दो बहनों का बदला – Suspense Story In Hindi ।
⇒ जंगल से कुछ दूर पहाड़ियों की गोद में बसा एक पुराना गाँव था । भवानीपुर गाँव के चारों ओर ऊँचे सागोन के पेड़ , झाड़ियों से भरी गलियाँ और मिट्टी के सुंदर घर थें । वहाँ का जीवन शांत लगता था । लेकिन उस शांति कए पीछे छिपा था । डर , अन्याय और लालच ।
⇒ भवानीपुर में हर कोई जानता था , कि वहाँ का जमींदार भैरों सिंह कितना ठरगी , निर्दयी और कितना लालची था । उसके पास — ताकत ,पैसा और लालची दिमाग था । साथ ही वह बहुत ही गंदा इंसान भी था । गाँव में जो भी इंसान उसकी बात नही मानता था । तो उसे या तो जेल में डलवा देता या उसका खेत व उसकी घर में किसी स्त्री को अपनी हवेली में नौकरानी बनाकर रखता था ।
⇒ मानलों गाँव कए मजबूर लोग उसके आगे सिर झुकाकर रहतें थें । भैरों सिंह नें कई बार तो किसान की लड़कियों की तो उसने कर्जा ना देने की वजह से इज्जत भी लूट ली थीं ।
हरिराम का गरीब परिवार
⇒ गाँव के किनारे एक टूटी झोपड़ी में हरिराम नाम का एक किसान रहता था । उसके घर में — पत्नी सीता , दो बेटियाँ राधा और गौरी और एक छोटा बेटा मोहन था । राधा 17 साल की थीं , शांत समझदार और जिम्मेदार लड़की , गौरी उससे 2 साल छोटी थीं पर बेहद सुंदर आँखें नीली मानो जैसे एक परी जैसी लड़की गाँव में सबसे सुंदर लड़की थी वह ।
⇒ हरिराम नें अपनी पूरी जिंदगी भैरों सिंह जमींदार के खेतों में काम करते – करते गुजार दी थीं । लेकिन फिर भी उसके सिर पर बहुत सारा कर्जे का बोझ था । भैरोंसिंह ने हरिराम को बीज और बैलों के नाम पर कर्जा दिया था । मगर उसपर झूठे दस्तावेज बना दिए थें । मानो कर्जा तो पूरे जीवन में भी नहीं उतर पाएगा ।
⇒ अब हालत यह थीं , कि हरिराम की जमीन भी उसी कए नाम हो चुकी थीं । और बस वह तो एक मजदूर बनकर रह गया था । ” अब हरिराम इस कर्जे की वजह से दिन रात रोता था । वह बहुत ही ज्यादा मजबूर हो गया था ” बस हरिराम जी रहा था तो अपने परिवार के लिए , ताकि उसका परिवार हमेशा खुश रहें और सुखी रहें ।
भैरोंसिंह जमींदार की गंदी नजर
⇒ हरिराम की दोनों बेटियाँ राधा और गौरी सुबह जंगल के रास्ते से लकड़ियाँ लेने जाती थीं । भैरोंसिंह जमींदार की हवेली भी उसी रास्ते के पास थीं । भैरोंसिंह की नजर कई दिनों से उन दोनों बहनों पर थीं । वह उन्हे हमेशा हवेली की बालकनी से देखता उसके चेहरे पर गंदी मुस्कान फैल जाती ।
⇒ एक दिन भैरोंसिंह नें अपने नौकर से कहा — वो दोनों बहनें राधा और गौरी — उन्हे हवेली में काम पर बुला लाओ । उन्हे बताना कि भैरोंसिंह की बीमार पत्नी की सेवा करने का काम हैं ।
⇒ जब नौकर यह संदेश लेकर हरिराम के घर पहुँचा । तो राधा नें साफ मना कर दिया । हम खेत में काम कर लेंगे मगर हवेली में कभी नहीं जाएंगे । नौकर नें यह बात जाकर जमींदार को बताई । यह सुनकर भैरोंसिंह के चेहरे पर बहुत ज्यादा क्रोध था । गुस्से में भैरोंसिंह नें कहा , इन दोनों बहनों को तो में झुकाकर रहूँगा । फिर चाहे मुझे जो कुछ भी करना पड़ें ।
हरिराम की करवाई भैरोंसिंह नें मृत्यु
⇒ कुछ हफ्तों बाद बारिशों का मौसम आया । खेतों में कीचड़ और गाँव रास्तों पर पानी भर गया । हरिराम सुबह खेतों पर गया तो दोपहर तक वापस नहीं लौटा । शाम को जब राधा अपनें पिता को खोजने निकली तो , उसे खेत के पास झाड़ियों में भीड़ दिखाई दी । — गाँव के लोग कुछ बड़बड़ा रहें थें । लगता हैं हरिराम का पैर फिसल गया और उनका सिर पत्थर से टकरा गया ।
⇒ राधा दौड़कर पहुँची तो देखा , — उसके पिता की लाश लाश पड़ी थीं । माथे पर गहरा घाव था , कपड़े फटे हुए , और पास में शराब की खाली बोतल थी । गाँव वाले कह रहें थें , कि वह नशे में गिर गया था । लेकिन राधा की नजरे तुरंत समझ गई , कि यह दुर्घटना नहीं हत्या थीं । क्योंकि उसके पिता नें कभी शराब को हाथ तक नहीं लगाया था , बल्कि वे तो सबको समझाते थें , कि शराब पीने से शरीर कए साथ – साथ घर भी बर्बाद होता हैं ।
⇒ और तो और राधा नें पिता के कपड़ों पर कुछ अजीब निशान देखे — जैसे किसी नें उन्हे रस्सी से बाँधा हो । और दूर मिट्टी पर घोड़े कए खुर कए निशान थें । — वही घोडा जो भैरोंसिंह जमींदार कए पास था । जमींदार अपनें घोड़े पर अक्सर गाँव से निकलता तो राधा नें उसके घोड़े के खुर कए निशान देखे थें । उन निशानों को राधा कभी नहीं भूल सकती ।
राधा को हुआ भैरोंसिंह पर शक
⇒ रात भर राधा और गौरी अपनें पिता की लाश कए पास बैठी रही । उनकी माँ सीता बेहोश हो गई थी । सुबह जब जमींदार आया तो , बनावटी सहानुभूति दिखा रहा था । और बोल रहा था । — हरिराम मेरा पुराना आदमी था । इसलिए मैं खुद उसके परिवार का ध्यान रखूँगा । लेकिन भैरोंसिंह की आँखों में दुख बदले एक हल्की सी मुस्कान थीं जिसको देखकर राधा समझ गई ।
⇒ राधा नें देखा कि भैरोंसिंह उसकी बहन गौरी की तरफ देखकर बहुत गंदी तरह उसे निहार रहा था । यह देखकर राधा को बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ रहा था । तभी राधा नें गौरी को किसी काम से उसे अंदर कमरे में भेज दिया । गौरी को अंदर जाते हुए भी भैरोंसिंह जमींदार उसे देखे ही जा रहा था ।
⇒ अब जमींदार जाते हुए राधा के कान में ये कह गया कि , अब तो तुम दोनों बहनों को मेरे महल में ही आना पड़ेगा । उस अगर तुम मेरे नौकर से महल में काम कए लिए मना नही करती तो , — आज तेरा बाप जिंदा होता ।
⇒ यह सुनकर राधा कए पैरों तले जमीन खिसक गई , ” उसने सोचा कि , इतना भी कोई कैसे गिर सकता हैं । यह सोचकर राधा खूब रोने लगी । और अपने पिता से मन ही मन यह वादा किया , कि पिताजी आपकी मृत्यु का बदला मैं जरूर लूँगी । चाहें मेरी जान ही क्यों ना चली जाए । — अब खून का बदला खून से होगा ।
राधा की गाँव के लोगों से पूछताछ
⇒ अगले कुछ दिनों तक राधा शांत बैठी रहीं । — लेकिन हर दिन राधा किसी ना किसी से पूछताछ करती रहती । जैसे कि — उसके पिताजी आखरी समय किस किसके साथ थें । — किसने सबसे पहले उनके पिताजी की लाश देखी । अब धीरे – धीरे उसे पूरी बात पता चलने लगी ।
⇒ तभी गाँव का बूढ़ा आदमी बोला ! ” मैंने उस दिन हवेली कए पास चार आदमियों को देखा था । वे सब हरिराम को रस्सी से बाँध रहें थें । लेकिन बेटी मैं डर कए मारे कुछ भी ना कह सका । क्योंकि वो सब भैरोंसिंह जमींदार कले आदमी थें ।
⇒ राधा का दिल काँप उठा । वो चार आदमी जमींदार के गुंडे थें । जिन्हे राधा जानती थीं — लालू , महिपाल , बंसी और गंगाराम ।
राधा नें बनाई बदले की योजना
⇒ राधा नें अपनी छोटी बहन से कहा ! — कि गौरी अब डरना नहीं हैं अगर हम चुप रहें तो , तो भैरोंसिंह आज नहीं तो कल अपने महल में रखेगा , और हमारे साथ कुछ भी करेगा । इसलिए पहले ही हमें तैयार होना हैं । — अब भैरोंसिंह के साथ खेल खेलने का समय आ चुका हैं ।
⇒ गौरी ने पूछा ! — कैसा खेल ? …. राधा बोली ! जिसमे शिकार खुद जाल में फँसता हैं
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⇒ राधा और गौरी पिता की मृत्यु के कुछ ही दिनों बाद माँ और भाई को छोड़कर गाँव से बिल्कुल गायब हो गई । कई दिनों तक राधा और गौरी नही मिलने पर गाँव वालों को लगा कि या तो दोनों को किसी नें मार दिया या फिर भैरोंसिंह नें उन दोनों बहनों को गायब करवा दिया ।
⇒ क्योंकि पूरे गाँव को पता था । — कि हरिराम को भैरोंसिंह जमींदार नें ही मरवाया था । लेकिन जमींदार के खिलाफ कौन बोले। पूरा गाँव उससे डरता था । अब पूरे गाँव के मन में यही हो गया कि बैचारी दोनों बहने भी मारी गई ।
⇒ लेकिन वास्तव में , — वे पास के एक जंगल में , एक पुराने शमशान के पास की झोपड़ी में छिप गई । राधा नें वहाँ पुराने कपड़े , मिट्टी का तेल , और कुछ खास औषधियाँ रखी । ताकि वह किसी को भी बेहोश कर सकें । या आग लगा सकें । राधा और गौरी नें पूरी तैयारी कर रखी थीं ।
लालू बना पहला शिकार
⇒ कुछ हफ्तों बाद गाँव के लोग सुनने लगे । — रात में हवेली के पास जंगल में कोई सफेद साया दिखा हैं । यह बात पूरे गाँव से लेकर हवेली तक फैल गई । अब भैरोंसिंह कए गुंडे डरने लगे कि कहीं हरिराम और उसकी दोनों बेटी भूतनी तो नही बन गई ।
⇒ तभी एक रात लालू शराब पीकर तलाब की ओर जा रहा था । अचानक उसे पीछे कि ओर किसी नें पुकारा । — लालू रुक जा ! कहाँ जा रहा हैं । तभी लालू नें मुड़कर देखा , सफेद कपड़ों में मुहँ छुपाये एक लड़की खड़ी थीं । उसके बाल खुले और चेहरा राख जैसा पीला दिख रहा था ।
⇒ लालू बहुत डर गया और बोला ! कौन हो तुम ? लालू के पसीने – पसीने हो रहे थें । — तभी लड़की नें धीरे से कहा ! क्या तुझे याद हैं ? हरिराम कौन था ? उनका हिसाब अब उसकी दोनों बेटियाँ लेने आयी हैं । इतना कहते ही पीछे से राधा नें उसके गले की नस काटकर उसे मार दिया । लालू वही नशे में तड़पता हुआ मर गया ।
⇒ अगले दिन सुबह तालाब के पास लालू की लाश मिली । — आँखें खुली थीं उसकी , और गले पर तेज धार वाले चाकू का निशान था । जिसकी वजह से उसका सारा खून निकल चुका था । और उसको राधा और गौरी नें मरनें के बाद भी उसे किसी चीज से मारा होगा । तभी लालू के शरीर पर बहुत सारे निशान थें ।
⇒ शायद राधा और गौरी में अपने पिताजी की बदले की बहुत गहरी भावना थीं । इसलिए लालू को मरने के बाद भी उसे मारे ही जा रहें थें ।
⇒ अब दोनों बहनों का पहला बदला पूरा हो चुका था । — अब पूरे गाँव में दहशत फैल चुकी थीं । कि हरिराम और उसकी बेटी राधा और गौरी की आत्मा ने लालू को मारा हैं ।
भैरोंसिंह को भी लगा डर
⇒ अब दहशत से भैरोंसिंह नें अपने बचे हुए तीनों गुंडों को बुलाया । और कहा ! — किसी नें हमारे आदमी को मारा हैं । उसेढूँढो और खत्म कर दो । पर किसी को पता ना चलें कि हमनें उसे मरवाया हैं । जैसे खुफिया तरीके से हमने हरिराम को मरवाया था , ठीक वैसे ही मारना है इस लालू के कातिल को ।
⇒ मगर भैरोंसिंह जमींदार को नहीं पता था कि यह अभी तो शुरुआत थीं — पिच्चर अभी बाकी थीं …… यानि उनकी भी मौत ?
राधा और गौरी का बदला अभी बाकी हैं — अब इस कहानी का भाग 2 जल्दी ही आएगा ।