनजाने मे वह उस अभिशप्त बरगद के पेड़ के करीब पहुँच गई। अचानक , हवा थम गई। पत्तों की सरसराहट बंद हो गई।
» एक अप्राकृतिक सन्नाटा छा गया। जो किसी चीख से भी ज्यादा डरावना था। मीना का दिल जोरों से धड़कने लगा। उसे लगा जैसे कोई उसे घूर रहा है। कोई अदृश्य शक्ति उसे अपनी ओर खींच रही है।
» वह तेजी से कदम बढ़ाने लगी, लेकिन उसके पैर जैसे भारी हो गए थे। तभी, उसे अपने पीछे एक धीमी, सरसराहट सुनाई दी। उसने पलटकर देखा।
» बरगद की घनी शाखाओ के बीच , दो अंगारे जैसी लाल आंखे उसे घूर रही थी। डर के मारे मीना की चीख हलक मे ही अटक गई।
» वह जानती थी कि यह कौन है। एक पल मे, एक लंबा , काला साया पेड़ से उतरकर उसके सामने आ खड़ा हुआ। वह इंसानी शक्ल मे था, लेकिन उसकी आभा अमानवीय थी। उसकी त्वचा राख जैसी पीली थी, आंखे दहक रही थी , और उसके होंठों पर एक क्रूर मुस्कान खेल रही थी।
» कौन हो तुम ? मीना ने कांपती आवाज मे पूछा, हालांकि वह जवाब जानती थी।
» मैं वो हूँ, जिसका नाम लेने से भी दुनिया डरती है, जींद की आवाज गहरी , कर्कश , लेकिन अजीब तरह से सम्मोहक थी। और तुम …. तुम बहुत खूबसूरत हो, मीना।
» मीना हैरान रह गई कि उसे उसका नाम कैसे पता। वह भागना चाहती थी, लेकिन उसके पैर जमीन मे गड गए थे।
» जींद धीरे – धीरे उसकी ओर बढ़ रहा था । उसकी हरकतों मे एक अजीब सी शिकारी शालीनता थी।
» डरो मत, उसने कहा ,उसकी भयावह रूप मे बिल्कुल मेल नही खाती थी । मैं तुम्हें नुकसान नही पहुचाऊँगा ।
» मीना को अपनी किस्मत पर यकीन नही हो रहा था। वह शैतान जींद के सामने खड़ी थी , और वह उसे नुकसान न पहुंचाने की बात कर रहा था !
» मुझे … मुझे घर जाना है , वह हकलाते हुए बोली। जींद मुस्कुराया । हा बिल्कुल । मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूँ।
» और फिर , मीना के कुछ समझने या विरोध करने से पहले जींद उसके साथ चल पड़ा। वह चुपचाप उसके पीछे- पीछे चल रहा था , उसकी परछाई मीना की छोटी सी परछाई को पूरी तरह निगलती हुई। जंगल का हर जीव – जन्तु जैसे सहम गया था ।
» हवा मे सिर्फ उनके कदमों की आहत और मीना की तेज धड़कनों की आवाज थी।
» जब वे मीना की झोपड़ी पहुंचे , तो बूढ़ी दादी दरवाजे पर ही उसकी राह देख रही थी । जींद को देखकर उनकी आंखे डर से फैल गई ।
» वह कुछ बोलना चाहती थी, लेकिन आवाज जैसे हलक मे फंस गई थी । जींद ने मीना की ओर देखा । मैं फिर आऊँगा। उसने कहा और पलक झपकते ही हवा मे विलीन हो गया जैसे कभी था ही नही।
» उस रात मीना सो नही पाई । उसे बार- बार जींद की दहकती आंखे और उसकी उसकी अजीब सी मुस्कान याद आ रही थी।
» उसे डर भी लग रहा था लेकिन उसे एक अनजाना सा महसूस हो रहा था। अगले दिन से जींद रोज मीना से मिलने आने लगा ।
» वह कभी इंसानी रूप मे आता , तो कभी बस एक साये कि तरह उसकी झोंपद के आस पास मंडराता ।
» गाँव वाले मीना के घर के आस-पास भटकने से भी डरने लगे थे। मीना की झोपड़ी जैसे अभिशप्त हो गई थी ।
» धीरे -धीरे जींद मीना से बात करनी शुरू कर दी। वह उसे अपनी शक्तियों के किस्से सुनने लगा । दूर देशों की कहनियाँ सुनाता। ऐसी बाते जो मीना ने कभी अपने सपने मे भी नही सोची थी।
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» मीना जो हमेशा गरीबी और अकेलेपन मे जीती थी। उसकी बातों मे सम्मोहित होने लगी ।
» जींद का भयावह रूप अब उसे उतना डरावना नही लगता था । उसे उसकी बातों मे , उसकी आँखों मे एक अजीब सा आकर्षण दिखने लगा था।
» जींद ने कभी मीना को छुआ नही, कभी उसे डराया नही। वह बस आता और उससे बहुत सारी बाते करता , और फिर वह चला जाता।
» उसकी उपस्थिति मीना के जीवन का हिस्सा बन चुकी थी। बूढ़ी दादी यह सब देखती और मन ही मन कुढ़ती रहती , लेकिन जींद के डर से कुछ कह नही पाती।
» एक चाँदनी रात जब जींद आया , तो वह कुछ ज्यादा ही गंभीर लग रहा था । मीना , उसने कहा, उसकी आवाज मे एक अजीब सी कोमलता थी।
» मैं, तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ, मीना ने धड़कते दिल से उसकी ओर देखा ।
» मुझे तुमसे प्यार हो गया है मीना,,, जींद ने कहा। सच्चा प्यार। मैंने आज तक किसी इंसान से मोहब्बत नही किया ।
» मीना स्तब्ध रह गई । शैतान जींद , जिससे दुनिया खौफ खाती थी, उससे प्यार का इजहार कर रहा था । उसे समझ नही आ रहा था कि वह क्या कहे, ।
» मैं जानता हूँ यह सब अजीब है । जींद ने कहा । लेकिन यह सच हैं कि मैं तुम्हारे बिना नही रह सकता ।
» मैं तुम्हें दुनिया की हर खुशी देना चाहता हूँ । मैं तुम्हें इतना अमीर बना दूँगा की , तुम्हारी सात पुश्ते राज करेंगी ।
» मीना की आँखों मे उम्मीद की एक किरण जगी।
» गरीबी ने उसे इतना तोड़ा था कि , दौलत का ख्याल ही उसे सपने जैसा लगता था । अपनी बीमार दादी के लिए अच्छे इलाज के लिए सपना, पेट भर भोजन का सपना , एक आरामदायक जिंदगी का सपना।
» तुम सच कह रहे हो? उसने पूछा , उसकी आवाज मे अविश्वास था।
» हाँ मीना , जींद ने उसकी आँखों मे झाँकते हुए कहा । मैं तुम्हें सोने चांदी से लाद दूँगा ।
» तुम्हारे लिए महल बनवाऊँगा। दुनिया की हर नेमत तुम्हारे कदमों मे होगी । मीना का दिल तेजी से धडक रहा था।
» यह सब एक सपने जैसा था । लकें फिर उसे जींद की सच्चयी याद आई ।
» मगर …. तुम एक जींद हो। उसने कहा हाँ , मैं जींद हूँ। उसने स्वीकार किया । लेकिन मेरा प्यार सच्चा है।
» फिर वह एक पल रुका , और उसकी आँखों मे एक गहरी , स्याह चमक उभरी। मगर एक शर्त हैं, मीना का दिल डूब गया । क्या शर्त ?
» तुम्हें मेरी पत्नी बनकर रहना होगा , जींद ने कहा , उसकी आवाज अब पहले जैसे सम्मोहक नही , बल्कि अधिकारपूर्ण और थोड़ी डरावनी लग रही थी।
» हमेशा के लिए तुम सिर्फ मेरी होगी । और किसी की नही । मीना के पैरों तले जमीन खिसक गई ,। जींद की पत्नी ?
» हमेशा के लिए? यह ख्याल ही उसे कंपा गया वह एक शैतान की पत्नी कैसे बन सकती है?
» नही यह नही हो सकता , वह बुदबुदाई । जींद के चेहरे पर निराशा छा गई और पल भर मे उसकी आँखों मे वही पुराने जैसे क्रूरता लौट आई।
» सोच लो , मीना , उसने कहा उसकी आवाज ठंडी थी। एक तरफ गरीबी , बीमारी और गुमनामी की जिंदगी । दूसरी तरफ बेपनाह दौलत , ऐशों -आराम , और मेरा प्यार । फैसला तुम्हारा है।
» मीना के मन मे द्वन्द्व चलने लगा। एक तरफ उसकी गरीबी ,उसकी लाचारी , उसकी बीमार दादी का चेहरा । दूसरी तरफ एक भयानक जींद , लेकिन उसके साथ दौलत का वादा ।
» क्या वह अपनी आत्मा का सौदा कर ले?
» उसने अपनी झोपड़ी की टूटी दीवारों को देखा । अपनी दादी की खासने की आवाज सुनी । जिंदगी ने उसे कभी कुछ नही दिया था।
» शायद यही मौका था, अपनी किस्म त को बदलने का ।
» अगर मैं तुम्हारी पत्नी बन जाऊ, उसने काँपते हुए आवाज मे पुछा, ,,तो क्या तुम मेरी दादी का ख्याल रखोगे?
» जींद मुस्कुराया , एक विजयी मुस्कान । तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी करूंगा , मीना।
»तुम्हारी दादी को दुनिया की बेहतरीन चिकित्सक मिलेगी । वह रानी की तरह रहेंगी।
» मीना ने गहरी सांस ली उसने आंखे बंद कर ली। और फिर खोलकर सीधे जींद की आँखों मे देखा ।
» मुझे मंजूर है, उसने कहा, उसकी आवाज मे एक अजीब सी दृढ़ता थी , जो शायद से उपजी थी ।
» जिस पल मीना ने हाँ कहा , झोपड़ी के चारों ओर एक तेज , सर्द हवा का झोंका आया। आसमान मे बिजलियाँ कड़कने लगी।
» जींद का चेहरा खुशी से चमक उठा । लेकिन उसकी खुशी मे भी एक भयावहता थी। तुमने सही फैसला किया , मेरी मीना , उसने कहा और पहली बार अपना हाथ बढ़ाकर मीना का हाथ थाम लिया,।
» उसका स्पर्श बर्फ जैसा ठंडा था। और अगले ही पल सब कुछ बदल गया । मीना की टूटी – फूटी झोपड़ी एक विशाल भव्य महल मे बदल गई।
» दीवारें सोने और चांदी से जड़ी थी, फर्श पर मखमल के कालीन बिछे थे। और हवा मे महंगे इत्र की सुगंध तैर रही थी । मीना ने अपने शरीर पर रेशमी वस्त्र और कीमती आभूषण पाए।
» उसकी बूढ़ी दादी एक आरामदायक बिस्तर पर लेती थी। और उनके आस पास कई सारी दासियाँ उनकी सेवा मे जुटी थी।
» मीना हैरान , स्तब्ध , यह देख रही थी। यह किसी जादू से कम नही था । जींद उसके पास खड़ा मुस्कुरा रहा था ।
» यह सब तुम्हारा है , मेरी रानी , उसने कहा।
» शुरुआत मे सब कुछ सपने जैसा था । मीना के पास दौलत थी , आराम था , उसकी दादी स्वस्थ हो रही थी।
» जींद उसका ख्याल रखता था । वह उसे महंगे तोहफे देता था , उसे दुनिया की सबसे खूबसूरत जगहों की सैर कराता था ।
» लेकिन धीरे – धीरे मीना को अपनी गलती का अहसास होने लगा ।
» महल बहुत खूबसूरत था , लेकिन उसमे एक अजीब सी उदासी और विरानगी थी। नौकर – चाकर थे । लेकिन वे इंसान नही , बल्कि जींद के बनाए हुए साये थे जो बिना कुछ बोले सिर्फ अपना काम करते थे।
» मीना किसी से बात नही कर सकती थी , अपना दुःख – दर्द नही बाँट सकती थी , । उसकी दादी भी अब ठीक थी लेकिन वे भी एक जादुई महल मे कैद महसूस करती थी।
» वे जींद से डरती थी , और मीना के लिए चिंतित रहती थी। जींद मीना से बहुत प्यार करता था , लेकिन उसका प्यार इंसानी प्यार जैसा नही था ।
» वह एकाधिकारवादी था । वह चाहता था की मीना सिर्फ उसके पास रहे । वह उसे महल से बाहर नही जाने देता था।
» बाहरी दुनिया से उसका संपर्क पूरी तरह से टूट चुका था । मीना को अपनी सहेलियों की , अपने गाँव , जंगल की ताजी हवा की याद आने लगी थी।
» रातें सबसे ज्यादा डरावनी होती थी। जींद अपने असली । भयावह रूप मे मीना के पास आता । उसकी दहकती आंखे , उसके लंबे नाखून , उसकी सर्द त्वचा …. मीना डर के मारे कांपती रहती, लेकिन वह कुछ कर नही सकती थी।
» वह जींद की पत्नी थी, हमेशा के लिए । उसने खुद यह सौदा किया था । जींद उसे अपनी बाहों मे भरता , और उसका ठंडा स्पर्श मीना की आत्मा तक को जमा देता ।
» महल मे अनगिनत कमरे थे , लेकिन मीना को लगता था जैसे वह एक सोने के पिंजरे मे कैद है ।
» दीवारों पर लगी खूबसूरत तस्वीरे उसे घुरती हुई महसूस होती, हवा मे तैरती हुई खामोशी उसे खाने को दौड़ती थी।
» कभी – कभी उसे अजीबो – गरीब आवाजे सुनाई देती । फुसफुसाहते , ससकियाँ , जैसे महल मे कई आतमाये घूम रही हो ।
» एक रात मीना ने भागने की कोशिश की , जब जींद सो रहा था , वह दवे पाँव महल के मुख्य द्वार पर पहुंची ।
» लेकिन जैसे ही उसने दरवाजे को खोलने की कोशिश की , वह अदृश्य दीवारों से टकरा गई। जींद की भयानक हंसी पूरे महल मे गूंज उठी ।
» तुम मुझे छोड़ कर कहीं नही जा सकती , मेरी प्यारी मीना , उसकी आवाज हवा मे तैर रही थी । तुम हमेशा के लिए मेरी हो ।
» मीना रोने लगी । उसने अपनी बेबसी पर अपनी किस्मत पर , अपने लालच पर रोना आ रहा था । उसने दौलत के लिए अपनी आजादी और आत्मा बेच दी।
» दिन बीतते गए , महीने बीतते गए , साल बीतते गए ।
» मीना उस आलीशान महल मे एक जिंदा लाश की तरह रहने लगी,। उसकी खूबसूरती मुरझाने लगी , उसके आँखों की चमक खो गई ।
» वह अब मुस्कुराती नही थी , बस गुमसुम बैठी रहती थी। जींद अभी भी उस से प्यार करता था , एक अंतहीन यातना ।
» कभी – कभी चाँदनी रातों मे , जब जींद अपने भयानक शक्तियों का प्रदर्शन करता , महल की खिड़कियां से भयानक दृश्य दिखाई देते ।
» रूह नाचती थी, हवा मे चीखे गूँजती थी। मीना यह सब देखती और उसका दिल दहल जाता । उसे एहसास होता कि उसने सिर्फ एक जींद से शादी नही की, बल्कि एक नरक हिस्से को अपना घर बना लिया है।
» उसकी दादी भी सालों बाद गुजर गई, शांति से लेकिन अपनी पोती की किस्मत पर आँसू बहते हुए ।
» अब मीना उस महल मे बिल्कुल अकेली रह गई थी । जींद और उसके भयानक सायों के साथ ।
» कहते हैं आज भी कालापानी जंगल के पास से गुजरने वाले लोगों कों कभी – कभी रात के अंधेरे मे एक आलीशान ,लेकिन वीरान महल कि झलक दिख जाती है।
» और अगर कोई बहुत ध्यान से सुने , तो उसे एक लड़की के रोने की आवाज सूनयी देती है एक ऐसी लड़की की आवाज जिसने दौलत के बदले अपनी आत्मा शैतान को बेच दी थी।
» और जो अब हमेशा के लिए उस शैतान जींद की पत्नी बनकर , एक अंतहीन , भयावह रात मे कैद थी।
» वह महल मीना का सोने का पिंजरा था । और जींद उसकी अनचाहा शाश्वत साथी।
» उसकी कहानी एक चेतावनी बन गई थी – कि हर चमकती चीज सोना नही होती, और कुछ सौदे इतने महंगे होते है कि उनकी कीमत चुकाते – चुकाते जिंदगी भी कम पड़ जाती है ।