
4 प्रेरणादायक कहानियाँ – Kids Story In Hindi
1. मोर की नकल ….
» एक बार की बात है , एक कौए ने आसमान मे उड़ते हुए राजा के महल के चिड़ियाघर को देखा । उस चिड़िया घर मे बहुत से रंग – बिरंगे पक्षी थे। उनमे अत्यधिक मात्रा मे मोर थे । जिसे देखकर कौवा बहुत खुश हो रहा था। कौए ने सोचा क्यों न हम भी इन्ही की संगत मे आ जाए।
» कौवा सोचने लगा कि ये मोर कितने खुशनसीब हैं, जिन्हे राजा के दरबार मे बैठे – बैठे अच्छा – अच्छा खाने को भी मिल जाता होगा ।
» अब कौवा किसी भी हाल मे उस चिड़ियाघर मे घुसना चाहता था । उसने दिमाग लगाया क्यों न मैं जंगल से गिरे हुए मोर के पंखों को अपने पंख मे लगा लेता हूँ जिससे मोरो को लगेगा कि यह वह हमारी प्रजाति का पक्षी हैं।
» कौए ने ठीक अपनी सोच के अनुसार ही किया । वह नकली मोर पंख लगाकर राजा के महल के अंदर चिड़ियाघर मे रहने के लिए चला जाता है।
» वह एक दो दिन बिना किसी से बात किये हुए वहाँ रहता हैं। जब उससे अन्य मोरो ने बात करने की कोशिश की तो कौवे की असलियत सभी को पता चल गई । सभी मोरो ने उसके ऊपर हमला कर दिया और उसके द्वारा लगाए नकली पंखों को नोच डाला और कौवे को भगा दिया ।
» नैतिक शिक्षा : बाहरी सुंदरता से अच्छी , आंतरिक सुंदरता होती है ।
2. रामू और पत्थर ….
» एक बार की बात है , रामू को उसके पापा ने के पत्थर को लेकर बाजार मे जाओ और कोई तुमसे इसे खरीदने के लिए बोले तो तुम अपनी दो उँगलिया उठा देना । अगली सुबह रामू वही पत्थर लेकर बाजार गया वहाँ एक बूढ़ी औरत ने पत्थर का दाम पूँछा तो रामू ने अपने दो उँगलियाँ दिखा दिया।
» बूढ़ी औरत ने बोला मुझे दे दो मै 200 रुपये दे दूँगी । रामू तुरंत भाग कर अपने पापा के पास गया और बूढ़ी औरत की बात बता दी।
» अब उस बच्चे के पापा ने रामू को फिर वही पत्थर लेकर एक संग्रहालय पहुँच गया जहाँ पर एक व्यक्ति ने रामू से पत्थर की कीमत पूछी , रामू ने अपनी दो उंगलियों को दिखाया । वह व्यक्ति 2000 रुपये देने के लिए तैयार हो गया। रामू तुरंत भाग कर अपने पापा के पास गया । और सारी बाते बता दी। इस बार रामू के पापा ने वही पत्थर लेकर एक सुनार की दुकान पर जाने के लिए कहा ।
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» रामू वही पत्थर लेकर एक सुनार की दुकान पर पहुँचा सुनार ने दूर से देख कर बोला इस पत्थर की खोज मे , मैं कब से था , लाओ यह पत्थर मुझे दे दो । इस पत्थर के कितने पैसे लोगे। रामू ने दो उँगलियाँ दिखा दी। सुनार ने कहा – दो लाख , मैं देने को तैयार हूँ लाओ दो मुझे । रामू तुरंत अपने पापा के पास वापस गया और सारी बात फिर से बता दी।
» रामू के पापा ने अपने बेटे से कहा हम सभी के जीवन की अहमियत इसी प्रकार होती है। यह आपके ऊपर निर्भर करता है की आपको 200 रुपये का इंसान बनना है। अपने ऊपर काम करो और अपने आपको जैसा चाहते हो ठीक वैसा बनाओ । इस दुनिया मे कुछ भी असंभव नही है।
» नैतिक सिख : आप जैसा चाहते हो, वैसा बनने की कोशिश करो।
3. अटूट विश्वास ….
» एक समय की बात है ऊधमपुर नामक गाँव मे एक साधु महात्मा रहते थे। वह बहुत ही ज्ञानवान और दृढ़ संकल्प के धनी व्यक्ति थे। वे जों भी ठान लेते थे , उसको पूरा करके ही छोड़ते थे । साधु महात्मा धीरे-धीरे अपने ज्ञान और बुद्धिमत्व के लिए बहुत प्रसिद्ध हो गए।
» एक बार साधु के गाँव मे बारिश नही हुई जिसके कारण नदी , तालाब सब सुख गए । गाँव वालों को पीने का पानी की भी समस्या आने लगी।
» उधम पुर गाँव के लोग परेशान थे । सभी लोगों ने कहा चलो साधु महात्मा के पास चलते हैं। वही हमे कुछ सलाह देंगे । सभी गाँव वाले मिलकर साधु महात्मा के पास गए और अपनी बात बताई । साधु महात्मा ने गाँव वालों की बात सुनकर नृत्य शुरू कर दिया ।
» जिसके कारण इंद्रदेव प्रसन्न होकर वर्षा करना शुरू कर दिया । एस प्रकार देखते ही देखते गाँव मे खुशी का माहौल बन गया।
» अब साधु महात्मा अपने इस ंएक काम के लिए इतना प्रसिद्ध हो गए , की उनकी प्रसंशा दूर – दूर तक होने लगी । जिसके कारण एक दिन पूरे गाँव से कुछ लोग आए और और साधु महात्मा से बोले की हमारे गाँव मे बारिश नही हो रही। जिसके कारण हम लोग परेशान हैं। अगर आप बारिश करवा दे तो हम लोग आप के आभारी रहेंगे ।
» साधु महात्मा ने नृत्य शुरू कर दिया लेकिन , बारिश नही शुरु हुई। धीरे – धीरे साधु महातम को नृत्य करते – करते आठ से दस घंटे बीत गए । अब लोगों ने साधु महात्मा के बारे मे तरह – तरह की बाते करना शुरू कर दिया । लेकिन साधु, महात्मा ने अपना नृत्य करना जारी रखा ।
» दस घंटे बाद बारिश शुरू हो गई। सभी लोग साधु महात्मा की वाह – वाही करने लगे। फिर किसी ने साधु महात्मा से पुछा आप यह कैसे करते हैं ?
» साधु महात्मा ने जवाब दिया, मै कोई ज्ञानी नही हूँ ना ही कोई मंत्र जानता हूँ। यह सब मेरे विश्वास का परिणाम है। मुझे दृढ़ विश्वास हैं की नृत्य करने से बारिश होगी। जब तक बारिश नही होगी तब तक मैं नृत्य करना ही नही छोड़ूँगा । इसी का नतीजा हैं की आज बारिश हो रही है ।
» नैतिक सिख: लक्ष्य के प्रति अटूट विश्वास ही सफलता का मूल मंत्र है।
4. ज्यादा सोचने वाला बच्चा ….
» कबीरपुर नामक गाँव मे एक लड़का रहता था , जिसका नाम धीरु था। धीरु अक्सर अपने अतीत मे जीता था । अगर उसे कोई कुछ बोल देता था तो, वह उसी को सोचता रहता था । धीरु या तो उसका जवाब देने के बारे मे सोचता था या फिर उसका बदला लेने के बारे मे सोचता रहता था । यही वह कारण है जिसकी वजह से धीरु दिनों प्रतिदिन परेशान रहने लगा । जिसके कारण उसका स्वास्थ्य भी खराब होने लगा ।
» उसकी यह स्थिति देख उसके एक दोस्त ने बोला क्या बात है धीरु , तुम आजकल चिंता मे दुबे रहते हो । धीरु ने सारी बात अपने दोस्त को बता दी। उसके दोस्त ने बोला कल सुबह तुम मेरे साथ चलो । धीरु का उसका दोस्त अगली सुबह उसी गाँव के एक बुजुर्ग आदमी के पास ले गया । जिसे लोग रहीम चाचा के नाम से जानते थे । वहाँ जाकर धीरु ने अपनी सारी बात रहीम चाचा से बताई।
» धीरु की बात सुनकर रहीम चाचा उठे और अंदर से एक लोटे मे जल लेकर आए और धीरु से बोले मेरे हाथ मे यह लोटा देखकर क्या सोच रहे हो । धीरु ने बोला कुछ नही, यह तो लोटा है और उसमे पानी है। रहीम चाचा ने दुबारा से बोला अगर इस लोटे के पानी को अपने हाथों मे कई दिनों तक ऐसे लिए रहे तो क्या होगा । धीरु ने बोला आपका हाथ सुन्न हो जाएगा । हो सकता है हाथ को लकवा भी मार दें।
» फिर , रहीम चाचा ने धीरु को समझना शुरू किया, ठीक इसी प्रकार किसी अनावश्यक बात को अगर लंबे समय तक अपने दिमाग मे लिए रहोगे तो उसका नतीजा बुरा हो सकता है। इसलिए आप अपने किये पर पछताने के बजाय , उस गलती से सीख कर आगे बढ़ो। ज्यादा चिंता बेकार होती है। चिंता , चिता के समान होती है। जो व्यक्ति को पतन की ओर ले जाति है ।
» नौतिक सिख: हमे अपने पुरानी गलतियों से सिख लेते हुए आगे बढ़ना चाहिए ।