
सावित्री और अर्जुन की प्रेम कहानी – Romantic Love Story In Hindi
» गाँव का नाम था सरसई, जहाँ कच्चे रास्तों पर बैलगाडियों की चरमराहट और चौपाल पर शाम को चाय की चुसकियों के साथ चलती गप्पे आम नराजा थी।
» वहीं इस गाँव मे रहते थे अर्जुन और सावित्री – एक ऐसी जोड़ी जो बचपन से साथ खेली थी , साथ बड़ी हुई थी, और अनजाने मे एक दूसरे का हिस्सा बन चुकी थी।
» अर्जुन के पिता किसान थे और माँ घर संभालती थी।
» सावित्री का परिवार थोड़ा सम्पन्न था , उसके पिताजी स्कूल मे मास्टर थे ।
» अर्जुन हर शाम अपने खेत से लौटते समय जब सवित्री को चौपाल पर बैठे देखता था, तो उसके थके चेहरे पर मुस्कान बिखर जाती थी।
बचपन का साथ
» सावित्री और अर्जुन बचपन मे एक ही पाठशाला मे पढे थे।
» दोनों साथ मे कुए से पानी भरते थे , आम के पेड़ पर चढ़ते थे , और मंदिर मे सावन के झूले झूलते ।
» गाँव मे सभी जानते थे कि इन दोनों के बीच कुछ तो खास था। लेकिन जैसे – जैसे उम्र बढ़ी, वैसे – वैसे समाज की दिवारे उनके बीच ऊँची होने लगी।
» सवित्री के पिता ने उसे पढ़ने के लिए शहर भेज दिया । लड़की है, समझदार बनानी है, उन्होंने कहा।
» और अर्जुन ? वह खेतों और चौपालों मे ही रह गया ।
दूरियाँ और चौपियाँ
» शहर जाने के बाद सावित्री ने पत्रों के जरिए अर्जुन से संवाद बनाए रखा।
» हर महीने एक चिट्ठी आती, जिसमे शहर की हलचल , नए अनुभव और अर्जुन के लिए थोड़ी सी चिंता होती।
» अर्जुन उन चिट्ठियों को अपने तकिये के नीचे रखता – जैसे कोई खजाना ।
» फिर एक दिन सावित्री कि चिट्ठियाँ आनी बंद हो गई ।
» अर्जुन बेचैन रहने लगा। वह खेतों मे काम करता , पर मन वही अटका रहता था – कही कुछ गलत तो नही हुआ ?
» लेकिन वह सीधे कुछ पूछ भी नही सकता था । एक महीने , फिर दो महीने , और फिर पूरा साल निकल गया ।
पुनर्मिलन
» फिर एक दिन सावित्री अचानक से गाँव लौटी ।
» उसके चेहरे पर वही मासूमियत थी, लेकिन आँखों मे एक अजीब सा खालीपन । अर्जुन ने उसे चौपाल पर देखा, और दोनों की नजरे मिली।
» बिना कुछ कहे बहुत कुछ कह गया वो पल ।
» रात को मंदिर के पीछे नीम के पेड़ के नीचे वही दोनों फिर से मिले ।
» वहीं जहा कभी आम के आचार के लिए झगड़ा हुआ था।
» अर्जुन ने उससे पुछा की तुमने इतने दिन तक चिट्ठियाँ क्यूँ नही लिखी ?
» सावित्री के आँखों मे आँशु थे , पापा ने रिश्ता तय कर दिया था। शहर मे एक लड़का अफसर है।
» लेकिन मैं नही चाहती थी। मैंने मना किया …. बहुत झगड़ा हुआ …फिर उन्होंने मुझसे बात करना बंद कर दिया । अब मैं लौट आई हूँ।
» अर्जुन ने कुछ नही कहा। बस उसकी ओर देखा – जैसे कह रहा हो , मैं तो यही था ….. तुम्हारे इंतजार मे ।
संघर्ष
» गाँव मे सावित्री के लौटने की खबर फैल गई । लोग बाते करने लगे – अब क्या होगा ?
» मास्टर जी की बेटी और किसान का बेटा ? इज्जत का सवाल है ।
» सावित्री के पिता को मंजूर नही था । उन्होंने घर से निकलने पर रोक लगा दी।
» अर्जुन के माता – पिता भी बहुत डरे हुए थे – बेटा , ये गाँव है, यहाँ प्यार की नही, खानदान की चलती है।
» लेकिन अर्जुन ने फैसला कर लिया था। वह सावित्री से शादी करेगा – आ चाहे कुछ भी हो जाए ।
» एक दिन उसने सबके एलान कर दिया – मैं सावित्री से प्रेम करता हूँ । और हा मैं उससे विवाह करूंगा ।
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» गाँव वालों मे खुसर – पुसर होनी शुरु हो गया । मास्टर जी गुस्से मे लाल हो गए। पर सावित्री ने पहली बार खुल कर बोला – अगर मुझे कोई अपनाता है , तो वो अर्जुन है ।
» जिसने हर हाल मे मेरा साथ दिया। मैं उसी के साथ रहना चाहती हूँ ।
बदलाव की लाहर
» गाँव मे यह पहली बार हुआ था कि किसी लड़की ने अपनी पसंद से जीवनसाथी चुना था।
» कई लोगों ने अर्जुन का साथ दिया – प्यार करने मे शर्म नही होनी चाहिए , अगर वो दोनों एक दूसरे के लिए बने हैं , तो हम कौन हैं रोकने वाले ?
» कुछ बड़े बुजुर्गों की बैठक हुई। बातचीत लंबी चली, लेकिन अंत मे यह तय हुआ कि दोनों को शादी की अनुमति दी जाएगी।
» एक शर्त पर ; सावित्री को अपने माता – पिता से आशीर्वाद लेना होगा ।
अंतिम परीक्षा
» सावित्री अपने पिता के पास पहुँची । उन्होंने अब भी मुंह फेर रखा था ।
» बाबा , वह बोली , मैं आपकी ही बेटी हूँ। जो संस्कार आपने दिए , उन्ही से मैं ये निर्णय ले रही हूँ। अर्जुन बुरा नही है।
» वह मेहनती हैं , सच्चा है … और सबसे बड़ी बात, वह मुझसे अटूट प्रेम करता है ।
» मास्टर जी की आंखे नम हो गई । बहुत देर तक चुप रहे । फिर बोले , जाओ , उसे बुलाओ।
» मैं देखना चाहता हूँ जिसने मेरी बेटी का दिल जीता लिया है ।
» अर्जुन आया और झुका , उनके पैर छूए । मास्टर जी ने कहा , खुश रहो बेटा ।
विवाह और नया जीवन
» गाँव के मंदिर मे पीपल के पेड़ के नीचे अर्जुन और सावित्री ने सात फेरे लिए।
» पूरा गाँव गवाह बना एक प्रेम कथा का – जो बचपन से शुरू हुई थी, और समाज की तमाम बाधाओ को पार कर पूरी हुई ।
» अब वे दोनों न सिर्फ एक – दूसरे के हमसफ़र थे, बल्कि गाँव के लिए एक नई सोच, एक नई शुरुआत की मिसाल भी बने।