एक भूतिया हवेली । Bhutiya Haveli । Horror And Suspense Story। Horror Stories In Hindi । Moral Stories In Hindi

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एक भूतिया हवेली । Bhutiya Haveli । Horror And Suspense Story। Bhoot Ki Kahani । Horror Stories In Hindi । Hindi Horror Srories। Bed Time Story । Hindi Rama।

एक भूतिया हवेली 

एक बार की बात हैं । कई सालों पहलें सोनापुर गाँव में एक बहुत भयानक हवेली थीं । जिसके बारें में तरह – तरह की अफवाहें फैली हुई थीं । हर किसी का मनना था कि हवेली में किसी चुड़ैल का साया हैं ।काफी बार गाँव वालों को वहाँ पर चुड़ैल के होने का एहसास भी हुआ था । 

एक बार गाँव के कुछ लोग गाँव के चौराहें पर बैठकर उस डरावनी हवेली के बारें में बात कर रहें थें । 

पहला आदमी – अरें भाई हवेली में भूत का साया हैं । मैंने खुद पेड़ों से फूलों को उड़ते हुए हवेली में जातें हुए देखा हैं 

दूसरा आदमी – अरें नहीं कल्लू भैया वहाँ भूत का नहीं वहाँ पर तो चुड़ैल का साया हैं । और मैंने तो वहाँ पर पायल कई भी आवाज सुनीं हैं ।  छम छम … छम छम

तीसरा आदमी – ओ सुनील चच्चा भूत चुड़ैल नहीं वहाँ तो राक्षस हैं … राक्षस … मैंने खुद देखा हैं , ” मेरी गाय का दूध अपनें आप निकलकर बर्तन में चला गया ” … और … फिर वह दूध से भरा बर्तन सीधा हवेली में चला जाता हैं । 

चौथा आदमी – हाँ बात तो सहीं हैं , ” मैंने भी वहाँ पर हँसनें की बहुत आवाजे सुनी हैं ” जमींदार साहब , आपकों हवेली और गाँव के बीच में एक मजबूत और बड़ी दीवार बनवा देनी चाहिए ।  कम से कम ये भूत हमारें बच्चों को तो कोई नुकसान नहीं पहुँचाएंगें । 

गाँव की औरत – ना जाने हवेली में भूत हैं या कोई चुड़ैल ? लेकिन एक बार जब मेरे पति जंगल में लकड़ियाँ काट रहें थें । तो अचानक उनकी कुल्हाड़ी नीचे गिर गयी , ” तभी एक दम अचानक ही कुल्हाड़ी ना जानें कैसे उड़ते हुए वापस उनके हाथ में आ गई ” । उस दिन मेरी तो डर के मारे जान ही निकल गई थीं । 

गाँव की बुढ़िया – हाँ बिटिया , ” सच कहती हों वहाँ कोई हैं जिसने हमारी सहायता की ” एक बार मेरी पोती तालाब में डूब गयी थीं । अचानक तेज हवा चली और मेरी बेटी तालाब से उड़ती हुयी बाहर आ गई। 

जमींदार बोला – देखों भाइयों , ” मेरा बेटा अमेरिका से वापस आ रहा हैं । कुछ दिनों के बाद वो वापस चला जाएगा । और उसे इन सब घटनाओं के बारे में खबर नहीं होनी चाहिए उसके अमेरिका जाने के बाद में यह दीवार जरूर बनवा दूँगा । 

एक बार गाँव का ही एक किसान का बेटा रमेश खाद लेने शहर जा रहा था । रास्ता हवेली के सामने से ही गुजरता हैं । जब वह हवेली के आगे से डरता हुआ निकला तो उसनें देखा कि एक सुंदर सी लड़की उसके सामने आकर खड़ी हो गयी । 

रमेश – तुम कौन हों ? और यहाँ क्या करती हों ? तुम्हें पता नहीं , ये हवेली भूतिया हैं ? यहाँ रहना खतरे से खाली नहीं हैं । 

लड़की – मेरा नाम किरन हैं, मैं तो यहीं रहती हूँ । हम यहाँ आते – जाते रहते हैं । हमनें तो कभी यहाँ किसी भूत को नहीं देखा । 

रमेश – अच्छा ,आपकों नहीं पता किरन जी । ” ये तो भूतिया हवेली हैं , और गाव के सभी लोग कहतें ” हैं कि यहाँ एक भयानक चुड़ैल रहती हैं । यह सब सुनकर रमेश मन ही मन डरनें लगा उसके दिमाग में यहीं चल रहा था , कि जो कुछ भी आज तक उसनें सुन वो सच हैं या झूठ । 

तभी किरन बोली – कि शायद तुम्हें पता नहीं , मैं इस हवेली में ही रहतीं हूँ … ?

रमेश – यह तुम क्या कह रहीं हों ? पूरा गाँव जानता हैं , कि इस हवेली में भूत चुड़ैल रहतीं हैं । यह कहते हुए , ” रमेश के माथे पर से डर के मारे “बहुत पसीना आ रहा था। 

किरन – तुम क्या भूत चुड़ैल जैसी चीजों पर विश्वास रखतें हों ?

रमेश [ मन में ] ” कि मैं फालतू में ही इतना सोच रहा हूँ ” यह लड़की होकर भी नहीं डर रहीं । ये भूत चुड़ैल मन का वहम हैं यह कोई सच्चाई नहीं हैं । 

किरन – आओ तुम्हें मैं अपने बाकी लोगों से भी मिलवाती हूँ । “इससे तुम्हारा डर हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा ” । रमेश किरन के पीछे – पीछे चलने लगा । कि अचानक उसे जोर का धक्का लगा और वो हवेली की पहाड़ी से नीचे गिर गया ।  

गाँव वाले तुरंत उसकी चीख सुनकर रमेश के पास आए । और पूछने लगे कि क्या हुआ था ? तभी रमेश के मुह से बस यह शब्द निकलें 

रमेश – बड़ा ही हड़बड़ाहट मे बोला , कि वो लड़की … किरन … हवेली । यह कहकर वो मर गया .

अब उस गाँव में डर का भयानक माहौल बन गया था । सबको विश्वास हों गया था , कि हवेली में किसी किरन नाम की चुड़ैल का साया हैं । जिसने रमेश को मार दिया हैं । 

इस घटना के अगलें दिन ही जमींदार साहब का बेटा , राजेश अपनें दोस्त मयंक के साथ कार में गाँव आ रहा था । 

ड्राइवर – हे भगवान , ” शाम हो गई गयी हैं हवेली के आगे से ही गुजरना होगा ” अरे राजेश भैया , आप उस हवेली की तरफ मत देखना । कही उन चुड़ैलों का साया आप पर भी ना पड़ जाए ?

मयंक – अरें राजेश , ” ये तेरा ड्राइवर क्या कह रहा हैं ? ” चुड़ैलों का साया ? गाँव के अंध विश्वासों का भी अपना ही मजा हैं । तुम भी यार आज के जमाने में यह पुरानी और बेहूदा बातों पर क्यों विश्वास करतें हों ?

राजेश – अरें ड्राइवर भैया , आप चुपचाप गाड़ी चलाओ ना । ये सब अंधविश्वास हैं । हम सब यह सब नहीं मानतें । 

ड्राइवर – भैया , आज तक इस भूतिया हवेली में कोई भी एक रात नहीं गुजार पाया । बड़े – बड़े लोग आए और बड़े – बड़े दावे किये और फिर हार मानकर चले भी गए । 

मयंक – अरें , हम पढ़े लिखे लोग हैं अमेरिका मे पढ़ें हैं । हम इन सब बातों को नहीं मानतें । ये सब अंधविश्वास हैं । और अगर हमें सचमुच भूत -प्रेत देखनें को मिल जाए तो इन छुट्टियों का मजा ही आ जाएगा । क्यों … राजेश ?

राजेश – ” क्या हुआ बिरजू ? 

मयंक – अरें , ” ये गाड़ी के आगे इतने सारे फूल कैसे पड़े हैं ? ” लगता हैं , किसी ने हमारा स्वागत करने के लिए ये फूल रखे हैं ?

ड्राइवर – यहाँ रुकना खतरे से खाली नहीं भैया । मैंने अभी – अभी किसी को यहाँ से जाते हुए देखा हैं । और ये सब हवेली की चुड़ैलों का काम हैं । 

राजेश – अरें तुम गाँव वालें भी कमाल हों खूद ही सब कुछ करके शर्मिंदा हो जाते हों मैं सब जानता हूँ । गाँव वालों नें ये सब फूल बिछाए होंगे । लेकिन अब अपना नाम बताना नहीं चाहते । 

ड्राइवर – राजेश भैया मैं झूठ नहीं बोल रहा । जब आप हवेली में एक रात बिता लेंगे तो आपकी सोच भी बदल जाएगी । 

मयंक – यार बिरजू , तुम पहलें घर पहुँचा दो , यह सब बादमे देखेंगे अभी तो बहुत जोरों से भूख लगी  हैं । मेरे पेट में तो हाथी , चूहे , भूत , प्रेत सब दौड़ रहें हैं । कुछ ही देर मे दोनों दोस्त घर पहुँच जातें हैं और खाना खाकर आराम से सो जातें हैं । 

अगलें दिन जब जब वह गाँव घुमनें जातें हैं तो फिर गाँव वालें उन्हें हवेली के पास जाने से मना करते हैं । आखिरकार गाँव वालों की सोच को बदलनें के लिए राजेश और मयंक उस हवेली में एक रात बिताने का फैसला करते हैं । 

जमींदार – ये मैं क्या सउन रहा हूँ राजेश , तुम हवेली में जाने चाहतें हों ? ” अरें , तुम्हारा दिमाग तो ठीक हैं ? ” मैं तुम्हें कभी वहाँ जाने की आज्ञा नहीं दूँगा । 

राजेश – ” पिताजी हम अमेरिका से पड़कर आए हैं । हम ऐसे अंधविश्वासों को नहीं मानतें ” वैसे भी वो हवेली बहुत पुरानी हैं । हम उसे पुरानी हवेली को हेरीटेज होटल बनाना चाहते हैं । और हवेली करोड़ों की प्रॉपर्टी हैं । 

मयंक – अरे चाचा जी ।  हो सकता हैं इस हवेली में कुछ लोगों नें कब्जा करनें के लिए इस तरह की अफवाहें उड़ाई हों ? हम हमेशा के लिए इन सबका समाधान कर देंगे । 

जमींदार – ठीक हैं । ” अगर तुम लोग नहीं मानतें तो जाओं , लेकिन अपनें साथ दो गार्ड बंदूक और सुरक्षा का सारा सामान साथ ले जाओं । अब रात हो गई । और राजेश , मयंक दोनों ही दो गार्ड के साथ हवेली में पहुँच गए । 

गार्ड – आप लोग सो जाइये । हम हवेली के बाहर ही बैठे हुए हैं और कोई भी बात हों तो तुरंत आवाज दे दीजिए । अब राजेश और मयंक दोनों ही हवेली मे सो जातें हैं …………..तभी अचानक ????

मयंक – सोते समय । राजेश उठ यार ये सब क्या हो रहा हैं ? 

राजेश – अबे यार  ” ये पलंग हवा में कैसे उड़ रहा हैं ? और ये गाने की आवाज कहाँ से आ रहीं हैं ? ” ये खुशबू … ये तो कमल के फूलों की खुशबू हैं । “लेकिन इस पुरानी हवेली में कमल का फूल कहाँ से आया ? ” और इस गाने की इतनी मीठी आवाज तो सिर्फ पारियों की हों सकतीं हैं । बहुत और राक्षस की नहीं । या फिर हम दोनों को जानबूझकर डराने के लिए यह सब किया जा रहा हैं ?.. 

मयंक – क्या तुमनें वही देखा , जो मैं देख रहा हूँ ? 

राजेश – हाँ यार । यह हवेली तो सचमुच भूतिया हैं । 😟

मयंक – नहीं हम यूँ ही विश्वास नहीं कर सकतें । मुझे तो लगता हैं , कि ये कोई ऐसा बंदा हैं जिसे इस टाइप के हारर इफेक्ट के बारें में बहुत कुछ पता हैं । ” चलों हवेली की लाइब्रेरी में चलते हैं । कुछ तो मिलेगा । “

राजेश – ( किताब उठाए हुए ) ये किताब दूसरी दुनियाँ की परियों की हैं । जो कभी – कभी उस दुनियाँ से इस दुनियाँ मे घुमनें आया करतीं हैं । ” 150 साल पहले ये हवेली उन्ही परियों का अतिथीगृह हुआ करता था । जहाँ पर वे अपना समय बिताने आया करती थीं । “

मयंक – अतिथिगृह क्या होता हैं ? 

राजेश – हमारी भाषा में , अतिथिगृह को गेस्ट हाउस कहते हैं । 

मयंक – यानी कि हम लोग एक परियों के गेस्ट हाउस में हैं । वाह भाई … ये तो कमाल हो गया । 

राजेश – मेरा ख्याल हैं । ” हमें बिना आवाज किये ही चुपचाप देखना चाहिए कि असलियत क्या हैं ? ” क्योंकि अभी तक हमें पारियाँ नजर नहीं आई हैं । ” इसके बाद वो दोनों ही परियों का इंतजार करनें लगते हैं । तभी अचानक उनके सामनें जादुई संगीत बजनें लगता हैं और बहुत सारी पारियाँ सामनें प्रकट हो जाती हैं । “

परी – मैं हुस्न की पारी हूँ । ” हमारें घर में आपका स्वागत हैं ‘ मानव मित्रों ‘ हमें खुशी हुई कि तुम हमारे यहाँ आये । ” अब राजेश और मयंक थोड़ा घबरातें हुए , उन परियों के सामने आते हैं । 

मयंक – आप परी रानी कितनी अच्छी हों । ” तो आप लोगों से गाँव वालें इतना डरते क्यों हैं ? “

परी – ” इसका जवाब तो वही दे सकतें हैं । क्या तुम दोनों को भूख लगी हैं ? ” 

मयंक – हाँ भूख तो लगी हैं । ” जो खाना लाए थें , वो तो हम दोनों कबका ही खा चूकें हैं ? ” 

हुस्न परी – क्या तुम हमारी मदद करोगे इस हवेली की सफाई करने में ? 

राजेश – हाँ … हाँ… क्यों नहीं  ? 

अब खुशी – खुशी राजेश और मयंक हवेली की सफाई करके उसे को चमकाना शुरू कर देते हैं । ” तभी बाहर खड़े गार्ड ( धीरज और मुन्ना ) आवाज सुनकर अंदर आते हैं । ” तो उन्हे राजेश और मयंक उड़ते हुए दिखाई देते हैं । वो दोनों बहुत ज्यादा डरकर उन्हे छोड़कर वहाँ से भाग जातें हैं और जमींदार के पास पहुँचतें हैं । 

गार्ड बोला – जमींदार साहब । ” गजब हो गया लगता हैं , राजेश भैया और उनके दोस्त को भूतों नें अपनें कब्जे में कर लिया हैं । ” हमनें देखा की वो दोनों हवा मे उड़ रहें थें । 

जमींदार – हे भगवान । ” अब क्या होगा ? मेरे बच्चों को प्रेतों नें अपनें कब्जे में कर लिया हैं । ” भूतों नें नहीं चुड़ैलों ने किया हैं ” क्योंकि वहाँ से लड़कियों की आवाजे आ रहीं थीं । और वो गाना भी गा रहीं थीं । हमनें पायलों की आवाजे भी सुनी । 

अब सभी गाँव वाले बहुत बुरी तरह से डर जातें हैं । राजेश और मयंक अगले दिन जैसे ही सूरज उगता हैं । उन दोनों परियों को अलविदा कहते हैं । 

हुस्न परी – ” हम पर विश्वस करने के लिए धन्यवाद ” 

अब सुबह होते ही ” राजेश और मयंक गाँव चले जाते हैं  और गाँव वालों को सारी बातें बताते हैं । अब उस हवेली से उनकी यादें जुड़ जाती हैं , इसलिए जब भी उनको परियों की याद आती तो वो उनके पास चले जाते थें । “

मयंक – एक परी से पूछता हैं । ” कि रमेश की पहाड़ी से गिरकर कैसे मौत हुई, उस पर हमला कैसे हुआ ? “

 हुस्न परी – मैं यही बताना चाहती हूँ । ” रमेश पर हमला हमनें नहीं किया । हम तो सिर्फ गाँव वालों को शहर से आए उस तस्करों से बचाने की कोशिश कर रहें थें । जो सुबह के समय इस हवेली में छुपे रहते हैं और रात को तस्करी के लिए निकल जाते हैं । “

परियाँ यह सब राजेश और मयंक को बताती हैंं । 

परी – उस दिन जिस दिन रमेश पहाड़ी से गिरकर मर गया , उस दिन परी उसकी रक्षा कर रही थीं और परी सिर्फ रमेश को ही दिखाई दे रही थीं । ” जब तस्करों नें रमेश को हवेली की तरफ आते हुए देखा तो उन्होंने उसे पीछे से धक्का दे दिया ताकि उनका रहस्य , किसी और को पता न चल जाए । “

मयंक – तो क्या तस्कर आपकों नहीं देख सकतें ?

तीसरी परी – नहीं । ” हमें सिर्फ वही देख सकता हैं । जिसके आगे हम अपनें आप को खुद दिखाना चाहें । ” हमनें गाँव वालों को तस्करों के बारें मे बताने की खूब कोशिश की , लेकिन डरपोक गाँव वालें इस हवेली में कभी नहीं आए । 

राजेश – अब आपकों परेशान होने की कोई जरूरत नहीं आपने हमारे गाँव की रक्षा के लिए इतने सालों तक हमारा साथ दिया । ” और आपकी सच्चाई हम गाँव वालों को बताएंगे और हम सभी गाँव वालों के साथ अगले हफ्ते दिवाली मनाने यहाँ आएंगें । “

अब राजेश और मयंक परी और तस्करों की सारी बातें गाँव वालों को बताते हैं । और पुलिस को तस्करों की सूचना दे दी जाती हैं । पुलिस छापेमारी करती हैं । और सभी तस्करों को जल्द ही गिरफ्तार कर लेती हैं । 

इंस्पेक्टर – रें … ” आज तुम सब लोग हत्थे चढ़े हों । अब देखों ये इंस्पेक्टर तुम लोगों के साथ क्या करता हैं ? सबकी नाक मे दम कर रखा था तुम लोगों नें । “

राजेश – थानेदार साहब धन्यवाद । वक्त पर आने के लिए । आप इन सबको कड़ी से कड़ी सजा दिलवाइएगा । रमेश की हत्या भी इन्होंने ही की हैं । 

इंस्पेक्टर – अरें चलों , लें चलों इन सबकों गाड़ी में भरके । 

इंस्पेक्टर – अब आप सब गाँव वालों को इस हवेली से डरने की कोई भी जरूरत नहीं हैं । ” कुछ नहीं होता ये भूत -प्रेत । समझदार बनो तुम सब राजेश और मयंक की तरह । “

गाँव वालों को राजेश और मयंक की बातों पर भरोसा होने लगता हैं । और दिवाली के दिन सभी गाँव वालें हवेली की ओर चल देते हैं । सभी परियों ने पूरी हवेली को दीपों से सजाया होता हैं । 

 और हवा में आतिशबाजी होने लगती हैं । परियाँ सबके सामने प्रकट हों जाती हैं । 

परियों को सामने देखकर सभी गाँव वाले बहुत अचंभित हो जातें हैं । और साथ ही बहुत खुश भी होते हैं । व उनके साथ दिवाली भी मनातें हैं । इसके बाद सभी हँसी खुशी से गाँव में बिना डरे ही रहते हैं । 

कहानी आपकों कैसी लगी नीचे .. comment मे जरूर बताना । ।  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Author: Hindi Rama

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