
दो दिल एक जान – रोमांटिक प्रेम कहानी । Love Story In Hindi
» यह कहानी शुरू होती है 2020 मे। तब मयंक 24 साल की उम्र मे हरियाणा मे एक प्राइवेट कंपनी मे जब करता था लेकिन उनका असली घर मध्य प्रदेश की शिवपुरी मे था । और वह जॉब के सिलसिले मे हरियाणा की गुरुगाँव मे अकेले ही रहता था ।
» मयंक उनके माता – पिता की इकलौती संतान था इसलिए वह घर का बहुत ही लाड़ला था । मयंक का ऑफिस हर हफ्ते की रविवार को छुट्टी रहता था और मयंक को उस दिन छुट्टी मिलने के कारण वह हर रविवार की शाम के वक्त उनके घर से थोड़ा दूर एक पार्क मे घूमने के लिए जाता था ।
» मयंक ने एक दिन रविवार को पार्क मे घूमने के लिए गया और वह थोड़ा पार्क मे योग व्यायाम किया और थोड़ा थकान महसूस होने पर पार्क मे योग व्यायाम किया और थोड़ा थकान महसूस होने पर पार्क की एक बेंच मे जाकर बैठ गया ।
» मयंक बैठा ही था तभी उसने देखा की उसके पास के बेंच पर एक औरत के साथ एक बच्ची बैठी हुई थी , और मयंक ने देखा की वह औरत थोड़ा उदास थी । मयंक ने नजर अंदाज उसे नजर अंदाज करते हुए पार्क के चारों तरफ नजर घूमा कर देखा । कुछ ही देर बाद मयंक की नजर उस बेंच पर दुबारा पड़ी , और वह औरत और बच्ची दोनों ही वहां नही थी।
» थोड़ी देर बाद शाम का अंधेरा भी हो चुका था तभी मयंक ने उस बेंच पर धुंधला धुंधला सा नजारे से देखा तो उसे लाल रंग की कोई चीज पड़ी हुई थी । क्योंकि पार्क मे लाइट ना होने की वजह से उसे कुछ साफ नजर नही आ रहा था ।
» मयंक जब उठ कर उस बेंच पर गया तो ,देखा की किसी लड़की का लाल रंग का एक बैग पड़ा हुआ था। मयंक को लगा शायद ये बैग उसी बच्ची का होगा जो उस औरत के साथ बैठी हुई थी । शायद इस बैग को वह जल्द बाजी के कारण भूल गई होगी।
» मयंक ने उस बैग को पार्क मे ना खोल कर उसे अपने घर ले कर चला गया मयंक ने सोचा क्या पता उस औरत का कोई फोन नंबर या कोई घर का पता इस बैग मे मिल जाए । यह सोच कर जब मयंक ने उस बैग को खोल कर देखा तो उस बैग मे कुछ पैसे और डॉक्टर की पर्ची मिली । ना उस बैग मे कोई नंबर था ना ही किसी घर का पता ।
» मयंक ने जब उस पर्ची को खोल कर देखा तो उस पर्ची मे डॉक्टर का पता था , और उस डॉक्टर का चेम्बर मयंक के घर के आधे घंटे की दूरी पर था । अगली सुबह जब वह ऑफिस जाने लगा तो उसने ऑफिस से 2 घंटे की छुट्टी लेकर उस डॉक्टर के पास गया । डॉक्टर से पूछने के बाद पता चला की, उस औरत का नाम कल्पना और उसकी पाँच साल की बच्ची जिसका नाम अंजली है ।
» और उनके फ्लैट के पास के सोसाइटी मे रहती है। मयंक देर ना करते हुए उस सोसाइटी मे पहुँच गया , और जब उसने दरवाजे की घंटी बजाई तो कल्पना ने दरवाजा खोला और पूछा की, आप कौन ?
» मयंक ने वह बैग देते हुए कहा की , जी मैडम मे मयंक हु और शायद से यह बैग आप कल शाम के समय पार्क मे भूल से छोड़ कर चली आई । मुझे बैग मे डॉक्टर की एक पर्ची मिली तो डॉक्टर से मैंने आपका पता पूछा जब मैं आपके घर तक पहुँचा
» कल्पना ने कहा , हाँ ,हाँ ये बैग मेरा ही है , जो मुझसे खो गया था । और कल से ही इस बैग को लेकर मै बहुत परेशान हुई हूँ। ये सब बताते हुए मयंक को घर के अंदर बुलाया और बैग को लौटने के लिए कल्पना ने मयंक को धन्यवाद कहा ।
» मयंक ने कहा जी कोई बात नहीं मै अब चलता हूँ । तभी कल्पना ने बोला की थोड़ी देर ओर रुक जाइए , मयंक ने कहा की आज नही किसी ओर दिन आ जाऊँगा । कल्पना ने कहा अपने हमारी इतनी मदद की ।
» मयंक , कल्पना की बात को टाल नही पाया । और वह अंदर जाकर रूम मे सोफ़े पर बैठ गया । कल्पना ने कहा आप क्या लेंगे, चाय या कॉफी ?
» मयंक ने कहा सिर्फ एक ग्लास पानी पीला दीजिए । कल्पना ने मयंक को एक ग्लास पानी दिया और पानी पी कर मयंक वहाँ से चला आया । और वह सीधे अपने ऑफिस के लिये निकल गया ।
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» और एक हफ्ते के बाद मयंक ने रविवार को उसी पार्क मे घूमने के लिए गया और इत्तेफाक से कल्पना उसे वही पार्क मे मिल गई। कल्पना ने मयंक को देख कर उनसे मिलने के लिए आया ।
» और कहा, पहचान रहे हो मुझे, मै कल्पना हूँ। मयंक ने कहा अरे हाँ मैडम , आप कैसी हो और आपकी बेटी कैसी है?
» कल्पना ने कहा हाँ मै ठीक हूँ और मेरी बेटी भी ठीक है। दरसल आज मे अपनी बेटी को पड़ोसी के घर मे छोड़ आई , और डॉक्टर से मिलने के लिए चली गई । मयंक ने कहा , अच्छा और फिर दोनों मे बहुत बाते सारी बाते हुई।
» वह दोनों बहुत जल्द ही एक – दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए । मयंक ने कल्पना से कहा की , अगर आप बुरा ना मानो तो एक बात पूछू ? कल्पना ने कहा की हाँ , पूछो ,,,,
» मयंक ने कहा , आप हर रविवार को डॉक्टर के पास जाते हो , क्या बात है ? कोई बीमारी है क्या ?
» कल्पना ने कहा, सब कुछ बताऊँगी अगर आपको वक्त मिले तो घर आ जाना दोनों मिलकर बहुत बाते करेंगे । और अभी मुझे जाना है क्योंकि अंजली पड़ोसी के पास अकेली है। ये कहते हुए कल्पना वहाँ से चली गई ।
» मयंक कुछ दिन बाद ही कल्पना के घर मे गया । कल्पना ने घर का दरवाजा खोला और मयंक को बैठने को कहा । वह दोनों बाते करते करते जब एक दूसरे के बारे मे जान ने के लिए पूछा तो पहले मयंक ने अपने बारे मे सारी बाते बताई ।
» मयंक की सारी बात सुनने के बाद कल्पना ने कहा, इस फ्लैट मे , मै और मेरी बेटी अंजली दोनों रहती हु और मै एक ऑफिस मे जॉब करती हूँ । मेरे पति 2 साल पहले एक कर एक्सीडेंट मे मौत हो गई । और मेरे ससुराल वाले मुझे ही मेरे पति के मौत के जिम्मेदार मानते हैं । इसलिए वह लोग मुझे अपना नहीं रहे । तब से हम दोनों यहाँ अकेले ही रहते है ।
» अब तो मेरे खुद के माता-पिता भी मुझसे किसी भी तरह का संपर्क नही रखते । कल्पना की दुःख भरी कहानी सुन कर मयंक की आखों मे आशु आ गए । तभी मयंक ने कहा , डॉक्टर ?
» कल्पना ने कहा, मै अपनी बेटी अंजली के लिए डॉक्टर के पास जाती हूँ क्योंकि अंजली के दिल मे एक छोटा सा छेद हु और डॉक्टर ने कहा की 6 महिना के अंदर ऑपरेशन करना पड़ेगा । नही तो?
» और मेरे पास उतना पैसा भी नही है । जिससे मै अभी अंजली का ऑपरेशन करवा सकूँ । मै अब क्या करू मुझे कुछ समझ नही आ रहा । इसलिए मै कुछ दिनों से परेशान हूँ । क्योंकि उसे अकेले छोड़ कर ऑफिस जाने डर लगता है। इसलिए कुछ दिन से मे ऑफिस से छुट्टी लेकर घर ही रह रही हूँ, ताकि अंजली का ठीक से देखभाल कर सकूँ ।
» मयंक ने कहा, अंजली के ऑपरेशन के लिए डॉक्टर को कितने पैसे चाहिए ।
» कल्पना ने कहा, छोड़ो वह सब बातें मै कुछ ना कुछ बन्दोबस कर ही लूँगी । ये सब कहने के बाद कल्पना ने मयंक को चाय दिया । और मयंक ने चाय पीकर कल्पना के घर से चला गया और कहा बाद मे मिलता हूँ ।
» अगले ही रविवार को मयंक ने डॉक्टर के पास जाकर अंजली के बारे मे बात की तो डॉक्टर ने बताया की , अंजली के ऑपरेशन मे डेढ़ लाख की खर्चा आएगा । और जितना जल्दी ऑपरेशन करेगा अंजली के लिए उतना ही अच्छा है।
» मयंक ने कहा, डॉक्टर आप अगले महीने ही अंजली का ऑपरेशन की तैयारी कर लीजिए मै अगले हफ्ते मे आपके पैसे जमा कर दूँगा । ये कहते हुए मयंक ने अगले हफ्ते मे कल्पना को बिना बताए पैसा जमा कर दिया । कल्पना जब डॉक्टर के पास गई तो डॉक्टर ने कल्पना को मयंक के बारे मे सब कुछ बता दिया ।
» कल्पना मयंक को तुरंत फोन किया और अपने घर मे बुलाया । मयंक जब शाम को कल्पना के घर मे गया तो , कल्पना ने कहा, तुमने पैसा क्यों दिया ? दया दिखा रहे हो मुझे पर ?
» मयंक ने कहा, नही कल्पना मै तुम्हें दया नही दिखा रहा हूँ , एक अच्छे दोस्त के नाते मै तुम्हें अंजली की इलाज के लिए थोड़ी मदद कर रहा हूँ और अंजली भी तो मेरी बेटी जैसी है?
» कल्पना ने कहा, बेटी जैसी मतलब ? मयंक ने कहा , मै तुमसे एक सच बात कहना चाहता हूँ , बुरा मत मानना अगर तुम्हें मेरी बात पसंद नही आई तो मुझे माफ कर देना लेकिन प्लीस बुरा मत मानना ।
» देखो कल्पना मै तुमसे कुछ नही छिपाऊँगा । तुम इतनी खूबसूरत हो की मुझे तुमसे बहुत प्यार हो गया कल्पना मे तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ और मै तुमसे शादी करना चाहता हूँ। कल्पना के पति के जाने के बाद वह भी बहुत ही अकेली हो गई ।
इसलिए उसे भी एक अच्छा और सच्चे मन के हमसफ़र की जरूरत थी इसलिए कल्पना ने मयंक की प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। और इस रिश्ते से वह दोनों बहुत ज्यादा खुश थे और उसकी बेटी अंजली भी खुश थी ।
उन दोनों ने फैसला किया की, अंजली के ऑपरेशन के बाद ही शादी करेंगे । 1 महीने के बाद अंजली का ऑपरेशन बहुत ही अच्छे से सफलता के साथ हो गया और उसके बाद दोनों ने कोर्ट मे जाकर शादी कर लिया।
शुरुआती मे मयंक के माता- पिता शादी से खुश बिल्कुल भी नही थे , लेकिन धीरे – धीरे एक साल बाद उन्होंने उन दोनों के साथ कल्पना की बेटी अंजली को भी अपना लिया । और मयंक और कल्पना अंजली के साथ अपनी जिंदगी मे बहुत खुश थे ।
निष्कर्ष :- जो इंसान सच्चा प्यार करता है , वह कभी जाति , धर्म , रूप को देख कर प्यार नही करता । सच्चा प्यार उनके दिल मे होना चाहिए ।